Sunday, 11 May 2025

11 मार्च को खेली जाएगी चिता भस्म होली, जाने काशी के महाश्मशान घाट पर होने वाली इस होली से जुड़ी मान्यता

वाराणसी: उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में स्थित मणिकर्णिका महा शमशान घाट पर खेली जाने वाली चिता भस्म होली,…

11 मार्च को खेली जाएगी चिता भस्म होली, जाने काशी के महाश्मशान घाट पर होने वाली इस होली से जुड़ी मान्यता

वाराणसी: उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में स्थित मणिकर्णिका महा शमशान घाट पर खेली जाने वाली चिता भस्म होली, इस वर्ष 11 मार्च को खेली जाएगी। प्रतिवर्ष ये होली रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन खेली जाती हैं। इस वर्ष 11 मार्च के दिन दोपहर 12 से 2 बजे तक चिता भस्म होली का भव्य आयोजन किया जाएगा। आयोजकों ने बताया है कि इस आयोजन की शुरुआत मसान नाथ की भव्य आरती के साथ होगी। इसके बाद होली खेली जाएगी। हर साल की तरह इस साल भी लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का, इस आयोजन में हिस्सा लेने की संभावना है।

बहुत खास है चिता भस्म होली की अनोखी परंपरा:

काशी के मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर खेली जाने वाली चिता भस्म होली की परंपरा बहुत खास है। प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन यह होली खेली जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर शिव विवाह के पश्चात, रंगभरी एकादशी के दिन ही भोले बाबा, माता पार्वती का गौना कराके अपनी नगरी काशी लेकर आए थे। रंगभरी एकादशी के दिन अपने गौने में भोले बाबा ने देवताओं के साथ होली खेली थी। लेकिन वे श्मशान में बसने वाले भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर और दूसरे जीव-जंतुओं के साथ ये खुशी नहीं मना पाए थे। इसलिए रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन बाबा भोलेनाथ मणिकर्णिका घाट पर भूत, पिशाच, किन्नर, दृश्य- अदृश्य, शक्तियों के साथ भस्म की होली खेलने पहुंच गए। इसी के बाद से ये परंपरा है शुरू हो गई। इसी वजह से ये होली बहुत खास है।

6 महीने पहले से शुरू हो जाती है इस भव्य होली की तैयारी:

काशी में महाशमशान घाट पर खेली जाने वाली चिता भस्म होली की तैयारी 6 महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। इस अनोखी होली को खेलने के लिए, रोजाना दो से तीन बोरी चिता की राख इकट्ठी की जाती है।

महाकुंभ की वजह से इस बार की होली होगी खास:

इस बार प्रयागराज के संगम तट पर लगे महाकुंभ मेले की वजह से चिता भस्म की होली और भी खास होने वाली है। दरअसल प्रतिवर्ष माघ मेले में आने वाले नागा साधु, माघ मेला समाप्ति के बाद चिता भस्म की होली खेलने के लिए वाराणसी रवाना हो जाते हैं। इस वर्ष महाकुंभ मेले में भारी संख्या में नागा साधु एकत्रित हुए थे, जो इस होली का भी हिस्सा बनेंगे। इस अनोखी होली के आयोजक गुलशन कुमार ने कहा है कि “बाबा के भक्तों को विशेष सुविधाओं की जरूरत नहीं होती, बस खाली स्थान ही काफी है। हर वर्ष आयोजन में कई चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन बाबा की कृपा से यह परंपरा निरंतर जारी रहती है।”

इसके अलावा आयोजक गुलशन कुमार ने बताया है कि इस वर्ष भस्म की होली में नशा करके प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिलेगी। साथ ऐसे कलाकार जो भगवान का वेश बनाकर, होली खेलने पहुंच जाते हैं, उन्हें भी आयोजन का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं मिलेगी। आयोजकों ने महिलाओं से अपील की है कि वो दूर से ही इस अनोखी होली को देखने की कृपा करें, जिससे किसी भी प्रकार के असुविधा उत्पन्न ना हो।

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