यूक्रेन पर कब्जे की तैयारी, ड्रोन और गाइडेड बमों की बारिश के बीच रूस की बढ़त
रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बीते 24 घंटों में उसकी सेना ने यूक्रेन के कई अहम ठिकानों पर हमले किए। इनमें सैन्य उत्पादन से जुड़े केंद्र, ऊर्जा से जुड़ा बुनियादी ढांचा, परिवहन और लॉजिस्टिक नेटवर्क शामिल बताए गए हैं। रूस का कहना है कि इन हमलों से यूक्रेनी सेना की संचालन क्षमता पर असर पड़ा है।

Russia-Ukraine war : रूस-यूक्रेन युद्ध थमने के बजाय और ज्यादा तेज होता नजर आ रहा है। ताजा घटनाक्रम में रूस ने दावा किया है कि उसकी सेना यूक्रेन की लगभग सभी प्रमुख फ्रंटलाइनों पर आगे बढ़ रही है। हाल के दिनों में ड्रोन, गाइडेड एरियल बम और मिसाइल हमलों की संख्या में तेज बढ़ोतरी देखी गई है। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बीते 24 घंटों में उसकी सेना ने यूक्रेन के कई अहम ठिकानों पर हमले किए। इनमें सैन्य उत्पादन से जुड़े केंद्र, ऊर्जा से जुड़ा बुनियादी ढांचा, परिवहन और लॉजिस्टिक नेटवर्क शामिल बताए गए हैं। रूस का कहना है कि इन हमलों से यूक्रेनी सेना की संचालन क्षमता पर असर पड़ा है।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेन के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ ने स्वीकार किया है कि कुछ इलाकों में रूसी हमलों का दबाव काफी बढ़ गया है, जिसके चलते उनकी सेनाओं को रणनीतिक रूप से पीछे हटना पड़ा। हालांकि, यूक्रेन का यह भी दावा है कि कई मोर्चों पर रूसी हमलों को रोका गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के मुताबिक, सिर्फ एक हफ्ते के भीतर रूस ने लगभग 1,300 ड्रोन, करीब 1,200 गाइडेड एरियल बम का इस्तेमाल किया। उनका कहना है कि यह हमले सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा और नागरिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश भी हैं।क्या रूस बड़े कब्जे की तैयारी में हैयह सवाल सबसे अहम है, लेकिन इसका जवाब सीधा हां या नहीं में देना मुश्किल है। विशेषज्ञों के अनुसार रूस फिलहाल तेज कब्जे के बजाय यूक्रेन को धीरे-धीरे कमजोर करने की नीति पर काम कर रहा है। लगातार हमलों का उद्देश्य यूक्रेनी सेना, उसकी सप्लाई और एयर डिफेंस सिस्टम को थकाना हो सकता है। रूस को कुछ इलाकों में जमीन पर बढ़त जरूर मिली है, लेकिन यह अब तक ऐसा निर्णायक हमला नहीं माना जा रहा जिससे पूरे देश पर नियंत्रण संभव होदबाव की राजनीति
इतने बड़े पैमाने पर हमले पश्चिमी देशों को यह संदेश देने की कोशिश भी हो सकते हैं कि रूस लंबी जंग के लिए तैयार है और पीछे हटने के मूड में नहीं है। फिलहाल जो हालात दिख रहे हैं, उनसे यही संकेत मिलता है कि रूस का लक्ष्य तुरंत पूरे यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं
बल्कि ज्यादा से ज्यादा रणनीतिक इलाकों पर नियंत्रण, यूक्रेन को कमजोर करना और भविष्य की बातचीत में मजबूत स्थिति बनाना है।
यह युद्ध अभी लंबा चल सकता है और दोनों पक्षों के दावों को संतुलन के साथ समझना जरूरी है।
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Russia-Ukraine war : रूस-यूक्रेन युद्ध थमने के बजाय और ज्यादा तेज होता नजर आ रहा है। ताजा घटनाक्रम में रूस ने दावा किया है कि उसकी सेना यूक्रेन की लगभग सभी प्रमुख फ्रंटलाइनों पर आगे बढ़ रही है। हाल के दिनों में ड्रोन, गाइडेड एरियल बम और मिसाइल हमलों की संख्या में तेज बढ़ोतरी देखी गई है। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बीते 24 घंटों में उसकी सेना ने यूक्रेन के कई अहम ठिकानों पर हमले किए। इनमें सैन्य उत्पादन से जुड़े केंद्र, ऊर्जा से जुड़ा बुनियादी ढांचा, परिवहन और लॉजिस्टिक नेटवर्क शामिल बताए गए हैं। रूस का कहना है कि इन हमलों से यूक्रेनी सेना की संचालन क्षमता पर असर पड़ा है।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेन के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ ने स्वीकार किया है कि कुछ इलाकों में रूसी हमलों का दबाव काफी बढ़ गया है, जिसके चलते उनकी सेनाओं को रणनीतिक रूप से पीछे हटना पड़ा। हालांकि, यूक्रेन का यह भी दावा है कि कई मोर्चों पर रूसी हमलों को रोका गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के मुताबिक, सिर्फ एक हफ्ते के भीतर रूस ने लगभग 1,300 ड्रोन, करीब 1,200 गाइडेड एरियल बम का इस्तेमाल किया। उनका कहना है कि यह हमले सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा और नागरिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश भी हैं।क्या रूस बड़े कब्जे की तैयारी में हैयह सवाल सबसे अहम है, लेकिन इसका जवाब सीधा हां या नहीं में देना मुश्किल है। विशेषज्ञों के अनुसार रूस फिलहाल तेज कब्जे के बजाय यूक्रेन को धीरे-धीरे कमजोर करने की नीति पर काम कर रहा है। लगातार हमलों का उद्देश्य यूक्रेनी सेना, उसकी सप्लाई और एयर डिफेंस सिस्टम को थकाना हो सकता है। रूस को कुछ इलाकों में जमीन पर बढ़त जरूर मिली है, लेकिन यह अब तक ऐसा निर्णायक हमला नहीं माना जा रहा जिससे पूरे देश पर नियंत्रण संभव होदबाव की राजनीति
इतने बड़े पैमाने पर हमले पश्चिमी देशों को यह संदेश देने की कोशिश भी हो सकते हैं कि रूस लंबी जंग के लिए तैयार है और पीछे हटने के मूड में नहीं है। फिलहाल जो हालात दिख रहे हैं, उनसे यही संकेत मिलता है कि रूस का लक्ष्य तुरंत पूरे यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं
बल्कि ज्यादा से ज्यादा रणनीतिक इलाकों पर नियंत्रण, यूक्रेन को कमजोर करना और भविष्य की बातचीत में मजबूत स्थिति बनाना है।
यह युद्ध अभी लंबा चल सकता है और दोनों पक्षों के दावों को संतुलन के साथ समझना जरूरी है।
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