Saturday, 16 November 2024

रामराज्य की प्रतीक्षा में उत्तर प्रदेश

विनय संकोची जब से योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली है, तब से अनेक बार रामराज्य लाने का…

रामराज्य की प्रतीक्षा में उत्तर प्रदेश

विनय संकोची

जब से योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली है, तब से अनेक बार रामराज्य लाने का वादा प्रदेश की जनता से कर चुके हैं। 2017 में अयोध्या में ऐतिहासिक दिवाली मनाते हुए तो मुख्यमंत्री ने साल भी तय कर दिया था जिसमें रामराज्य आ ही जाना था। योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या की धरती से घोषणा की थी – “जिसके पास अपना घर हो, घर में रोशनी हो, हर हाथ को काम हो यही रामराज्य है और रामराज्य का सपना उत्तर प्रदेश में सन 2019 तक पूरा हो जाएगा।” लेकिन सपना तो पूरा नहीं हुआ रामराज्य नहीं आया और योगीराज में रामराज्य के बहुत लक्षण तो दिखाई नहीं पड़ते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरवरी 2020 में विधानसभा में कहा कि देश को समाजवादी नहीं राम राज्य की अवधारणा चाहिए। योगी प्रदेश में तो रामराज्य का सपना पूरा कर नहीं पाए और देश में राम राज्य की अवधारणा स्थापित करने की बात करने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “सबका साथ, सबका विकास” का जो नारा दिया था, योगी आदित्यनाथ ने उस नारे को ही रामराज्य की अवधारणा बता दिया। मतलब रामराज्य आ गया है, गलती प्रजा की है जो इस महानतम परिवर्तन को पहचान नहीं पा रही है।

भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने जम्मू-कश्मीर में बदले हालातों को देखकर वहां राम राज्य स्थापित हो जाने का दावा किया था। उनके दावे का आधार था कि वहां टैक्सी वाला भी अब “राम-राम” करता है। अगर राम राज्य की यही परिभाषा है, तो देश के बहुत बड़े हिस्से में तो रामराज्य कभी गया ही नहीं था क्योंकि सदियों से बहुत बड़ी संख्या में लोग राम-राम कह कर ही एक-दूसरे का अभिवादन करते चले आ रहे हैं।

श्री रामचरितमानस में वर्णित राम राज्य में किसी को भी दैहिक, दैविक, भौतिक कष्ट नहीं था। सब लोगों में आपसी प्रेम संबंध था, सभी अपने कर्तव्य का पालन करते थे। किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती थी, कोई दरिद्र नहीं था, दुखी और गरीब लोग कहीं नहीं थे। सभी ज्ञानी थे और किसी के प्रति कपट का भाव रखने का न तो कोई अवसर था और न ही कोई कारण। क्या मानस में वर्णित रामराज्य के मानकों की कसौटी पर देश और प्रदेश खरे उतरते हैं?

उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां न तो सबके पास अपना घर है, न हर घर में संतुष्टि की रोशनी है, न हर हाथ को काम है, न हर बच्चे को शिक्षा है। यहां आधे पेट खाकर गुजरा करने वालों की संख्या भी कम नहीं है। इन सब हालातों के बीच रामराज्य स्थापित कर देने की बात पर कौन विश्वास करेगा।

प्रदेश में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की फौज है, उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा है। दावे सरकार कुछ भी करें लेकिन सच्चाई यही है कि रोजगार का अभाव है और इसका प्रभाव यह है कि प्रदेश में अपराधों में निरंतर वृद्धि हो रही है। अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए बड़ी संख्या में पढ़े-लिखे युवा अपराध के रास्ते पर चल निकले हैं। राम राज्य में ऐसा तो नहीं था और यह सब कुछ हो रहा है तो यही मानना चाहिए कि रामराज्य स्थापित करने का वादा और दावा दोनों ही चुनावी हैं। उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी का आलम यह है कि चतुर्थ श्रेणी नौकरी के लिए पीएचडी व एमबीए छात्र अक्सर अप्लाई करते दिखाई देते हैं। हालांकि फिलहाल सरकार का दावा है कि बेरोजगारी दर बड़ी तेजी से घटी है लेकिन आज भी प्रदेश के लाखों बेरोजगार रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं।

प्रदेश में शिक्षा का हाल बदहाल है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों की संख्या लगातार घट रही है, जो बच्चे पढ़ने जाते हैं उन्हें अच्छी शिक्षा नहीं दी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में विद्यालयों का तो बहुत बुरा हाल है किसी स्कूल की चारदीवारी नहीं है, तो कहीं कमरों के ऊपर छत ही नहीं है। कहीं बच्चों को पेड़ों के नीचे पढ़ाया जा रहा है, तो किन्हीं स्कूलों में कई कक्षाओं के लिए एक ही शिक्षक है। अशिक्षित या अल्प शिक्षित राम राज्य का सपना कैसे साकार करेंगे, इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिलता है।

सब के स्वास्थ्य की चिंता की बात सरकार करती है, लेकिन स्वास्थय सुविधाओं को पूरी तरह सुधारने में कामयाब नहीं होती है। योजनाएं बहुत हैं लेकिन धरातल पर वैसा कुछ नहीं होता है, जैसा योजनाओं की रूपरेखा में दिखाया जाता है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कहीं डॉक्टर नहीं है, तो कहीं दवाएं और उपकरण नहीं हैं। किसी केंद्र का ताला महीनों से नहीं खुला है, तो किसी केंद्र के प्रांगण में गाय भैंस बैठी मिलती हैं। अस्वस्थ समाज कैसे राम राज्य तक का सफर पूरा करेगा, यह विचारणीय है।

अपराध सरकारी आंकड़ों के हिसाब से कम हो रहे हैं। लेकिन महिलाओं के प्रति अपराधों में कोई कमी आ रही है, ऐसा अखबारों में रोजाना छपने वाले समाचारों से तो लगता नहीं है। हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, व्यभिचार, भ्रष्टाचार से जुड़े समाचार आम हैं। योगी सरकार ने अपराधियों के हौसले पस्त करने की तमाम ईमानदार कोशिश की है लेकिन उसका प्रदेश को अपराध शून्य करने का सपना अधूरा ही है। ऐसा भी नहीं है कि सरकार अच्छे काम नहीं कर रही है, जरूर कर रही है लेकिन ये इतने भी नहीं हैं कि राम राज्य के तरह सभी सुखी हो जाएं। हालातों को देखकर लगता भी नहीं है कि अभी आने वाले बहुत सालों में रामराज्य का सपना साकार हो पाएगा।

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