UP Election 2022 जानिए मायावती कहां से करेंगी चुनावी रैली की शुरुआत, जानें पूरी रणनीति

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 JAN 2022 02:10 PM
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UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में चुनावी समर में उतरी बसपा की मुखिया मायावती पहली बार एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगी। इस रैली को लेकर पार्टी की तरफ से बहुत तैयारियां की जा रही हैं। बसपा प्रमुख मायावती आखिरकार 2 फरवरी 2022 को आगरा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करके विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान की शुरुआत करेंगी। मायावती के संबोधन को फेसबुक लाइव और यूट्यूब लिंक के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा।

बसपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि, हम उम्मीद कर रहे हैं कि जब पोल पैनल स्थिति की समीक्षा करेगा, तो वह रैलियों पर प्रतिबंधों में ढील देगा। यदि प्रतिबंध जारी रहता है, तो हम वर्चुअल रैलियों के संचालन के लिए बुनियादी ढांचे के साथ तैयार हैं। प्रत्येक उम्मीदवार एक स्थान पर 500 व्यक्तियों को एकत्र कर सकता है और हम बहनजी के पते को वस्तुतः प्रसारित कर सकते हैं। एक दिन पहले उम्मीदवारों को लिंक भेज दिए जाएंगे।

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आपको बता दें कि नवंबर माह के बाद मायावती का पहला सार्वजनिक भाषण 10 फरवरी को होने वाले पहले चरण के चुनाव से एक सप्ताह पहले आएगा। पश्चिम यूपी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां बसपा ने अतीत में अच्छा प्रदर्शन किया है और उम्मीद है कि चुनाव आगे बढ़ने के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी प्रभाव पड़ेगा। चुनावी रैलियों से उनकी अनुपस्थिति पर प्रतिद्वंद्वियों ने सवाल उठाया था, जिस पर उन्होंने कहा था कि भाजपा के विपरीत, उनके पास महीनों पहले रैलियां करने या राजनीतिक रूप से भरे बयानों के साथ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने के लिए वित्तीय साधन नहीं हैं।

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पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि, अब जबकि पहले दो चरणों के उम्मीदवारों को अंतिम रूप दिया गया है और चुनाव आयोग ने उचित संख्या में लोगों को संबोधित करने की अनुमति दी है, बहनजी अपना पहला भाषण देंगी। अगर हमें अनुमति नहीं मिली, तो हम वर्चुअल हो जाएंगे। समाजवादी पार्टी की सूची के स्पष्ट संदर्भ में, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि उनके अलावा सभी राजनीतिक संगठन राजनीति के अपराधीकरण और राज्य को अराजकता में धकेलने के दोषी थे।

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UP Election 2022 सहारनपुर : दो बड़े दिग्गजों की विरासत बचाने की चुनौती

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UP Election 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 JAN 2022 01:15 PM
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UP Election 2022 वेस्ट यूपी, खासकर सहारनपुर और आसपास के जनपदों में दो खास दिग्गज राजनीति में अपनी खासी पहचान रखते थे। इन दोनों दिग्गजों की एक आवाज पर हजारों लोग पीछे पीछे हो जाते थे। अब यह दोनों ही दिग्गज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत को बचाए रखने के लिए उनके वारिस उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के मैदान में हैं। उनके सामने इस बार भी विरासत बचाने की कड़ी चुनौती है। देखना है कि कौन विरासत को बचाने में कामयाब रह पाता है।

विधानसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक दिग्गजों के परिजन मैदान में हैं, इनमें सहारनपुर के दिग्गज नेता रहे काजी रशीद मसूद के भतीजे नोमान मसूद और चौधरी यशपाल सिंह के बेटे भी चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों गंगोह सीट से ही ताल ठोक रहे हैं। खास बात यह है कि काजी रशीद मसूद नौ बार सांसद और एक बार केन्द्रीय मंत्री रहे थे। उनका पूरे 50 साल तक वेस्ट यूपी के साथ ही देश की राजनीति में साधी दखल रहता था।

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वहीं, सियासत की दूसरी धुरी चौधरी यशपाल सिंह रहे थे। वह चार बार विधायक और एक बार सांसद रहे। वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। वह पहली बार नकुड़ से वर्ष 1962 में विधायक चुने गए। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका भी करीब 50 साल तक सियासत में सीधा दखल रहा। इस तरह दोनों नेताओं की लंबी सियासी पारी रही।

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वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उनकी नई पीढ़ी उतर रही है। काजी रशीद मसूद के भतीजे नोमान मसूद गंगोह विधान सभा सीट से बसपा के प्रत्याशी हैं। हालांकि इससे पहले वह रालोद में थे। वहां से टिकट मिलता नहीं दिखाई दिया तो बसपा में आ गए। यहां आते ही उन्हें टिकट थमा दिया गया। इससे पहले भी नोमान मसूद दो बार चुनाव मैदान में उतर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हार का सामना करना पड़ा। वहीं दूसरी ओर चौधरी यशपाल सिंह के बेटे चौधरी इंद्रसेन भी चुनाव मैदान में हैं। वह भी गंगोह से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि इंद्रसेन भी इससे पहले चुनाव हार चुके हैं। दोनों में कांटे की टक्कर है।

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नोएडा सीट पर कौन दे रहा है भाजपा को टक्‍कर? इस सवाल से परेशान है जनता

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Noida Assembly Seat Up chunav
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 JAN 2022 04:00 PM
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Noida Assembly Seat: नोएडा (चेतना मंच)। उत्तर प्रदेश (UP Elections 2022) की हॉट सीटों में गिनी जाने वाली नोएडा विधानसभा सीट (Noida Seat) पर चुनाव में एक बड़ी उलझन खड़ी हो गई है। विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के ढुलमुल रवैए व अपने-अपने दायरे में सिमटे रहने के कारण यह उलझन खड़ी हुई है। उलझन यह है कि जनता समझ ही नहीं पा रही है कि इस सीट पर सत्ता पक्ष यानी भाजपा (BJP) को टक्कर कौन दे रहा है। 'क्यों पड़े हो चक्कर में-कोई नहीं है टक्कर में' यह नारा आमतौर पर सुना जाता रहा है। किंतु नोएडा में यह नारा बदल गया है। यहां मतदाता पूछ रहे हैं कि 'नोएडा वासी हैं चक्कर में-कौन है टक्कर में'। दरअसल नोएडा विधानसभा की सीट (Noida Assembly Seat) पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के पुत्र पंकज सिंह (Pankaj Singh) विधायक के तौर पर काबिज हैं। उन्हीं के कारण इस सीट को हॉट सीट की श्रेणी में गिना जाता है। इस बार के चुनाव में एक बार फिर से श्री सिंह भाजपा के प्रत्याशी हैं। उनके सामने समाजवादी पार्टी व रालोद गठबंधन से सुनील चौधरी, बहुजन समाज पार्टी से कृपाराम शर्मा व कांग्रेस से अनेक विवादों में रह चुकी श्रीमती पंखुड़ी पाठक यादव प्रत्याशी हैं। इन तीनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशी पहले तो अपने-अपने दलों में टिकटार्थियो के तौर पर जुझते रहे। चुनाव की घोषणा के बाद जब से प्रत्याशी बने है तब से अपने-अपने दलों के दूसरे टिकट के दावेदारों की बगावत से जूझ रहे हैं। इनका बचा-खुचा समय अपने-अपने समाज को जोड़ने में लग रहा है। प्रत्याशियों की अलग-अलग बात करें तो बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कृपाराम शर्मा यह मानकर चल रहे हैं कि उनके करीब 40 हजार वोट तो सुरक्षित ही हैं। अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए वे ब्राह्मण वोटों पर डोरे डाल रहे हैं। चुनावी अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग करने का अनुभव न होने के कारण उन्हें अपेक्षित सफलता मिलती प्रतीत नहीं हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि यदि श्री शर्मा अभी भी चुनावी रणनीति को धारदार बनाएं तो वे मुख्य मुकाबले में खड़े हो सकते हैं। अब बात करें समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के प्रत्याशी सुनील चौधरी की। तो उनका भी हाल कमोवेश यही है। तीसरी बार नोएडा विधानसभा से चुनाव लड़ रहे सुनील चौधरी को वर्ष-2012 में 42071 वोट तथा वर्ष-2017 में 58401 वोट मिले थे। वर्ष-2017 में सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी थे। वर्ष-2014 के मध्यावधि चुनाव में सपा प्रत्याशी काजल शर्मा को 41481 वोट मिले थे। यानी पिछले तीनों चुनाव (Noida Assembly Seat) में सपा का वोट बैंक तकरीबन 58 हजार से ऊपर नहीं जा पाया। इस बार रालोद का गठबंधन तो है किंतु प्रत्याशी की चुनावी रणनीति में वह धार नहीं नजऱ आ रही है जिसके बलबूते पर मतदाताओं के बीच यह सीधा संदेश जाए कि सपा प्रत्याशी भाजपा को सीधी टक्कर दे रहे हैं जिससे सत्ता विरोधी मतदाता उनके साथ जुड़ सके। कांग्रेस ने इस बार महिला प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक यादव को मैंदान में उतारा है। श्रीमती पाठक का विवादों से पुराना नाता रहा है। इन विवादों की बात छोड़ भी दें तो भी पंखुड़ी पाठक को जहां अपनी ही पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। वहीं उन्हें ब्राहमण होने का भी कोई विशेष लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है। UP Assembly Election 2022 Second Phase के लिए आजाद समाज पार्टी प्रत्‍याशियों की दूसरी लिस्‍ट जारी मूलत: उत्तराखंड (Uttarakhand) की रहने वाली पंखुड़ी पाठक से जहां उत्तराखंड के वोटर यह कहकर वोट देने से कन्नी काट रहे हैं कि वे ब्राह्मण थीं। लेकिन शादी करने के बाद अब यादव हो गईं हैं। ऐसे में उत्तराखंड खासकर वहां के ब्राह्मण का वोट भी उनके हाथ से खिसकता प्रतीत हो रहा है। सर्वविदित है कि नोएडा में यादवों का अधिकांश वोट समाजवादी पार्टी का कोर वोटर माना जाता है। चूंकि प्रदेश में भाजपा बनाम सपा की इस जंग में यादव बिरादरी कांग्रेस के बजाय सपा को वोट देने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है। वैसे भी पिछले 10 वर्षों में हुए तीन चुनावों पर नजर डालें तो कांग्रेस हमेशा यहां चौथे स्थान पर रही है। इस चौथे स्थान से हटकर कुछ ऊपर खिसक जाने की जद्दो-जहद के जरिए अपने नेतृत्व को संदेश देने की रणनीति पर यदि कांग्रेस की प्रत्याशी चुनाव लड़ रही है तो फिर कुछ नहीं कहा जा सकता। कांग्रेस के यहां के इतिहास पर नजऱ डालें तो वर्ष-2012 में कांग्रेस प्रत्याशी डा. वी.एस.चौहान 25482 (12.15 प्रतिशत) वोट लाकर चौथे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र अवाना भी मात्र 17212 (10.45 प्रतिशत) वोट लाकर चौथे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2017 के चुनाव में हालांकि कांग्रेस ने सपा से गठबंधन किया था। गठबंधन के प्रत्याशी को 58401 वोट मिले थे इसमें सपा का पारंपरिक वोट 41-42 हजार भी शामिल था। उस बार भी कांग्रेस की स्थिति काफी दयनीय ही थी। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी के सभी प्रकोष्ठों के अध्यक्ष, दावेदार प्रत्याशी, पूर्व महानगर अध्यक्ष, पीसीसी व एआईसीसी सदस्य भी चुनाव में शामिल न होकर बगावती मूड में नजर आ रहे हैं। ऐसे में पारंपरिक चौथे स्थान पर रहने वाली कांग्रेस अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष शाहबुददीन, पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश यादव, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महानगर अध्यक्ष मो. गुडडू, एआईसीसी सदस्य दिनेश अवाना, युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पुरुषोत्तम नागर, व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अभिषेक जैन, पीसीसी सदस्य सतेन्द्र शर्मा, एसटी/एससी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रोहित बेनीवाल, व्यापार प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष जीतेन्द्र अम्बावत, अशोक शर्मा, विक्रम चौधरी, एससी/एसटी प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव राजकुमार भारती, किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष गौतम अवाना, कामगार संगठन के अध्यक्ष जावेद खान व सभी ब्लॉक अध्यक्ष, प्रमोद शर्मा समेत कई नेता चुनाव प्रचार में शामिल न होकर अघोषित बगावत करने के मूड में हैं। ऐसे में कांग्रेस की स्थिति खुद-ब-खुद समझी जा सकती है।