RBI का असर कम होते ही हांफने लगा रुपया, निवेशकों की बढ़ी टेंशन
RBI का असर कमजोर होने, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर की मजबूत मांग के चलते रुपया एक बार फिर 90 के स्तर के करीब पहुंच गया है। जानिए डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट की असली वजहें, एक्सपर्ट्स की राय और आगे रुपया किस लेवल पर कारोबार कर सकता है।

क्रिस्मस के बाद भारतीय करेंसी मार्केट में बड़ी हलचल देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पकड़ कमजोर पड़ने, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर की बढ़ती मांग के बीच रुपया एक बार फिर दबाव में आ गया है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के बेहद करीब पहुंच गया है। जानकारों का मानना है कि अगर यही दबाव बना रहा तो आने वाले कारोबारी सत्रों में रुपया 90 का स्तर भी पार कर सकता है।
क्रिस्मस के बाद क्यों टूटा रुपया?
क्रिस्मस की छुट्टियों के बाद जैसे ही बाजार खुले, रुपए पर कई नकारात्मक फैक्टर्स एक साथ हावी हो गए। आरबीआई की तरफ से डॉलर सपोर्ट कम देखने को मिला वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगीं। इसके अलावा विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना जारी रखा जिससे डॉलर की मांग बढ़ गई और रुपया कमजोर होता चला गया।
शुक्रवार को कितने लेवल पर पहुंचा रुपया?
शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे गिरकर 89.94 पर पहुंच गया। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया 89.84 पर खुला था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले बुधवार को भी रुपया 8 पैसे गिरकर 89.71 पर बंद हुआ था। यानी लगातार दूसरे कारोबारी दिन रुपये में कमजोरी दर्ज की गई।
लगातार गिरावट के पीछे मुख्य वजहें
रुपये की कमजोरी के पीछे कई अहम कारण सामने आए हैं। घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक माहौल, इंपोर्टर्स द्वारा डॉलर की बढ़ती खरीद, अमेरिका के साथ ट्रेड डील में देरी और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है। इसके चलते डॉलर मजबूत हो रहा है और रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
आंकड़ों से समझिए रुपये की कमजोरी
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती दिखाता है, हल्की गिरावट के बावजूद 97.89 के स्तर पर बना हुआ है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 62.34 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है जो भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए नकारात्मक संकेत है। घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी दिखी जहां सेंसेक्स 183 अंक और निफ्टी 46 अंक टूट गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सिर्फ दिसंबर महीने में 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की है जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ गया।
जानकार क्या कह रहे हैं?
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, पिछले हफ्ते 89 के आसपास मजबूत होने के बाद कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और छुट्टियों के दौरान डॉलर की खरीद ने रुपये को फिर कमजोर कर दिया है। उन्होंने बताया कि महीने के अंत में आमतौर पर डॉलर की मांग बढ़ जाती है और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल भी रुपये को कमजोर बना रहा है।
क्या 90 का लेवल पार करेगा रुपया?
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही और डॉलर की मांग इसी तरह बनी रही, तो कारोबारी सत्र के दौरान रुपया 90 के स्तर को भी पार कर सकता है। हालांकि, आगे चलकर आरबीआई का हस्तक्षेप और वैश्विक संकेत रुपये की दिशा तय करेंगे।
क्रिस्मस के बाद भारतीय करेंसी मार्केट में बड़ी हलचल देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पकड़ कमजोर पड़ने, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर की बढ़ती मांग के बीच रुपया एक बार फिर दबाव में आ गया है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के बेहद करीब पहुंच गया है। जानकारों का मानना है कि अगर यही दबाव बना रहा तो आने वाले कारोबारी सत्रों में रुपया 90 का स्तर भी पार कर सकता है।
क्रिस्मस के बाद क्यों टूटा रुपया?
क्रिस्मस की छुट्टियों के बाद जैसे ही बाजार खुले, रुपए पर कई नकारात्मक फैक्टर्स एक साथ हावी हो गए। आरबीआई की तरफ से डॉलर सपोर्ट कम देखने को मिला वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगीं। इसके अलावा विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना जारी रखा जिससे डॉलर की मांग बढ़ गई और रुपया कमजोर होता चला गया।
शुक्रवार को कितने लेवल पर पहुंचा रुपया?
शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे गिरकर 89.94 पर पहुंच गया। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया 89.84 पर खुला था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले बुधवार को भी रुपया 8 पैसे गिरकर 89.71 पर बंद हुआ था। यानी लगातार दूसरे कारोबारी दिन रुपये में कमजोरी दर्ज की गई।
लगातार गिरावट के पीछे मुख्य वजहें
रुपये की कमजोरी के पीछे कई अहम कारण सामने आए हैं। घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक माहौल, इंपोर्टर्स द्वारा डॉलर की बढ़ती खरीद, अमेरिका के साथ ट्रेड डील में देरी और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है। इसके चलते डॉलर मजबूत हो रहा है और रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
आंकड़ों से समझिए रुपये की कमजोरी
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती दिखाता है, हल्की गिरावट के बावजूद 97.89 के स्तर पर बना हुआ है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 62.34 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है जो भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए नकारात्मक संकेत है। घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी दिखी जहां सेंसेक्स 183 अंक और निफ्टी 46 अंक टूट गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सिर्फ दिसंबर महीने में 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की है जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ गया।
जानकार क्या कह रहे हैं?
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, पिछले हफ्ते 89 के आसपास मजबूत होने के बाद कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और छुट्टियों के दौरान डॉलर की खरीद ने रुपये को फिर कमजोर कर दिया है। उन्होंने बताया कि महीने के अंत में आमतौर पर डॉलर की मांग बढ़ जाती है और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल भी रुपये को कमजोर बना रहा है।
क्या 90 का लेवल पार करेगा रुपया?
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही और डॉलर की मांग इसी तरह बनी रही, तो कारोबारी सत्र के दौरान रुपया 90 के स्तर को भी पार कर सकता है। हालांकि, आगे चलकर आरबीआई का हस्तक्षेप और वैश्विक संकेत रुपये की दिशा तय करेंगे।












