CCTV बना ब्लैकमेल का हथियार: हाईवे-ट्रेन फुटेज लीक करने वालों पर लगाम कब?

सार्वजनिक जगहों पर रिकॉर्ड हुए निजी पलों के वीडियो लीक कर पैसे ऐंठने और दबाव बनाने की शिकायतें बढ़ रही हैं और इसी के साथ उत्तर प्रदेश में डिजिटल निगरानी व्यवस्था की जवाबदेही और सुरक्षा को लेकर बहस तेज हो गई है।

उत्तर प्रदेश में CCTV सर्विलांस बढ़ा
उत्तर प्रदेश में CCTV सर्विलांस बढ़ा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 01:25 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सीसीटीवी कैमरे अब एक नई चिंता का कारण बनते दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे, रेलवे प्लेटफॉर्म और भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक इलाकों में जिन फुटेज से अपराधियों की पहचान होनी चाहिए, वही कुछ मामलों में बदनामी की धमकी और ब्लैकमेलिंग का हथियार बन रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस खेल में कई बार वही लोग शामिल पाए गए हैं, जिन पर निगरानी की जिम्मेदारी होती है यानी सिस्टम के भीतर से ही सिस्टम पर चोट। नतीजा साफ है: आम लोगों की निजता पर सीधा हमला, मानसिक दबाव और भरोसे की दीवार में दरार। हालिया घटनाओं ने यूपी के लिए यह सवाल और भी गंभीर कर दिया है कि “कैमरों की नजर” तो सब पर है, लेकिन कैमरा कंट्रोल करने वालों पर नजर कौन रखेगा? सार्वजनिक जगहों पर रिकॉर्ड हुए निजी पलों के वीडियो लीक कर पैसे ऐंठने और दबाव बनाने की शिकायतें बढ़ रही हैं और इसी के साथ उत्तर प्रदेश में डिजिटल निगरानी व्यवस्था की जवाबदेही और सुरक्षा को लेकर बहस तेज हो गई है।

नमो भारत ट्रेन मामला

हाल ही में ‘नमो भारत’ ट्रेन से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसे नवंबर का बताया गया और दिसंबर में बड़े पैमाने पर शेयर किया गया। मामला तूल पकड़ते ही ट्रेन संचालन से जुड़ी एजेंसी ने आंतरिक जांच कर जिम्मेदार कर्मचारी को सेवा से बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं सार्वजनिक स्थान पर आपत्तिजनक कृत्य के आरोप में संबंधित लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया। पुलिस अब इस पूरे प्रकरण की परत-दर-परत पड़ताल कर रही है इस घटना ने केवल व्यवस्था पर सवाल नहीं उठाए, बल्कि पीड़ित परिवारों पर पड़े मानसिक दबाव और सामाजिक शर्मिंदगी ने यह साफ कर दिया कि डिजिटल निगरानी के दुरुपयोग का खतरा कितना गंभीर और दूरगामी हो सकता है।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर कपल से वसूली का आरोप

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर सीसीटीवी फुटेज के दुरुपयोग का एक मामला इतना गंभीर निकला कि नवविवाहित जोड़े से कथित तौर पर 32 हजार रुपये की उगाही तक की बात सामने आई। पीड़ित की शिकायत जब सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंची, तब जाकर सिस्टम हरकत में आया और टोल से जुड़े कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। आरोप यह भी हैं कि यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क की तरह काम करता रहा जिसके जरिए अन्य राहगीरों को भी “वीडियो लीक” और “बदनामी” का डर दिखाकर अवैध वसूली की गई। कार्रवाई में कुछ कर्मचारियों को हटाया गया, लेकिन उत्तर प्रदेश की निगरानी व्यवस्था के सामने असली सवाल अब भी खड़ा है अगर कैमरे सुरक्षा के लिए हैं, तो उनकी रिकॉर्डिंग को ब्लैकमेलिंग की मशीन बनने से रोकने वाली मजबूत ‘डिजिटल चौकसी’ अब तक क्यों नहीं बन पाई?

दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे प्रकरण

दिल्ली - मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ा एक और मामला बताता है कि निगरानी की तकनीक कब “सुरक्षा” से फिसलकर “सौदेबाज़ी” का औजार बन जाती है, पता ही नहीं चलता। यहां सार्वजनिक स्थान पर रिकॉर्ड हुए एक वीडियो को आधार बनाकर ब्लैकमेलिंग की कोशिशों की बात सामने आई, जिसके बाद जांच में टोल स्टाफ की भूमिका पर सवाल उठे और कार्रवाई भी की गई। लेकिन यह प्रकरण सिर्फ एक विभागीय कार्रवाई तक सीमित नहीं है यह उस खतरनाक हकीकत की तरफ इशारा करता है कि कैमरे की एक क्लिक और फुटेज की एक लीक, किसी के निजी जीवन को पल भर में सोशल मीडिया के कटघरे में खड़ा कर सकती है।

समाधान क्या?

उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में जहां एक्सप्रेसवे नेटवर्क से लेकर स्मार्ट सर्विलांस तक का दायरा लगातार फैल रहा है अब सिर्फ कैमरे लगाना ही “सुरक्षा” नहीं माना जा सकता। असली कसौटी यह है कि रिकॉर्ड होने वाला डेटा कितना सुरक्षित है और सिस्टम कितना जवाबदेह। विशेषज्ञों की राय में यूपी को अब निगरानी व्यवस्था के साथ डेटा-सुरक्षा का मजबूत कवच भी खड़ा करना होगा। इसके लिए फुटेज तक पहुंच को “सीमित और लॉग-आधारित” बनाना जरूरी है, ताकि हर क्लिक का रिकॉर्ड रहे और यह साफ दिखे कि कौन, कब और किस फुटेज को देख रहा है। साथ ही रियल-टाइम ऑडिटिंग से सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। फुटेज लीक या दुरुपयोग के मामलों में “जीरो टॉलरेंस” अपनाते हुए तत्काल निलंबन के साथ आपराधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। नियमित अंतराल पर स्वतंत्र एजेंसी से थर्ड-पार्टी ऑडिट कराया जाए, ताकि अंदरूनी गड़बड़ियों की समय रहते पहचान हो सके। UP News

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उत्तर प्रदेश में ‘फॉग इमरजेंसी’: 25 जिलों में रेड अलर्ट

मौसम विभाग के मुताबिक फिलहाल राहत के संकेत कमजोर हैं, इसलिए लोगों को सलाह है कि खासकर सुबह-सवेरे और देर रात अनावश्यक यात्रा से बचें, वाहन चलाते समय लो-बीम लाइट और फॉग लैंप का इस्तेमाल करें और अपडेटेड मौसम/ट्रैफिक सूचना देखकर ही घर से निकलें।

IMD अलर्ट के बाद यूपी के 25 जिलों में रेड वार्निंग
IMD अलर्ट के बाद यूपी के 25 जिलों में रेड वार्निंग
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 10:35 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश में सर्दी ने अब अपना सबसे सख्त रंग दिखाना शुरू कर दिया है। कड़ाके की ठंड के बीच घना कोहरा प्रदेश के कई इलाकों में जनजीवन पर भारी पड़ रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी करते हुए चेताया है कि अगले कुछ घंटों में कोहरे की परत और गाढ़ी हो सकती है, जिससे दृश्यता बेहद कम रहने का अंदेशा है। इसका सीधा असर हाईवे पर ट्रैफिक, ट्रेन संचालन और उड़ानों की समय-सारणी पर पड़ सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक फिलहाल राहत के संकेत कमजोर हैं, इसलिए लोगों को सलाह है कि खासकर सुबह-सवेरे और देर रात अनावश्यक यात्रा से बचें, वाहन चलाते समय लो-बीम लाइट और फॉग लैंप का इस्तेमाल करें और अपडेटेड मौसम/ट्रैफिक सूचना देखकर ही घर से निकलें।

रेड अलर्ट वाले 25 जिले

IMD की रेड वार्निंग के अनुसार जिन जिलों में हालात सबसे ज्यादा गंभीर बताए जा रहे हैं, वहां वेरी डेंस फॉग की स्थिति बन सकती है। उत्तर प्रदेश के ये जिले रेड अलर्ट में हैं - अंबेडकर नगर, अमेठी, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बाराबंकी, बरेली, देवरिया, जौनपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कौशांबी, कुशीनगर, महराजगंज, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संत रविदास नगर (भदोही), श्रावस्ती, सुल्तानपुर, वाराणसी।

विशेष चेतावनी: इन इलाकों में सुबह-रात के समय दृश्यता इतनी घट सकती है कि हाईवे और ग्रामीण सड़कों पर दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।

20 जिलों में ऑरेंज अलर्ट

मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश के कई अन्य जिलों में घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है - औरैया, बलरामपुर, बस्ती, बिजनौर, चंदौली, इटावा, फतेहपुर, गोंडा, गोरखपुर, हरदोई, जालौन, कन्नौज, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, मऊ, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, उन्नाव।

उत्तर प्रदेश में यातायात पर दोहरी मार

कोहरे का असर उत्तर प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था पर साफ दिख रहा है। कई जिलों में सुबह के वक्त वाहन धीमी रफ्तार से चलते नजर आ रहे हैं। हाईवे पर बसें-ट्रक भी सावधानी के साथ रेंग रहे हैं। इसी तरह रेल संचालन भी प्रभावित है। कई ट्रेनें घंटों लेट चल रही हैं और यात्रियों को स्टेशनों पर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।उत्तर प्रदेश में कम दृश्यता के चलते लखनऊ, वाराणसी और अन्य बड़े शहरों के एयरपोर्ट पर उड़ानों के संचालन में दिक्कतें आ सकती हैं। कुछ फ्लाइट्स लेट, तो कुछ को जरूरत पड़ने पर डायवर्ट/कैंसिल भी किया जा सकता है। यात्रियों को सलाह है कि एयरपोर्ट निकलने से पहले फ्लाइट स्टेटस जरूर जांच लें।

ड्राइवरों के लिए एडवाइजरी

उत्तर प्रदेश में घने कोहरे के अलर्ट को देखते हुए प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। पुलिस और ट्रैफिक विभाग को हाई-अलर्ट मोड में रखते हुए प्रमुख चौराहों, हाईवे और ब्लैक-स्पॉट्स पर अतिरिक्त निगरानी बढ़ाई जा रही है। अधिकारियों का जोर इस बात पर है कि कम दृश्यता वाले घंटों में हादसों का जोखिम न बढ़े। ऐसे में वाहन चालकों से अपील है कि वे फॉग लाइट/लो-बीम का इस्तेमाल करें, तेज रफ्तार से बचें, सुरक्षित दूरी बनाए रखें और सुबह-तड़के व देर रात अनावश्यक यात्रा टालें। दोपहिया चालक हेलमेट के साथ गर्म कपड़े पहनकर ही निकलें।

लेट चल रही ट्रेनों की सूची

  1. 12302 नई दिल्ली–हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस — 10 घंटे लेट
  2. 12314 नई दिल्ली–सियालदह राजधानी एक्सप्रेस — 11 घंटे लेट
  3. 12818 झारखंड स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस — 5:30 घंटे लेट
  4. 20802 मगध एक्सप्रेस — 4 घंटे लेट
  5. 03252 दानापुर स्पेशल एक्सप्रेस — 16 घंटे लेट
  6. 04078 नई दिल्ली–कामाख्या स्पेशल — 3 घंटे लेट
  7. 12394 नई दिल्ली–राजेंद्र नगर संपूर्ण क्रांति — 10 घंटे लेट
  8. 12802 आनंद विहार–पुरी पुरुषोत्तम — 4 घंटे लेट
  9. 15657 दिल्ली–कामाख्या ब्रह्मपुत्र मेल — 3:30 घंटे लेट
  10. 14038 सिलचर पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति — 4 घंटे लेट
  11. 22362 नई दिल्ली–राजेंद्र नगर अमृत भारत — 8 घंटे लेट
  12. 05562 रक्सौल स्पेशल — 15 घंटे लेट
  13. 09343 पटना स्पेशल — 4 घंटे लेट
  14. 03223 हरिद्वार स्पेशल — 8 घंटे लेट
  15. 12370 देहरादून–हावड़ा कुंभ एक्सप्रेस — 8:30 घंटे लेट
  16. 06221 दरभंगा स्पेशल — 25 घंटे लेट
  17. 12282 नई दिल्ली–भुवनेश्वर दुरंतो — 9 घंटे लेट
  18. 12260 बीकानेर–सियालदह दुरंतो — 3 घंटे लेट
  19. 12815 नंदनकानन एक्सप्रेस — 2:30 घंटे लेट
  20. 12320 ग्वालियर–कोलकाता एक्सप्रेस — 2:30 घंटे लेट
  21. 12372 बीकानेर–हावड़ा सुपरफास्ट — 2:30 घंटे लेट
  22. 22361 राजेंद्र नगर–नई दिल्ली अमृत भारत — 9:30 घंटे लेट
  23. 12324 प्रयागराज–हावड़ा विभूति — 15 घंटे लेट
  24. 12333 हावड़ा–प्रयागराज विभूति — 2 घंटे लेट
  25. 14004 नई दिल्ली–मालदा टाउन एक्सप्रेस — आज रद्द

कब मिलेगी ठंड और कोहरे से राहत?

मौसम विभाग के संकेतों के मुताबिक अभी कुछ दिनों तक उत्तर प्रदेश में घने कोहरे और सर्द हवाओं का असर बना रह सकता है। यानी निकट भविष्य में राहत सीमित है। ऐसे में नागरिकों से अपील है कि अत्यावश्यक काम होने पर ही यात्रा करें और स्वास्थ्य व सुरक्षा को प्राथमिकता दें। UP News

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बड़ी खबर : उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अखबार पढ़ना हुआ जरूरी

आदेश के अनुसार स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के अख़बार उपलब्ध कराए जाएंगे और अखबार पठन को स्कूल की रोजमर्रा की शैक्षणिक गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा ताकि उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहे, बल्कि जागरूकता और समझ का विस्तार भी करे।

उत्तर प्रदेश में शिक्षा का नया प्रयोग
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का नया प्रयोग
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 10:08 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को नई दिशा देने की तैयारी है। बच्चों को मोबाइल और स्क्रीन की लत से बाहर निकालकर अखबार की आदत से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक प्रभावी शैक्षणिक पहल शुरू की है। इसके तहत अब उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों के लिए रोज़ाना अखबार पढ़ना अनिवार्य किया गया है। उद्देश्य साफ है पठन-संस्कृति को मजबूत करना, बच्चों की सोच को तर्कसंगत और आलोचनात्मक बनाना तथा उन्हें समसामयिक घटनाओं से जोड़ना। इस संबंध में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने 23 दिसंबर को आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के अख़बार उपलब्ध कराए जाएंगे और अखबार पठन को स्कूल की रोजमर्रा की शैक्षणिक गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा ताकि उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहे, बल्कि जागरूकता और समझ का विस्तार भी करे।

प्रार्थना सभा में तय हुआ “न्यूज़ रीडिंग स्लॉट”

आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान 10 मिनट ‘अख़बार पठन’ के लिए तय किए गए हैं। इस समय में छात्र रोटेशन के आधार पर अखबार से चयनित सामग्री(जैसे संपादकीय/विश्लेषणात्मक लेखों के प्रमुख बिंदु, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, खेल जगत की खबरें और प्रेरक व सकारात्मक रिपोर्ट्स) पढ़कर सुनाएंगे । सरकार का कहना है कि यह अभ्यास बच्चों को केवल खबरें पढ़ने तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि उनकी समझ, बोलने-प्रस्तुति की क्षमता और आत्मविश्वास को भी निखारेगा ताकि उत्तर प्रदेश के छात्र रोजमर्रा के मुद्दों को समझकर विचार बनाना और उन्हें सही तरीके से व्यक्त करना सीखें।

भाषा और शब्दावली को मिलेगा लाभ

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी स्कूलों में हिंदी के साथ-साथ इंग्लिश अख़बार भी नियमित रूप से पढ़े जाएंगे। इससे बच्चों की भाषाई पकड़ मजबूत होने, शब्दावली समृद्ध होने और विचारों को साफ़-सुथरे ढंग से व्यक्त करने की क्षमता बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। शिक्षा विभाग का मानना है कि रोज़ाना अख़बार के संपर्क में रहने से छात्र नए शब्द, सही वाक्य-रचना और तर्कपूर्ण भाषा सीखेंगे और यही अभ्यास आगे चलकर उनके लेखन कौशल को भी धार देगा। कुल मिलाकर, यह पहल उत्तर प्रदेश के छात्रों को पढ़ने के साथ समझने, सोचने और लिखने के स्तर पर भी अधिक सक्षम बनाने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।

स्क्रीन टाइम घटाने पर फोकस

आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार ने माना है कि बच्चों का मोबाइल और डिजिटल स्क्रीन पर बढ़ता समय अब स्कूल-शिक्षा के लिए भी एक गंभीर चिंता बन गया है। इसी वजह से कक्षा के माहौल में फिजिकल अखबार को फिर से जगह देकर बच्चों को स्क्रीन से दूर, पढ़ने की आदत की ओर लौटाने की कोशिश की जा रही है। सरकार का तर्क है कि रोज़ाना अखबार पठन से बच्चों की एकाग्रता बढ़ेगी, ध्यान क्षमता मजबूत होगी, आंखों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा और वे सूचनाओं को सिर्फ “देखने” नहीं, बल्कि समझकर गहराई से ग्रहण करने की आदत विकसित करेंगे। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में यह पहल स्क्रीन-टाइम के शोर के बीच बच्चों को “सोचने और समझने” की शांत, मजबूत दिशा देने का प्रयास मानी जा रही है।

करेंट अफेयर्स से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक तैयारी को मिलेगा आधार

उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग ने इस पहल को सिर्फ “अखबार पढ़ने” तक सीमित नहीं बताया, बल्कि इसके सीधे शैक्षणिक लाभ भी रेखांकित किए हैं। आदेश के मुताबिक, नियमित अख़बार पठन से छात्रों का सामान्य ज्ञान और करेंट अफेयर्स स्वाभाविक रूप से मजबूत होगा, उनकी भाषा-शैली निखरेगी और शब्द भंडार समृद्ध होगा। साथ ही, रोज़ाना खबरों और संपादकीय से जुड़ाव बच्चों के भीतर सोच-समझकर लिखने की क्षमता विकसित करेगा जो आगे चलकर निबंध, उत्तर-लेखन और अभिव्यक्ति में काम आएगी। विभाग का मानना है कि यह अभ्यास उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का भी मजबूत आधार बनेगा, क्योंकि करंट अफेयर्स और भाषा की पकड़ ही ऐसे परीक्षाई सफर की असली पूंजी होती है।

फेक न्यूज़ के दौर में “सही-गलत” पहचानने की ट्रेनिंग

अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा के हवाले से आदेश में कहा गया है कि अलग-अलग विषयों और विविध दृष्टिकोणों को नियमित रूप से पढ़ने से छात्रों की आलोचनात्मक सोच स्वाभाविक रूप से विकसित होती है। इससे वे किसी खबर को सिर्फ “मान” नहीं लेंगे, बल्कि उसके स्रोत, संदर्भ और तथ्य को परखना सीखेंगे यानी सही सूचना और गलत/भ्रामक जानकारी के बीच फर्क कर पाएंगे। शिक्षा विभाग ने इसे फेक न्यूज़ के मौजूदा दौर में बच्चों के लिए एक ज़रूरी लाइफ-स्किल बताया है। आदेश में यह भी रेखांकित किया गया है कि अख़बारों में छपने वाली स्थानीय खबरें, सामाजिक मुद्दे और मानव-रुचि (Human Interest) से जुड़ी रिपोर्टें छात्रों को अपने आसपास की दुनिया से जोड़ेगी और उत्तर प्रदेश के बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी, संवेदनशीलता और समाज को समझने की क्षमता को मजबूत करने में मदद करेगी।

सुडोकू-क्रॉसवर्ड भी पढ़ाई का हिस्सा

उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश में यह भी रेखांकित किया है कि अख़बारों में प्रकाशित सुडोकू, क्रॉसवर्ड और शब्द पहेलियां सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि बच्चों के लिए दिमागी कसरत का असरदार जरिया हैं। ऐसे कॉलम छात्रों की तार्किक सोच, विश्लेषण क्षमता और समस्या समाधान कौशल को मजबूत करते हैं। यही वजह है कि अख़बार पठन के साथ इन हिस्सों को भी शैक्षणिक रूप से उपयोगी माना गया है। आदेश में साफ कहा गया है कि यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के लिए अनिवार्य होगी, जबकि अन्य विद्यालय चाहें तो इस पहल को अपनाकर अपनी शैक्षणिक दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं ताकि पढ़ाई के साथ सोचने और समझने की आदत भी बराबरी से विकसित हो। UP News

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