1600 साल से धंसने से बचा वेनिस, जानिए लकड़ी की अनोखी नींव का रहस्य
वेनिस की नींव सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि प्रकृति और इंसानी समझ का अद्भुत मेल है। बिना आधुनिक विज्ञान पढ़े, उस दौर के कारीगरों ने ऐसा निर्माण किया जो आज भी दुनिया के लिए प्रेरणा बना हुआ है। यह शहर साबित करता है कि टिकाऊ विकास सिर्फ नई तकनीक से नहीं, बल्कि प्रकृति को समझकर भी हासिल किया है।

दुनिया में जहां आधुनिक इमारतें स्टील और कंक्रीट की नींव पर खड़ी की जाती हैं, वहीं इटली का ऐतिहासिक शहर वेनिस पिछले करीब 1600 सालों से लकड़ी के खंभों पर टिका हुआ है। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यही अनोखी इंजीनियरिंग आज भी इस शहर को धंसने से बचाए हुए है।
वेनिस की नींव में लाखों छोटे-छोटे लकड़ी के खंभे ज़मीन में गाड़े गए हैं। इन्हें इस तरह लगाया गया है कि उनकी नुकीली नोक नीचे की ओर हो। यह पूरा ढांचा किसी “उल्टे जंगल” जैसा दिखता है, जो पानी, मिट्टी और लकड़ी के संतुलन से शहर को संभाले हुए है।
कैसे बनाई गई थी यह अनोखी नींव?
बता दें कि इतिहासकारों और इंजीनियरों के अनुसार, वेनिस में नींव बनाने की प्रक्रिया बेहद वैज्ञानिक थी, भले ही उस समय आधुनिक इंजीनियरिंग का ज्ञान मौजूद न रहा हो। एक वर्ग मीटर क्षेत्र में औसतन 9 लकड़ी के खंभे गाड़े जाते थे। खंभे लार्च, ओक, एल्डर, पाइन, स्प्रूस और एल्म जैसे पेड़ों से बनाए जाते थे। इनकी लंबाई 1 मीटर से लेकर 3.5 मीटर तक होती थी, खंभों को बाहर से केंद्र की ओर गोलाकार पैटर्न में लगाया जाता था, इसके ऊपर लकड़ी की क्षैतिज बीमें रखी जाती थीं, फिर पत्थरों से इमारतों का निर्माण किया जाता था।
चट्टान तक नहीं पहुंचते, फिर भी मज़बूत क्यों?
दिलचस्प बात यह है कि वेनिस के ये खंभे ज़मीन की ठोस चट्टान तक नहीं पहुंचते। इसके बावजूद वे इमारतों को संभालते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण है मिट्टी और खंभों के बीच पैदा होने वाला घर्षण। जब बहुत सारे खंभे पास-पास गाड़े जाते हैं, तो मिट्टी उन्हें कसकर पकड़ लेती है। इसी सिद्धांत को आज भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में बेहद अहम माना जाता है।
लकड़ी सड़ती क्यों नहीं?
आमतौर पर पानी में रहने से लकड़ी खराब हो जाती है, लेकिन वेनिस में ऐसा नहीं हुआ। शोध के मुताबिक मिट्टी लकड़ी को ऑक्सीजन से दूर रखती है, पानी लकड़ी की कोशिकाओं का आकार बनाए रखता है, बैक्टीरिया का असर बहुत धीमा होता है। हालांकि कुछ इमारतें धीरे-धीरे धंस रही हैं। उदाहरण के तौर पर, फ्रारी चर्च का घंटाघर हर साल लगभग 1 मिलीमीटर नीचे जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि पूरा सिस्टम अभी भी स्थिर है।
आधुनिक इंजीनियरिंग भी हैरान
बता दें कि स्विट्ज़रलैंड की ईटीएच यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अलेक्ज़ांडर प्यूज़्रिन के मुताबिक,आज की आधुनिक नींवों को आमतौर पर सिर्फ 50 साल की गारंटी के साथ बनाया जाता है, जबकि वेनिस की लकड़ी की नींव 1600 साल से खड़ी है। उनका कहना है कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर है जहां घर्षण-आधारित लकड़ी की नींव इतने बड़े पैमाने पर सफल रही है।
आज फिर लौट रही है लकड़ी
बता दें कि 19वीं और 20वीं सदी में कंक्रीट ने लकड़ी की जगह ले ली थी, लेकिन अब हाल के वर्षों में लकड़ी को फिर से एक आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि लकड़ी कार्बन को अवशोषित करती है, यह भूकंप-रोधी होती है, पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प है।
दुनिया में जहां आधुनिक इमारतें स्टील और कंक्रीट की नींव पर खड़ी की जाती हैं, वहीं इटली का ऐतिहासिक शहर वेनिस पिछले करीब 1600 सालों से लकड़ी के खंभों पर टिका हुआ है। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यही अनोखी इंजीनियरिंग आज भी इस शहर को धंसने से बचाए हुए है।
वेनिस की नींव में लाखों छोटे-छोटे लकड़ी के खंभे ज़मीन में गाड़े गए हैं। इन्हें इस तरह लगाया गया है कि उनकी नुकीली नोक नीचे की ओर हो। यह पूरा ढांचा किसी “उल्टे जंगल” जैसा दिखता है, जो पानी, मिट्टी और लकड़ी के संतुलन से शहर को संभाले हुए है।
कैसे बनाई गई थी यह अनोखी नींव?
बता दें कि इतिहासकारों और इंजीनियरों के अनुसार, वेनिस में नींव बनाने की प्रक्रिया बेहद वैज्ञानिक थी, भले ही उस समय आधुनिक इंजीनियरिंग का ज्ञान मौजूद न रहा हो। एक वर्ग मीटर क्षेत्र में औसतन 9 लकड़ी के खंभे गाड़े जाते थे। खंभे लार्च, ओक, एल्डर, पाइन, स्प्रूस और एल्म जैसे पेड़ों से बनाए जाते थे। इनकी लंबाई 1 मीटर से लेकर 3.5 मीटर तक होती थी, खंभों को बाहर से केंद्र की ओर गोलाकार पैटर्न में लगाया जाता था, इसके ऊपर लकड़ी की क्षैतिज बीमें रखी जाती थीं, फिर पत्थरों से इमारतों का निर्माण किया जाता था।
चट्टान तक नहीं पहुंचते, फिर भी मज़बूत क्यों?
दिलचस्प बात यह है कि वेनिस के ये खंभे ज़मीन की ठोस चट्टान तक नहीं पहुंचते। इसके बावजूद वे इमारतों को संभालते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण है मिट्टी और खंभों के बीच पैदा होने वाला घर्षण। जब बहुत सारे खंभे पास-पास गाड़े जाते हैं, तो मिट्टी उन्हें कसकर पकड़ लेती है। इसी सिद्धांत को आज भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में बेहद अहम माना जाता है।
लकड़ी सड़ती क्यों नहीं?
आमतौर पर पानी में रहने से लकड़ी खराब हो जाती है, लेकिन वेनिस में ऐसा नहीं हुआ। शोध के मुताबिक मिट्टी लकड़ी को ऑक्सीजन से दूर रखती है, पानी लकड़ी की कोशिकाओं का आकार बनाए रखता है, बैक्टीरिया का असर बहुत धीमा होता है। हालांकि कुछ इमारतें धीरे-धीरे धंस रही हैं। उदाहरण के तौर पर, फ्रारी चर्च का घंटाघर हर साल लगभग 1 मिलीमीटर नीचे जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि पूरा सिस्टम अभी भी स्थिर है।
आधुनिक इंजीनियरिंग भी हैरान
बता दें कि स्विट्ज़रलैंड की ईटीएच यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अलेक्ज़ांडर प्यूज़्रिन के मुताबिक,आज की आधुनिक नींवों को आमतौर पर सिर्फ 50 साल की गारंटी के साथ बनाया जाता है, जबकि वेनिस की लकड़ी की नींव 1600 साल से खड़ी है। उनका कहना है कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर है जहां घर्षण-आधारित लकड़ी की नींव इतने बड़े पैमाने पर सफल रही है।
आज फिर लौट रही है लकड़ी
बता दें कि 19वीं और 20वीं सदी में कंक्रीट ने लकड़ी की जगह ले ली थी, लेकिन अब हाल के वर्षों में लकड़ी को फिर से एक आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि लकड़ी कार्बन को अवशोषित करती है, यह भूकंप-रोधी होती है, पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प है।












