Saturday, 4 May 2024

यूपी की नई राजनीति, पूर्व नौकरशाह ने बुंदेलखंड अलग राज्य की मांग के साथ बनाई राजनीतिक पार्टी

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है। राज्य के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह (Former…

यूपी की नई राजनीति, पूर्व नौकरशाह ने बुंदेलखंड अलग राज्य की मांग के साथ बनाई राजनीतिक पार्टी

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है। राज्य के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह (Former DGP Sulkhan Singh) ने भी राजनीति में प्रवेश ले लिया है। इन्होंने अपनी नई लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया है, जिसे बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी का नाम दिया गया है। इस लोकतांत्रिक पार्टी के गठन करने का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की आवाज को बुलंद करना है।

गौरतलब है अभी बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बंटा हुआ क्षेत्र है, जिस वजह से इसकी पहचान दो राज्यों में बंट कर रह गई है। इसे एक नई पहचान देने के लिए और बुंदेलखंड को नया राज्य बनाने की मांग उठाते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने राजनीति में प्रवेश किया है। साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आई, इसके बाद सुलखान सिंह को डीजीपी बनाया गया था।

बुंदेलखंड को नया राज्य बनाने की मांग :

सुलखान सिंह बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी को गठित करने के बाद पहली बार मीडिया से रूबरू हुए। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में आयोजित हुई मीडिया कांफ्रेंस के दौरान सुल्तान सिंह ने बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग करते हुए, इस नए राज्य में 15 जिलों को शामिल करने की मांग रखी। नए राज्य के रूप में बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के 7 जिले – बांदा, हमीरपुर, ललितपुर, झांसी, चित्रकूट, जालौन, महोबा तथा मध्य प्रदेश के 8 जिले – निवाड़ी, दतिया, सागर, छतरपुर, पन्ना, दमोह, अशोक नगर एवं टीकमगढ़ को शामिल करने की मांग की है।

इस आधार पर बुंदेलखंड को नया राज्य बनाने की की जा रही मांग :

‘बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी’ के गठन को बुंदेलखंड राज्य के गठन हेतु राजनीतिक आंदोलन संचालित करने का उद्देश्य बताया गया है। पार्टी की तरफ से बुंदेलखंड राज्य के सृजन का जो आधार बताया गया है, वो कुछ इस प्रकार है –

1. बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बीच बंटा हुआ है। बुंदेलखंड की अपनी पहचान इन दोनों राज्यों से अलग है। इस क्षेत्र में भौगोलिक, सांस्कृतिक, मानविकीय, कृषि, वाणिज्य आदि की अपने में एकरूपता है। यह क्षेत्र महाभारत काल के चेदि साम्राज्य से लेकर, अंग्रेजी शासन काल तक लगभग एक राजनीतिक क्षेत्र के रूप में रहा है। दुर्भाग्य से कुछ विखंडन अंग्रेजों ने किया और आजादी के बाद तो इसे दो हिस्सों में बांटकर अलग कर दिया गया।

2. बुंदेलखंड की आर्थिक और विकास संबंधी आवश्यकताएं, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के शेष बड़े क्षेत्र से भिन्न है।

3. राज्य के बजट पर हमारी मांगे राज्यों के शेष हिस्सों से प्रतिस्पर्धी होने के कारण हमें हमारी जरूरत के हिसाब से योजनाएं नहीं मिल पाती हैं।

4. इतने बड़े राज्यों में जिन क्षेत्रों के लोग ज्यादा राजनीतिक प्रभाव वाले हैं, वह अधिक धन ले जाते हैं परिणाम स्वरुप बुंदेलखंड उपेक्षा का शिकार हो गया है।

5. बुंदेलखंड में पानी की भारी समस्या है, लेकिन सरकारों की उपेक्षा के कारण इस पर कोई संसाधन नहीं लगाई जा रहे हैं। परिणामस्वरूप आज बुंदेलखंड मरुस्थल बनने की ओर तेजी से अग्रसर है।

6. बुंदेलखंड के लोग सीधे और सरल, परंतु स्वाभिमानी होते हैं। हमारे यहां शिक्षा का प्रसार भी कम है। नतीजा यह है कि बुंदेलखंड में पुलिस या दूसरे मोहकमों में बुंदेलखंड के निवासी नाम मात्र के हैं। अन्य क्षेत्रों के निवासी बहुसंख्यक रूप से काबिज है।

7. बुंदेलखंड के निवासियों की राजनीतिक आकांक्षाएं भी कोई दल ध्यान में नहीं रखता। किसी भी सरकार में बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व नाम मात्र का रहता है। हमारे प्रतिनिधि बड़ी पार्टियों की राजनीति के कारण बुंदेलखंड के लिए कुछ नहीं बोल पाते हैं।

8. सरकारी अधिकारी और नजन बुंदेलखंड के संसाधनों का मात्र दोहन कर रहे हैं। इनका कोई लाभ बुंदेलखंड को नहीं मिल रहा है।

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इस वजह से राजनीति में उतरें सुलखान सिंह :

उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के मुताबिक उनका राजनीति में उतरने का मुख्य मकसद बुंदेलखंड क्षेत्र का विकास करना है। बांदा में हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुलखान सिंह ने केंद्र और प्रदेश में शासन करने वाली पार्टी बीजेपी पर निशाना साधा। कॉन्फ्रेंस के दौरान इन्होंने बुंदेलखंड की समस्याओं पर भी आवाज उठाई।

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के रहने वाले सुलखान सिंह का जन्म 8 सितंबर 1967 में हुआ था। 1980 बैच के आईपीएस ऑफिसर रह चुके सुलखान सिंह को साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आई, इसके बाद प्रदेश का डीजीपी बनाया गया था।

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