Monday, 20 May 2024

तालिबानियों के आतंक से महिलाएं दुर्दशा झेलने को मजबूर

अफगानिस्‍तान में तालिबानियों ने बड़े ही अक्रामक अंदाज में सत्ता हथ‍ियाकर वहां शासन करना शुरू कर दिया

तालिबानियों के आतंक से महिलाएं दुर्दशा झेलने को मजबूर

Taliban rule News काबुल। अफगानिस्‍तान में तालिबानियों ने बड़े ही अक्रामक अंदाज में सत्ता हथ‍ियाकर वहां शासन करना शुरू कर दिया। शुरू शुरू में लगा जैसे उनका ये कदम बहुत दिनों तक सफल नहीं होगा और वे अफगानिस्‍तान को छोड़ने के लिए बाध्‍य हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, शुरू में उन्‍होंने अपना रुख थोड़ा लचीला रखा। और देखते देखते वहां अपने कट्टरपंथी विचारधारा को लागू करते गये। वैसे तो अफगान‍िस्तान का हर शख्स इस वक्त तालिबान की दहशत से सहमा हुआ है। लेकिन आज तालिबानियों के कारण अफगानिस्‍तान में सबसे ज्‍यादा हालत महिलाओं की खराब है। वहां महिलाओं की हर गतिविध पर पहरा बैठा दिया गया है। महिलाएं अपना बेहतर सार्वजनिक जीवन जीना छोड़कर घरों में बैठने को मजबूर हो गई हैं। चाहे महिला पुलिस कर्मी हों या मेडिकल प्रोफेशन में काम करने वाली डाक्‍टर वगैरा सभी अपना प्राोफेशन छोड़कर घर बैठने के लिए मजबूर हो गई हैं।

Taliban rule News in hindi

महिला पुलिसकर्मियों की हाल बेहाल

अफगानिस्‍तान में लालिबानियों के राज के बाद सबसे ज्‍यादा दुर्दशा की शिकार बनी हैं वहां की महिलाएं। उन महिलाओं में भी सबसे ज्‍यादा नौकरी चाकरी करने के लिए घरों से बाहर निकलने वाली महिलाओं की दुर्दशा देखने को मिल रही हैं। अफगानिस्‍तान में महिला पुलिसकमियों का हालात इस तरह तालिबानियों के आतंक का शिकार हुआ है कि वहां की महिला पुलिसकर्मियों ने अपनी वर्दी जलाकर घरों में दुपककर रहना मंजूर कर लिया है। और जो वर्दी सहित पकड़ी गईं, उन सभी को तालिबान ने मौत के घाट उतार दिया।

महिला डाक्‍टरों का हाल भी बदहाल

अफगानिस्‍तान में लालिबानियों के राज के बाद जिस तरह की महिला प्रोफेशनल   शिकार बनी हैं उनमें वहां की महिला डाक्‍टर हैं। इन महिला डाक्‍टरों के हाल यह हैं कि उन्‍हें घरों में दुपककर रहना पड़ रहा है। और महिला डाक्‍टर घरों में सिलाई बुनाई का काम करने को मजबूर हैं। यह है वहां तालिबान के आतंक का नतीजा। डाक्‍टरी जैसा पवित्र कार्य छोड़कर सिलाई का काम करने पर उन महिलाओं पर क्‍या गुजर रही होगी यह अच्‍छे से समझा जा सकता है।

अफगान‍िस्तान के लोगों की सुरक्षा के लिए दुआएं

दुनिया के तमाम हिस्सों में भी अफगान‍िस्तान के लोगों की सुरक्षा के लिए दुआएं की जा रही हैं। अफगान‍िस्तान में ताल‍िबान का शासन आने से पहले वहां की सड़कें भी कभी मुस्कुराते चेहरों से गुलजार रहती थीं। ऐसे ही खुशनुमा माहौल में अफगान‍िस्तान की पहली मह‍िला फिल्म निर्देशक और निर्माता सबा सहर पैदा हुई थी। सबा सहर अफगान‍िस्तानी एक्ट्रेस और वहां की पहली मह‍िला फिल्म निर्देशक और निर्माता हैं। सबा का जन्म ऐसे काबुल में हुआ जहां रिकॉर्ड्स की दुकानें, थ‍िएटर्स और सिनेमा थ।. उन्हें हमेशा से ही एक्ट्रेस बनने की चाहत थी। सबा ने 8 साल की उम्र में काबुल थ‍िएटर में पहला स्टेज अपीयरेंस दिया। पर‍िवार की इजाजत के बगैर उठाए इस कदम के बावजूद उनके चेहरे पर अफसोस की एक श‍िकन तक नहीं थी। बाद में प‍िता ने उनकी परफॉर्मेंस देखी तो उन्होंने उसे अपनी दुआएं दे दी। उन्‍हें समय समय पर तालिबानियों के शासन के दौरान परेशानी आती रही। एक समय उनपर तालिबानियों ने गोलीबारी भी की थी लेकिन वे बच गईं। यहां तक कि एक समय उन्‍हें

जब अफगान‍िस्तान द्वारा चलाई जा रही फिल्म कंपनी के कई दफ्तर तबाह कर आग लगा दिए गए, तो इस हिंसक माहौल में सबा को देश छोड़कर पाक‍िस्तान जाना पड़ा। उनके कई दोस्त फिल्म देखते वक्त पकड़े गए और उन्हें पुलिस ने मौत के घाट उतार दिया। पाक‍िस्तान में रहते हुए सबा ने अमेर‍िका में आश्रय के लिए आवेदन किया और 2001 में उन्हें वीजा मिल गया। जब ताल‍िबान की हुकुमत ढह गई तब सबा ने वतन वापसी की। वह काबुल आईं और यहां अपनी प्रोडक्शन कंपनी स्थाप‍ित क।. उनके इस सफर में कुछ और भी बहादुर डायरेक्टर्स ने उनका साथ दिया। साथ मिलकर उन्होंने अफगान फिल्म इंडस्ट्री को नया जीवन देने का फैसला लिया। एक बार फि‍र तालिबानियों का शासन आने पर परेशानियों का सिलसिला शुरू हो गया।

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