दुबई तथा अबू धाबी बने अमीरों की पहली पसंद, रहते हैं लाखों करोड़पति

संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी दुनिया की सबसे अमीर शहरों की राजधानी ही नहीं हैं बल्कि यह 200 देशों के बाशिंदों के सांझी संस्कृतियों का संगम बन गया है।संस्कृतिक विभवता इन देशों से आए लोगों की वजह से ही है। ये शहर आधुनिकता और पारंपरिक अमीराती मेहमानवाजी का संगम और जिन्दगी की लय है

दुबई–अबू धाबी अमीरों की नई ग्लोबल राजधानी
दुबई–अबू धाबी: अमीरों की नई ग्लोबल राजधानी
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar18 Dec 2025 05:42 PM
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Dubai News : दुबई तथा अबू धाबी दुनिया के अमीरों की पहली पसंद बन चुके हैं। दुबई से हमारे संवाददाता राकेश सूद ने एक रिपोर्ट भेजी है। दुबई से भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि अबू धाबी में कम से कम 82 हजार करोड़पति रहते हैं। दुबई तथा अबू धाबी में दुनिया भर के करोड़पतियों की संख्या हर रोज बढ़ती जा रही है। दुबई से भेजी गई राकेश सूद की रिपोर्ट को हम ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं।

दुबई की बगल में स्थित अबू धाबी बना दुनिया का आकर्षण

संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी दुनिया की सबसे अमीर शहरों की राजधानी ही नहीं हैं बल्कि यह 200 देशों के बाशिंदों के सांझी संस्कृतियों का संगम बन गया है।संस्कृतिक विभवता इन देशों से आए लोगों की वजह से ही है। ये शहर आधुनिकता और पारंपरिक अमीराती मेहमानवाजी का संगम और जिन्दगी की लय है। आलम ये है कि हर दूसरे जेट विमान से एक करोड़पति उत्तर कर भव्य महानगर अपना नया आशियाना बना रहा है। Henley &Pasteners की हाल ही मे जारी दुनियां के सबसे अमीर देशों की रिपोर्ट- 2025 के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात पिछले दशक में यहां आए करोड़पति लोगों की संख्या में 102 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की।  यहां पर लगभग 81,200 करोड़ पति रहते हैं। जिसमें 239   50 करोड़ पति जिनके पास 100 करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति है और 20 अरब पति है।  जो 100करोड़ डॉलर की संपति के मालिक है।आलम ये है कि अमीरात $ 2.3 ट्रिलियन Sovereign Wealth assets मैनेज करने वाला दुनिया सबसे धनी शहर बन गया है। वेल्थ मैनेजमेंट का काम अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथोरिटी (Abu Dhabi Investment Authority) और मुबादला (Mubadala) नामक संस्थान करते है।ये संस्थान सरकार की ओर से लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट्स में निवेश करते है।

दुबई तथा अबू धाबी के विकास का पूरा श्रेय फाउडिंग फादर को

इस सबका श्रेय जाता है संयुक्त अरब अमीरात के फाउंडिंग फादर शेख ज़ायद बिन सुल्तान अल नहयान और उनके विजन को। अमल में लाने वाली टैक्स फ्रेंडली, सख़्त कानून व्यवस्था और धर्म निरपेक्ष नीतियों शानदार जीवन शैली को जिनकी वजह से ये दुनिया भर के अरबपतियों को आकर्षित कर रहा है। यहां भव्य मस्जिदें भी है तो हिन्दू मंदिर भी है जिसके लिए सरकार ने निशुल्क ज़मीन दी है। लुर्ब आबूधाबी जैस विश्व प्रसिद्ध संग्रहालय और अब्राहमिक फैमिली हाउस भी। जो वासुदेव कुटुंबकम् की एक झलक है। वैश्विक संस्कृति और कला का संगम भोजन, भाषा, कला और साहित्य में भी दिखाई देते है। शहर की वास्तुकला जैसे गगनचुंबी इमारतें और पारंपरिक पवन टावर्स से प्रेरित स्ट्रक्चर्स विरासत और आधुनिकता के मिश्रण को दर्शाता है Dubai News


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रियाद में बड़ा करार: भारत–सऊदी के बीच वीजा छूट समझौते पर लगी मुहर

भारतीय दूतावास ने एक्स (X) पर पोस्ट कर बताया कि यह पहल भारत–सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद के तहत द्विपक्षीय आवाजाही को आसान बनाएगी और आधिकारिक स्तर पर सहयोग को और गति देगी।

रियाद में हुए समझौते से द्विपक्षीय संबंधों को मिला नया रणनीतिक विस्तार
रियाद में हुए समझौते से द्विपक्षीय संबंधों को मिला नया रणनीतिक विस्तार
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar18 Dec 2025 10:17 AM
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India-Saudi Ties : भारत और सऊदी अरब के रिश्तों में एक और अहम पड़ाव जुड़ गया है। दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए द्विपक्षीय वीज़ा छूट समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता खासतौर पर राजनयिक, विशेष (स्पेशल) और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए लागू होगा, जिससे आधिकारिक यात्राएं अधिक सहज और तेज़ हो सकेंगी।

रियाद में हुआ समझौता

रियाद में भारत के राजदूत डॉ. सुहेल एजाज खान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय में प्रोटोकॉल मामलों के उप मंत्री अब्दुलमजीद बिन राशिद अलस्मारी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारतीय दूतावास ने एक्स (X) पर पोस्ट कर बताया कि यह पहल भारत–सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद के तहत द्विपक्षीय आवाजाही को आसान बनाएगी और आधिकारिक स्तर पर सहयोग को और गति देगी।

संसदीय कूटनीति को भी मिलेगा नया मंच

इससे पहले 5 दिसंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संकेत दिया था कि भारतीय संसद जल्द ही भारत–सऊदी अरब संसदीय मैत्री समूह का गठन करेगी। यह बात उन्होंने सऊदी अरब की शूरा परिषद से आई सऊदी-भारत संसदीय मैत्री समिति के अध्यक्ष मेजर जनरल अब्दुल रहमान बिन सनहत अल-हरबी के नेतृत्व वाले उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कही थी। प्रतिनिधिमंडल ने संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष से भेंट की थी।

संसदीय संवाद देशों के बीच मजबूत पुल

प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए ओम बिरला ने कहा था कि संसदीय कूटनीति देशों के बीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाती है। इससे आपसी समझ गहरी होती है, बेहतरीन प्रथाओं का आदान-प्रदान होता है और संस्थागत सहयोग मजबूत होता है। उन्होंने दोनों देशों की संसदीय समितियों के बीच नियमित संवाद को समय की जरूरत बताया।

भारत–सऊदी सहयोग को मिला रणनीतिक विस्तार

लोकसभा अध्यक्ष ने भारत और सऊदी अरब के सदियों पुराने धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों का उल्लेख करते हुए कहा था कि बीते एक दशक में लगातार उच्चस्तरीय संपर्कों ने रक्षा, ऊर्जा, क्षमता निर्माण और उभरते रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदारी को नई दिशा दी है। साथ ही उन्होंने सऊदी अरब में रहने वाले भारतीय समुदाय के प्रति सहयोग और समर्थन के लिए सऊदी नेतृत्व की सराहना भी की। बिरला के मुताबिक, सऊदी अरब में मौजूद भारतीय प्रवासी समुदाय ने अपनी मेहनत, अनुशासन और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान के दम पर वैश्विक स्तर पर सम्मान अर्जित किया है। India-Saudi Ties

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भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ खत्म करेगा अमेरिका, उठ रहे विरोध के सुर

सांसदों का तर्क है कि इस तरह के टैरिफ न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं, श्रमिकों और घरेलू उद्योगों पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने से महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई है।

tariff
डोनाल्ड ट्रंप
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar13 Dec 2025 01:36 PM
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Tariff Dispute : भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ को लेकर अब अमेरिका के भीतर ही विरोध तेज होता दिख रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के तीन सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपातकाल को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया है, जिसके आधार पर ये टैरिफ लगाए गए थे। सांसदों का तर्क है कि इस तरह के टैरिफ न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं, श्रमिकों और घरेलू उद्योगों पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने से महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई है।

अमेरिकी संसद में ट्रंप की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही

यह प्रस्ताव कांग्रेस सदस्य डेबोरा रॉस, मार्क वीजी और भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में लाया गया है। इन सांसदों ने राष्ट्रपति द्वारा आपातकालीन अधिकारों के इस्तेमाल को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि व्यापार नीति तय करने का अधिकार कांग्रेस के पास होना चाहिए, न कि कार्यपालिका के एकतरफा निर्णय से। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अमेरिकी संसद में ट्रंप प्रशासन की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही है। इससे पहले सीनेट में भी एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया जा चुका है, जिसका उद्देश्य ब्राजील पर लगाए गए समान टैरिफ को खत्म करना और भविष्य में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला देकर टैरिफ बढ़ाने की शक्ति को सीमित करना है।

टैरिफ नीति में जल्द पता चलगा अमेरिकी रुख

प्रतिनिधि सभा के सांसदों का मानना है कि यदि राष्ट्रपति को इस तरह से व्यापारिक फैसले लेने की खुली छूट दी जाती रही, तो अमेरिका की व्यापार नीति में अस्थिरता बनी रहेगी और वैश्विक साझेदार देशों के साथ संबंध और अधिक कमजोर हो सकते हैं। हालांकि, यह प्रस्ताव टैरिफ को तुरंत समाप्त नहीं करता, लेकिन इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका के भीतर ही अब इस आक्रामक व्यापार नीति को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। आने वाले समय में यह बहस यह तय करेगी कि क्या अमेरिका अपने रुख में नरमी लाएगा या टैरिफ नीति को जारी रखेगा।

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