नए साल के जश्न को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा- शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि उनसे कई लोगों ने यह सवाल किया था कि क्या नए साल का जश्न मनाना इस्लाम में जायज है। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि शरीयत की दृष्टि से इस प्रकार का उत्सव नाजायज है।

moulana shahabuddin
मौलाना शहाबुद्दीन
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar29 Dec 2025 03:28 PM
bookmark

UP News : आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय से 31 दिसंबर और 1 जनवरी को होने वाले नए साल के जश्न से दूरी बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार इस तरह का जश्न उचित नहीं माना जाता।

शरीयत की दृष्टि से इस प्रकार का उत्सव नाजायज

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि उनसे कई लोगों ने यह सवाल किया था कि क्या नए साल का जश्न मनाना इस्लाम में जायज है। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि शरीयत की दृष्टि से इस प्रकार का उत्सव नाजायज है। उनका कहना था कि इस्लामी कैलेंडर का नया साल मुहर्रम के महीने से शुरू होता है, जबकि 31 दिसंबर और 1 जनवरी पश्चिमी या यूरोपीय संस्कृति से जुड़ी तारीखें हैं।

नए साल के नाम पर रात भर शोर-शराबा, नाच-गाना होता है

उन्होंने यह भी कहा कि नए साल के नाम पर अक्सर रात भर शोर-शराबा, नाच-गाना, अनुशासनहीनता और अनावश्यक खर्च देखने को मिलता है। इस तरह की गतिविधियाँ इस्लामी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं। शरीयत फिजूलखर्ची और अशोभनीय व्यवहार से बचने की शिक्षा देती है। मौलाना ने विशेष रूप से मुस्लिम युवाओं से अपील की कि वे ऐसे आयोजनों से दूर रहें और अपनी धार्मिक पहचान व मूल्यों को बनाए रखें। उन्होंने कहा कि समाज के धर्मगुरु इस विषय पर जागरूकता फैलाएंगे ताकि इस्लामी शिक्षाओं का पालन किया जा सके। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का यह बयान सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

यूपी में छात्रसंघ चुनावों की वापसी के संकेत, डिप्टी सीएम का बड़ा बयान

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्पष्ट किया है कि वे छात्रसंघ चुनाव कराए जाने के समर्थक हैं और इस दिशा में प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो इस विषय पर मुख्यमंत्री से भी बातचीत की जाएगी।

brijesh pathak
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar29 Dec 2025 02:11 PM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनावों की बहाली को लेकर एक बार फिर उम्मीद जगी है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्पष्ट किया है कि वे छात्रसंघ चुनाव कराए जाने के समर्थक हैं और इस दिशा में प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो इस विषय पर मुख्यमंत्री से भी बातचीत की जाएगी।

छात्र राजनीति ने उनके जीवन को दिशा दी है

ब्रजेश पाठक यह बयान रविवार को आगरा स्थित डायट आॅडिटोरियम में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) बृज प्रांत के 66वें अधिवेशन के उद्घाटन समारोह में दे रहे थे। उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति ने उनके जीवन को दिशा दी है और लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े उनके अनुभव आज भी उनके लिए प्रेरणास्रोत हैं। डिप्टी सीएम ने कहा कि देश में छात्र राजनीति राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में हर वर्ष एबीवीपी को मिल रही सफलता यह दर्शाती है कि देश की युवा शक्ति राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ मजबूती से खड़ी है।

समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला

इस दौरान उन्होंने विपक्ष, विशेषकर समाजवादी पार्टी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम जैसे राष्ट्रगीत को लेकर सपा नेताओं की असहजता उनकी सोच को उजागर करती है। उनके अनुसार, राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर सपा का रवैया हमेशा नकारात्मक रहा है। एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) को लेकर उठ रहे सवालों पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया में किसी योग्य मतदाता का नाम नहीं हटाया गया है। जिन लोगों की पहचान या ठिकाना स्पष्ट नहीं था, वही सूची से बाहर हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार में एसआईआर के बाद हुए चुनावों में भाजपा गठबंधन को भारी जनसमर्थन मिला और यही वजह है कि विपक्ष बेचैन है।

प्रदेश में दोबारा भाजपा की सरकार बनेगी 

भविष्य की राजनीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 70 से 80 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। उन्होंने भरोसा जताया कि प्रदेश में दोबारा भाजपा की सरकार बनेगी और जनता सपा के कथित गुंडाराज को स्वीकार नहीं करेगी। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य, एमएलसी वागीश पाठक, केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य डॉ. निधि बहुगुणा, प्रांत अध्यक्ष सौरभ सेंगर, प्रांत मंत्री आनंद कठेरिया और प्रांत सह मंत्री पायल गिहार सहित कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे।

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगाई, कहा-मामला बेहद गंभीर

दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दी थी। इस फैसले के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की।

kuldeep
कुलदीप सेंगर
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar29 Dec 2025 01:17 PM
bookmark

UP News : उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए जा चुके पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इस मामले को बेहद डरावना और गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जमानत जारी रखना उचित नहीं है। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दी थी। इस फैसले के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की।

नाबालिग पीड़िता और उम्रकैद की सजा पर जोर

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जिस समय अपराध हुआ, उस वक्त पीड़िता की उम्र मात्र 15 वर्ष 10 महीने थी। यानी वह पूरी तरह नाबालिग थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को पाक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) के तहत दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सरकार की ओर से यह तर्क भी रखा गया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण तथ्य नजरअंदाज कर दिया कि आईपीसी की जिन धाराओं में सेंगर को दोषी ठहराया गया है, उनमें भी अधिकतम सजा उम्रकैद तक हो सकती है।

विधायक को सार्वजनिक सेवक न मानना गलत

सॉलिसिटर जनरल ने हाई कोर्ट के उस निष्कर्ष पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया था कि विधायक को पाक्सो एक्ट के तहत पब्लिक सर्वेंट की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि एक विधायक प्रभावशाली पद पर होता है और जनता उससे मदद की उम्मीद करती है, ऐसे में उसे सार्वजनिक सेवक मानने से इनकार करना कानूनी रूप से गलत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की कि यदि किसी व्यक्ति के पास अधिकार और प्रभाव हो और लोग उससे सहायता की अपेक्षा करते हों, तो उसे सार्वजनिक सेवक माना जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

पीठ ने कहा कि आमतौर पर जमानत रद करने से अदालतें बचती हैं, लेकिन यह मामला अलग है। कोर्ट ने यह भी ध्यान दिलाया कि सेंगर पहले से ही एक अन्य मामले में जेल में बंद है और हाई कोर्ट ने फैसले में कुछ अहम पहलुओं पर विचार नहीं किया। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत निलंबित कर दी। 

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि नाबालिग से जुड़े गंभीर अपराधों में अदालतें बेहद सख्त रुख अपनाएंगी और पीड़ित के अधिकारों को सर्वोपरि रखा जाएगा।

संबंधित खबरें