Ghaziabad News: गाजियाबाद। कहते हैं राजनीतिक दलों व उनके नेताओं के बीच बात जब कुर्सी की आती है तो उसमें हर जंग जायज ठहराया जाता है। बात कर रहे हैं मेयर पद के लिए होने वाले चुनाव में टिकट को लेकर। मेयर टिकट को लेकर अबकी बार सांसद व विधायक में तलवारें तन गई हैं। सूत्रों पर भरोसा करें तो एमएलसी दिनेश गोयल ने राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल को खूब खरी खोटी सुनाई है। हालांकि, मेयर टिकट को लेकर पूर्व में भी विगत मेयर टिकट पाने को लेकर भाजपा में तनातनीं हुई थी नेताओं व कार्यर्ताओं के बीच लेकिन, अबकी बार तो हद हो गयी जब सांसद अनिल अग्रवाल व विधायक दिनेश गोयल इसके लिए खुलकर मैदान-ए-जंग में आ गए हैं।
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इसको लेकर एमएलसी दिनेश गोयल के पत्र ने भाजपा में खलबली मचा दी है। पत्र में सांसद एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह और राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल के बीच की दूरियों को जगजाहिर ज्यादा किया गया है। सांसद अनिल अग्रवाल पर वीके सिंह के खिलाफ माहौल बनाने का षडयंत्र करने और 2024 में अनिल अग्रवाल द्वारा चुनाव लड़ने की मंशा को भी जाहिर किया गया है। एमएलसी दिनेश गोयल के इस पत्र के बाद विपक्ष को भी बैठे बिठाए न केवल मुद्दा मिल गया है बल्कि अनुशासित कहे जाने वाली भाजपा में जनप्रतिनधि ही एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रतिस्पर्धा में लगे हैं।
बता दें, यह मामला 17 दिसंबर का है। सांसद अनिल अग्रवाल के नेतृत्व में शहर विधायक एवं पूर्व मंत्री अतुल गर्ग, लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा और महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा एमएलसी दिनेश गोयल के मेरठ रोड स्थित राजकुमार गोयल इंस्टीट्यूट के कार्यालय में मिले थे। इस बैठक का बाकायदा एमएलसी दिनेश गोयल की ओर से विज्ञप्ति व फोटो मीडिया को जारी किया गया था। विज्ञप्ति में बताया गया था कि निकाय चुनाव में पार्षद, सभासद व अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के इच्छुक भाजपा कार्यकर्ता टिकट के लिए आवेदन करने हेतू जनप्रतिनिधियों के परिजनों से न तो मुलाकात करेंगे और न ही दबाव डलवाएंगे। यह निर्णय उक्त बैठक में मौजूद सभी की सहमति से लिया गया था, विज्ञप्ति पर बैठक में मौजूद जनप्रतिनिधियों के हस्ताक्षर भी थे।
यह बैठक क्यों की गई और इसकी जरूरत क्यों पड़ी, इसका अंदाजा मीडिया को भी नहीं था लेकिन 18 दिसंबर को एमएलसी दिनेश गोयल ने फिर से मीडिया में अपने लेटरहेड पर ढाई पेज का खंडन पत्र जारी कर दिया। मीडिया में आए इस खंडन पत्र को प्रारंभिक में तो हल्के में लिया गया लेकिन जब पत्र का मजमून पढ़ा गया तो उसकी गंभीरता का पता चला। एमएलसी दिनेश गोयल ने 17 दिसंबर को अपने साथी जनप्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक से साफ पल्ला झाड़ते हुए सीधे तौर पर लिखा कि जो जनप्रतिनिधि उनके कार्यालय पर एक साथ होकर आए उनकी मंशा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा को मेयर के चुनाव को लेकर टिकट की पैरवी करना था, साथ ही जनप्रतिनिधियों के परिजनों से भाजपा कार्यकर्ताओं के मिलने पर प्रतिबंध लगाने की बात का भी खुलासा किया गया।
एमएलसी दिनेश गोयल ने साफ लिखा है कि यह सब स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह को लेकर जानबूझकर व षडयंत्र के तहत निर्णय लिया गया था। अनिल अग्रवाल 2024 का लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं इसलिए वे सांसद वीके सिंह के खिलाफ गोलबंदी कर रहे हैं। दिनेश गोयल ने पत्र में और भी कई गंभीर बातों का जिक्र किया है जिसके बाद भाजपा में तूफान खड़ा हो गया है। अनुशासित कहे जाने वाली भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधियों में शह और मात का खेल पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं दे रहा है। निकाय चुनाव की घोषणा हाईकोर्ट के आदेश आने के बाद कभी भी हो सकती है, ऐसे में संगठन पर क्या असर पड़ेगा और इसका नुकसान सीधे तौर पर भाजपा को ही उठाना पड़ सकता है।
उधर, सांसद अनिल अग्रवाल का कहना है कि उन्हें बेवजह टारगेट किया जा रहा है। अगर एमएलसी दिनेश गोयल को खंडन ही करना था तो ढाई पेज का लेटर लिखने की क्या जरूरत थी। वैसे बता दें कि सांसद अनिल अग्रवाल व सांसद वीके सिंह के बीच बढ़ रही दूरियों को शहर के लोग कई बार महसूस कर चुके हैं। पिछले दो माह के भीतर कई ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जिनमें वीके सिंह और अनिल अग्रवाल आमने-सामने आए हैं। जिला मुख्यालय में वीके सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में विधायकों व सांसद अनिल अग्रवाल का गायब रहना, सीएम योगी के प्रबुद्ध सम्मेलन में एक ही गाड़ी में विधायकों का सभास्थल पर पहुंचना और पुलिस द्वारा गाड़ी रोके जाना, यूनानी एम्स के वर्चुअली उद्घाटन समारोह में कुर्सी न लगाने और प्रोटोकोल के तहत रिसीव न करने के कारण सांसद अनिल अग्रवाल का कार्यक्रम स्थल से वापस आ जाना रहा है जबकि इस कार्यक्रम में सांसद वीके सिंह सपत्नी मौजूद रहे थे।
मीटिंग क्यों बुलाई, मुझे पता नहीं: वीके सिंह
इस संबंध में केंद्रीय मंत्री और सांसद वीके सिंह का कहना है कि यह मीटिंग क्यों बुलाई गई इसकी मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन इस मीटिंग से यह तो साफ हो गया कि एक राज्यसभा सदस्य की महत्वाकांक्षा जाग गई है, जबकि जहां तक मेरी जानकारी है जब उन्हें पार्टी ने सम्मान देते हुए राज्यसभा का सदस्य बनाया था उस समय में न तो वह पार्टी सदस्य थे और न ही उन्होंने पार्टी के लिए कुछ किया था। जहां तक मेयर पद की टिकट मांगने का सवाल है तो यह संगठन स्पष्ट कर चुका है कि मंडल अध्यक्ष के माध्यम से ही आवेदन किए जाएंगे। पार्टी का हित, अनुशासन और उसकी नीतियां सर्वोपरि हैं। जहां तक मेरे परिवार के सदस्यों का लोगों से मिलने का मामला है तो वह कोई गलत कार्य नहीं करते हैं। वे लोगों से मिलकर केवल मेरी अनुपस्थिति में उनकी समस्याओं के बारे में मुझे अवगत कराते हैं, ताकि लोगों को न्याय मिल सके। इसके बावजूद इस प्रकार की मीटिंग करना गलत है।
इस संबंध में राज्य सभा सांसद अनिल अग्रवाल का कहना है कि एमएलसी दिनेश गोयल ने जो लेटर जारी किया है, वह पूरी तरह गलत है। इसमें न तो महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा की मेयर को लेकर दावेदारी पर चर्चा हुई और न ही सांसद वीके सिंह के बारे में कुछ कहा गया। कल मीटिंग के संबंध में लेटर बनाया गया था, वह दिनेश गोयल के दफ्तर से निर्गत किया गया था।