Thursday, 2 May 2024

Super Exclusive : नोएडा क्षेत्र में भू-माफियाओं की “चांदी”, खूब बटोर रहे हैं माल

Super Exclusive : नोएडा। नोएडा व आसपास के क्षेत्र में हुए अरबों रूपए के भूमि घोटालों में से एक मामला…

Super Exclusive : नोएडा क्षेत्र में भू-माफियाओं की “चांदी”, खूब बटोर रहे हैं माल

Super Exclusive : नोएडा। नोएडा व आसपास के क्षेत्र में हुए अरबों रूपए के भूमि घोटालों में से एक मामला पुनः सुर्खियों में है। 650 करोड़ के इस बड़े घोटाले में अब नोएडा प्राधिकरण ने देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला नोएडा क्षेत्र के प्रमुख गांव सोरखा से जुड़ा हुआ है।

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मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष-2014 में सोरखा गांव में सक्रिय कुछ भू-माफियाओं ने सोरखा के खसरा नंबर-18 की 43 बीघे जमीन को गैर कानूनी ढंग से गैर कृषि भूमि यानि आबादी में दर्ज करा लिया था। दादरी तहसील के तत्कालीन उपजिला अधिकारी (SDM) ने धारा-143 के तहत इस बेशकीमती जमीन को आबादी की जमीन घोषित कर दिया। मजेदार बात यह है कि जब एसडीएम की अदालत में यह मामला चल रहा था तो नोएडा प्राधिकरण ने कोई आपत्ति तक दर्ज नहीं कराई। उस समय या तो प्राधिकरण के अफसर गहरी नींद में सो रहे थे या फिर वे भू-माफियाओं से मिले हुए थे।

जब प्राधिकरण को अपनी अधिसूचित जमीन को आबादी में दर्ज करने का आदेश मिला तो आनन-फानन में नोएडा प्राधिकरण ने एसडीएम की कोर्ट में रैस्ट्रोरेशन (पुनः सुनवाई) का प्रार्थना-पत्र दायर किया। एसडीएम ने रैस्ट्रोरेशन स्वीकृत करते हुए अपना पूर्ववर्ती फैसला बरकरार रखा और कहा कि धारा-143 की कार्यवाही विधि संवत की गई है। इस आदेश के बाद प्राधिकरण ने एक बार फिर रैस्ट्रोरेशन का प्रार्थना पत्र दायर किया। इस बार जमीन के इस “खेल ” में शामिल कुछ तथाकथित किसानों ने एसडीएम कोर्ट में लगाए गए रैस्ट्रोरेशन के विरूद्ध मेरठ मंडल के कमिश्नर की अदालत में वाद दायर कर दिया। तत्कालीन अपर कमिश्नर ने एसडीएम के आदेश को उचित ठहराते हुए दूसरे रैस्ट्रोरेशन को खारिज कर दिया। अपर कमिश्नर के फैसले के विरूद्ध नोएडा प्राधिकरण हाईकोर्ट की शरण में गया। उचित पैरोकारी व लचर तथ्यों के कारण प्राधिकरण हाईकोर्ट में भी केस को हार गया और सैकड़ों करोड़ की जमीन भू-माफियाओं के कब्जे में बनी हुई है।

हाल ही में प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्रीमती रितु माहेश्वरी के निर्देश पर नोएडा प्राधिकरण इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में गया है। कानून के जानकारों का मत है कि यदि प्राधिकरण के कर्ता-धर्ताओं ने एसडीएम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक की गई “कामचलाऊ” पैरोकारी की ही तरह सुप्रीम कोर्ट में भी इस केस को लड़ा तो प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट में भी इस केस को हार जाएगा। तब यह 650 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन प्राधिकरण के हाथों से निकल जाएगी और भू-माफियाओं की चांदी ही चांदी होगी।

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