MP News: बबीता आर्या/ भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है, जिसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। इस शहर की स्थापना 1709 में एफ़ैन्ड फ्रेंड मोहम्मद द्वारा की गई थी। नवाबों का शानदार शहर भोपाल, कला, परंपरा और संस्कृति की समृद्ध रूपों का संगम है। हालाकि भोपाल के शहर तीव्र गति से आधुनिकीकरण कर रहा है, पर यह अभी भी अपने अतीत के गौरव को रखने में कामयाब रहा है। इस शहर का बड़ा तालाब और छोटा तलाब बेहद लोकप्रिय हैं । भोपाल का बड़ा तालाब एशिया की सबसे बड़ी झील के तौर पर पहचाना जाता है। बाहर से भोपाल आने वाले सैलानी बड़ा तालाब को जरूर निहारने आते हैं । यहा पर लेकव्यू पाइंट भी लोगो के आकर्षण का केंद्र है ।
झीलों का शहर या ‘झेलोन का शीहर’ कहा जाता है
भोपाल में 17 से अधिक प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलें हैं और इसलिए इसे झीलों का शहर या ‘झेलोन का शीहर’ कहा जाता है। भोजताल, जिसे आमतौर पर ऊपरी झील के रूप में जाना जाता है, भोपाल की सबसे बड़ी और प्राचीन झील है। भोपाल कई पहाड़ियों पर बसा है जिनमें से कुछ हैं – श्यामला हिल्स, अरेरा हिल्स, कटारा हिल्स, दानिश हिल्स, वन टी हिल्स, ईदगाह हिल्स आदि !यहा झीलों के आलावा भी कई अन्य पर्यटक स्थल भी हैं जहा आप जरुर घूमना चाहेंगे।
बड़ी झील:Badi Lake
MP News: यह भोपाल के सबसे प्रसिद्ध स्थानों मे से एक हैं । यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मध्य मे स्थित मानव निर्मित झील है । इसका निर्माण 11वीं शताब्दी मे राजा भोज ने करवाया था। भोपाल के पश्चिमी भाग मे स्थित यह तालाब पीने के पानी का मुख्य स्रोत है । इसे एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी माना जाता है। भोपाल में एक कहावत है- “तालों में ताल भोपाल का ताल बाकी सब तलैया”, अर्थात “अगर सही अर्थों में तालाब कोई है तो वह है भोपाल का तालाब”। इसके आसपास कमला पार्क नामक एक बहुत बड़ा गार्डन है, जो इसकी शोभा को और बढ़ाता है। भोपाल की यह भव्य जल संरचना अंग्रेजी में “अपर लेक’ कहलाती है। इसे हिंदी में ‘बड़ा तालाब’ कहा जाता है।
छोटी झील: choti jheel
छोटा तालाब भोपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है, जो बड़ी झील के साथ जुड़ी हुई है। इन दोनों का विभाजन भोज सेतु कमला पार्क से होता है। कहा जाता है कि 1794 में झील का निर्माण शहर को और सुंदर बनाने के लिए नवाब हयात मोहम्मद खान बहादुर के एक विशेष मंत्री छोटे खान द्वारा करवाया गया था।झील में पहले के कई कुएं मिलाये गये थे। निचली झील ‘पुल पुख्ता’ नामक पुल के बगल में है। निचली झील का उल्लेख साहित्य में “पुख्ता-पुल तालाब” के रूप में भी किया गया है। शाम के समय इस झील के किनारे सैर करने का दृश्य बड़ा ही अविस्मरणीय होता है ।झील के पास मछली की आकृति का एक मछलीघर भी है, जिसमें बड़ी संख्या में अनेक रंग-बिरंगी मछलियां हैं।
भीमबेटका गुफाएं:Bhimbetka
MP News: भोपाल से लगभग 45 कि.मी. दक्षिण में स्थित भीमबेटका गुफाओं को यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। कहते हैं कि ये गुफाएं 30,000 साल से भी पुरानी हैं।गुफाएं भोपाल से तकरीबन 45 किलोमीटर दक्षिण में मौजूद हैं।इतना ही नहीं, ये भी कहा जाता है कि ये जगह महाभारत के भीम के चरित्र से संबंधित हैं और इसी वजह से इनका नाम भीमबेटका रखा गया था।गुफाओं के भीतर सुंदर रूप से गढ़ी गई चट्टानों की संरचनाएं, जो घने, हरी-भरी वनस्पतियों और लकड़ियों से घिरी हुई हैं, एक खूबसूरत अनुभव करवाती हैं। ये गुफाएँ वहा के पर्यटन के आकर्षक स्थानों में से एक है ।इन गुफाओं मे आपकों अद्धभुत कला के नमूने देखने को मिलेंगे।
सांची स्तूप :Stupas of Sanchi
स्तूप देश के सबसे फेमस बौद्ध स्मारकों में से एक है। कहा जाता है कि ये इमारत मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक के शासनकाल में बनाई गई थी। स्तूप के गुंबद में एक केंद्रीय तिजोरी भी है जहां भगवान बुद्ध के अवशेष संजो कर रखे गए हैं।माना जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनी यह इमारत मौर्य राजवंश के महान सम्राट अशोक के शासनकाल में बनाई गई थी।
मोती मस्जिद:Moti Masjid
अगर आपको इतिहास से प्रेम है तो आप भोपाल में मौजूद मोती मस्जिद का दीदार कर सकते हैं। सफेद संगमरमर से तैयार ये मस्जिद अपनी बेजोड़ वास्तुकला के लिए काफी फेमस है। कहा जाता है कि इस मस्जिद को महिला सिकंदर जहान बेगम ने बनवाया था। इस मस्जिद में एक भव्य आंगन भी मौजूद है जहां से आप शहर के कुछ खूबसूरत नज़ारों का दीदार कर सकते हैं।सुंदर, शुद्ध सफेद संगमरमर से तैयार की गई मस्जिद की वास्तुकला दिल्ली में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के समान है। स्मारक के चमकदार सफेद हिस्से ने इसे ‘पर्ल मस्जिद’ नाम दिया है, जिसमें एक भव्य आंगन है, जहां की खिड़की से आप शहर के कुछ खूबसूरत नजारे देख सकते हैं। इतिहास प्रेमियों के लिए मोती मस्जिद बैस्ट जगह है।