रियाद में बड़ा करार: भारत–सऊदी के बीच वीजा छूट समझौते पर लगी मुहर

भारतीय दूतावास ने एक्स (X) पर पोस्ट कर बताया कि यह पहल भारत–सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद के तहत द्विपक्षीय आवाजाही को आसान बनाएगी और आधिकारिक स्तर पर सहयोग को और गति देगी।

रियाद में हुए समझौते से द्विपक्षीय संबंधों को मिला नया रणनीतिक विस्तार
रियाद में हुए समझौते से द्विपक्षीय संबंधों को मिला नया रणनीतिक विस्तार
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar18 Dec 2025 10:17 AM
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India-Saudi Ties : भारत और सऊदी अरब के रिश्तों में एक और अहम पड़ाव जुड़ गया है। दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए द्विपक्षीय वीज़ा छूट समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता खासतौर पर राजनयिक, विशेष (स्पेशल) और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए लागू होगा, जिससे आधिकारिक यात्राएं अधिक सहज और तेज़ हो सकेंगी।

रियाद में हुआ समझौता

रियाद में भारत के राजदूत डॉ. सुहेल एजाज खान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय में प्रोटोकॉल मामलों के उप मंत्री अब्दुलमजीद बिन राशिद अलस्मारी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारतीय दूतावास ने एक्स (X) पर पोस्ट कर बताया कि यह पहल भारत–सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद के तहत द्विपक्षीय आवाजाही को आसान बनाएगी और आधिकारिक स्तर पर सहयोग को और गति देगी।

संसदीय कूटनीति को भी मिलेगा नया मंच

इससे पहले 5 दिसंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संकेत दिया था कि भारतीय संसद जल्द ही भारत–सऊदी अरब संसदीय मैत्री समूह का गठन करेगी। यह बात उन्होंने सऊदी अरब की शूरा परिषद से आई सऊदी-भारत संसदीय मैत्री समिति के अध्यक्ष मेजर जनरल अब्दुल रहमान बिन सनहत अल-हरबी के नेतृत्व वाले उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कही थी। प्रतिनिधिमंडल ने संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष से भेंट की थी।

संसदीय संवाद देशों के बीच मजबूत पुल

प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए ओम बिरला ने कहा था कि संसदीय कूटनीति देशों के बीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाती है। इससे आपसी समझ गहरी होती है, बेहतरीन प्रथाओं का आदान-प्रदान होता है और संस्थागत सहयोग मजबूत होता है। उन्होंने दोनों देशों की संसदीय समितियों के बीच नियमित संवाद को समय की जरूरत बताया।

भारत–सऊदी सहयोग को मिला रणनीतिक विस्तार

लोकसभा अध्यक्ष ने भारत और सऊदी अरब के सदियों पुराने धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों का उल्लेख करते हुए कहा था कि बीते एक दशक में लगातार उच्चस्तरीय संपर्कों ने रक्षा, ऊर्जा, क्षमता निर्माण और उभरते रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदारी को नई दिशा दी है। साथ ही उन्होंने सऊदी अरब में रहने वाले भारतीय समुदाय के प्रति सहयोग और समर्थन के लिए सऊदी नेतृत्व की सराहना भी की। बिरला के मुताबिक, सऊदी अरब में मौजूद भारतीय प्रवासी समुदाय ने अपनी मेहनत, अनुशासन और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान के दम पर वैश्विक स्तर पर सम्मान अर्जित किया है। India-Saudi Ties

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भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ खत्म करेगा अमेरिका, उठ रहे विरोध के सुर

सांसदों का तर्क है कि इस तरह के टैरिफ न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं, श्रमिकों और घरेलू उद्योगों पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने से महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई है।

tariff
डोनाल्ड ट्रंप
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar13 Dec 2025 01:36 PM
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Tariff Dispute : भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ को लेकर अब अमेरिका के भीतर ही विरोध तेज होता दिख रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के तीन सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपातकाल को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया है, जिसके आधार पर ये टैरिफ लगाए गए थे। सांसदों का तर्क है कि इस तरह के टैरिफ न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं, श्रमिकों और घरेलू उद्योगों पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने से महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई है।

अमेरिकी संसद में ट्रंप की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही

यह प्रस्ताव कांग्रेस सदस्य डेबोरा रॉस, मार्क वीजी और भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में लाया गया है। इन सांसदों ने राष्ट्रपति द्वारा आपातकालीन अधिकारों के इस्तेमाल को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि व्यापार नीति तय करने का अधिकार कांग्रेस के पास होना चाहिए, न कि कार्यपालिका के एकतरफा निर्णय से। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अमेरिकी संसद में ट्रंप प्रशासन की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही है। इससे पहले सीनेट में भी एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया जा चुका है, जिसका उद्देश्य ब्राजील पर लगाए गए समान टैरिफ को खत्म करना और भविष्य में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला देकर टैरिफ बढ़ाने की शक्ति को सीमित करना है।

टैरिफ नीति में जल्द पता चलगा अमेरिकी रुख

प्रतिनिधि सभा के सांसदों का मानना है कि यदि राष्ट्रपति को इस तरह से व्यापारिक फैसले लेने की खुली छूट दी जाती रही, तो अमेरिका की व्यापार नीति में अस्थिरता बनी रहेगी और वैश्विक साझेदार देशों के साथ संबंध और अधिक कमजोर हो सकते हैं। हालांकि, यह प्रस्ताव टैरिफ को तुरंत समाप्त नहीं करता, लेकिन इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका के भीतर ही अब इस आक्रामक व्यापार नीति को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। आने वाले समय में यह बहस यह तय करेगी कि क्या अमेरिका अपने रुख में नरमी लाएगा या टैरिफ नीति को जारी रखेगा।

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2034 वर्ल्ड कप: सऊदी बनेगा ग्लोबल स्पोर्ट्स हब, ‘विजन 2030’ को मिलेगा बल

रियाद, जेद्दा, दम्माम और नियोम इस बदलाव के ‘पावर सेंटर’ बन रहे हैं, जहां नए स्टेडियमों से लेकर होटल, ट्रांजिट सिस्टम और शहरी सुविधाओं तक एक पूरा इकोसिस्टम खड़ा करने की योजना है।

2034 के लिए सऊदी के ‘पावर सेंटर’ तैयार
2034 के लिए सऊदी के ‘पावर सेंटर’ तैयार
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar12 Dec 2025 11:18 AM
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Saudi Arab : सऊदी अरब ने 2034 फीफा विश्व कप की मेजबानी की सफल बोली के साथ खुद को वैश्विक खेल मानचित्र पर एक नए केंद्र के तौर पर स्थापित कर दिया है। अब दुनिया की निगाहें सऊदी अरब पर हैं और यही वजह है कि आने वाले दशक में यहां स्टेडियमों से लेकर एयरपोर्ट, हाई-स्पीड रेल, होटल, स्मार्ट सिटी और टूरिज्म इकोसिस्टम तक बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिलेगा। यह आयोजन सिर्फ फुटबॉल का टूर्नामेंट नहीं, बल्कि सऊदी अरब के Vision 2030 के उस रोडमैप का बड़ा पड़ाव है, जिसका लक्ष्य अर्थव्यवस्था में विविधता, रोजगार सृजन, निवेश आकर्षित करना और वैश्विक मेजबानी क्षमता को नई ऊंचाई देना है। सऊदी अरब के खेल मंत्री प्रिंस अब्दुलअज़ीज बिन तुर्की अल-फैसल के मुताबिक, 2034 वर्ल्ड कप “सऊदी अरब के फुटबॉल प्रेम के साथ-साथ नवाचार, स्थिरता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता” को भी दुनिया के सामने रखेगा। वहीं निवेश मंत्री डॉ. खालिद अल-फालिह ने संकेत दिए हैं कि वर्ल्ड कप को सऊदी अरब आर्थिक विकास और नई इंडस्ट्री के विस्तार के उत्प्रेरक की तरह देख रहा है।

सऊदी अरब में ‘मेगा-ट्रांसफॉर्मेशन’ का नया दौर

2034 वर्ल्ड कप को लेकर सऊदी अरब की तैयारी तीन साफ मोर्चों पर तेज़ी से आगे बढ़ रही है विश्वस्तरीय स्टेडियम और स्पोर्ट्स फैसिलिटीज, ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी का हाई-स्पीड नेटवर्क, और टूरिज्म-हॉस्पिटैलिटी के साथ स्मार्ट सिटी मॉडल। रियाद, जेद्दा, दम्माम और नियोम इस बदलाव के ‘पावर सेंटर’ बन रहे हैं, जहां नए स्टेडियमों से लेकर होटल, ट्रांजिट सिस्टम और शहरी सुविधाओं तक एक पूरा इकोसिस्टम खड़ा करने की योजना है। लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है सऊदी अरब सिर्फ मेजबानी नहीं करेगा, बल्कि दुनिया के सामने खुद को एक प्रीमियम “एक्सपीरियंस डेस्टिनेशन” के रूप में पेश करेगा।

स्टेडियमों की नई पहचान

सऊदी अरब की 2034 वर्ल्ड कप तैयारियों में अगर कोई चीज़ सबसे तेज़ी से “गेम-चेंजर” बनकर उभर रही है, तो वो है स्टेडियमों का महाप्रोजेक्ट। सरकार का प्लान साफ है कुछ बिल्कुल नए, कुछ पहले से निर्माणाधीन और कई मौजूदा मैदानों का ऐसा मेगा-रिनोवेशन कि वे फीफा की हर तकनीकी कसौटी पर खरे उतरें, और साथ ही हर स्टैंड, हर कॉन्कोर्स, हर डिजाइन-लाइन में “सऊदी पहचान” और स्थानीय संस्कृति की झलक भी दिखे।

प्रस्तावित बड़े वेन्यूज की तस्वीर कुछ यूं बन रही है

  1. रियाद एरिना (60,000 सीटें): राजधानी का यह स्टेडियम उद्घाटन और फाइनल जैसे हाई-वोल्टेज मुकाबलों का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। यहां फोकस सिर्फ सीटों की संख्या नहीं, बल्कि स्मार्ट-कंट्रोल सिस्टम, ऊर्जा दक्षता और भीड़ प्रबंधन की “प्रिसिजन प्लानिंग” पर रहेगा।
  2. जेद्दा स्पोर्ट्स सिटी (45,000 सीटें): लाल सागर के किनारे खेल ढांचे का विस्तार सऊदी के बड़े टूरिज्म विजन से सीधे जुड़ता दिख रहा है मैच का रोमांच और शहर का अनुभव, दोनों एक साथ।
  3. दम्माम डोम (50,000 क्षमता): पूर्वी प्रांत के लिए यह स्टेडियम मौसम के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाएगा ताकि दर्शकों का कंफर्ट और खेल की क्वालिटी, दोनों “ऑल-सीजन” बनी रहे।
  4. नियोम स्टेडियम: भविष्यवादी नियोम प्रोजेक्ट के भीतर बनने वाला यह वेन्यू टेक्नोलॉजी और एंटरटेनमेंट का नया चेहरा बन सकता है जहां फैन एक्सपीरियंस “फिजिकल + वर्चुअल” दोनों स्तर पर एकदम नई परिभाषा लेगा।

सबसे दिलचस्प बात यह पूरा निर्माण सिर्फ “बड़ा” नहीं, “हरित” भी बनाने की कोशिश है। सौर ऊर्जा, जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन और टिकाऊ निर्माण प्रणालियों को हर बड़े प्रोजेक्ट की रीढ़ बताया जा रहा है यानी 2034 के लिए सऊदी का लक्ष्य सिर्फ स्टेडियम खड़े करना नहीं, बल्कि एक नया ग्लोबल स्पोर्ट्स इकोसिस्टम खड़ा करना है।

सऊदी अरब को ‘एक देश-एक नेटवर्क’ में जोड़ने की तैयारी

वर्ल्ड कप सिर्फ 90 मिनट का खेल नहीं—यह लाखों लोगों की आवाजाही, शहरों की धड़कन और व्यवस्थाओं की असली परीक्षा होता है। इसी “मूवमेंट की सुनामी” को संभालने के लिए सऊदी अरब मैदान के बाहर सबसे बड़ा दांव कनेक्टिविटी पर लगा रहा है जहां आसमान, पटरियां और सड़कें तीनों एक साथ अपग्रेड होंगी।

1 - एयरपोर्ट विस्तार: रियाद के किंग खालिद इंटरनेशनल और जेद्दा के किंग अब्दुलअज़ीज इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर नए टर्मिनल, तेज ट्रांजिट सिस्टम और अतिरिक्त यात्री सुविधाओं की योजना है ताकि इंटरनेशनल फ्लो बिना अड़चन के चलता रहे।

2 - हाई-स्पीड रेल नेटवर्क: लक्ष्य है रियाद–जेद्दा–दम्माम–नियोम जैसे प्रमुख शहरों को तेज रफ्तार रेल से जोड़ना ताकि शहरों के बीच सफर “घंटों में” सिमट जाए और फैंस के लिए ट्रैवल उतना ही आसान हो जितना टिकट स्कैन करना।

3 - सड़क व पब्लिक ट्रांसपोर्ट: मेजबान शहरों में रोड नेटवर्क अपग्रेड, बेहतर बस सेवाएं और स्मार्ट मोबिलिटी मॉडल पर जोर रहेगा जिससे भीड़ का दबाव बंटे, ट्रैफिक कम हो और यात्रा ज्यादा व्यवस्थित व टिकाऊ बन सके।

कौन बना रहा है सऊदी अरब का वर्ल्ड कप इकोसिस्टम?

इस मेगा-ट्रांसफॉर्मेशन की असली “इंजीनियरिंग” सिर्फ कंक्रीट और स्टील से नहीं होगी इसके पीछे लोकल दिग्गजों और ग्लोबल प्लेयर्स का बड़ा नेटवर्क काम करेगा। Saudi Aramco ऊर्जा-कुशल सिस्टम और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस के जरिए प्रोजेक्ट्स को नई तकनीकी धार देने की तैयारी में दिख रही है। वहीं Saudi Binladin Group के पास रियाद-जेद्दा जैसे शहरों में बड़े निर्माण कार्यों की अहम जिम्मेदारी (योजनाओं के मुताबिक) आने की बात कही जा रही है। ACWA Power का फोकस सोलर और विंड जैसी रिन्यूएबल एनर्जी के जरिए स्टेडियमों और आसपास के इकोसिस्टम को स्थायी ऊर्जा सपोर्ट देने के रोडमैप पर है। और नियोम जैसे भविष्यवादी मेगा-प्रोजेक्ट्स में Bechtel की स्मार्ट ट्रांसपोर्ट व एडवांस इन्फ्रास्ट्रक्चर निगरानी/भागीदारी को लेकर चर्चाएं तेज हैं यानी वर्ल्ड कप 2034 का ब्लूप्रिंट अब कंपनियों की साझेदारी से “ग्राउंड पर” उतरने की दिशा में बढ़ रहा है। Saudi Arab

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