West Bengal News : बहन की शादी बचाने को भाई ने दे दी जान

Hanging
Noida News: Wife went to market, husband hanged himself
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 05:32 AM
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West Bengal News :  पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में 23 वर्षीय एक युवक ने अपनी बहन की वैवाहिक जिंदगी बचाने के लिए आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बताया यह घटना सोमवार को नघाटा में हुई। पुलिस के मुताबिक, युवक के शव के साथ मिले पत्र (सुसाइड नोट) में हंसखली निवासी बहनोई को दोषी ठहराया गया है, जो अक्सर पैसे और उपहार की मांग करते हुए उसकी बहन के साथ मारपीट करता था। पत्र के मुताबिक, पीड़ित के परिवार के लिए आए दिन होने वाली यह मांग पूरी करना संभव नहीं था।

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  परिवार के सदस्यों के मुताबिक, मृतक की बहन ने भी पहले आत्महत्या का प्रयास किया था लेकिन वह सौभाग्य से बच गई। उन्होंने कहा कि मृतक के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं। बहनोई की मांगों को पूरा करने के लिए युवक ने एक छोटी-मोटी नौकरी शुरू कर दी थी।उन्होंने बताया कि एक सप्ताह युवक की बहन को उसके पति ने मार-पीट कर घर से निकाल दिया और वह अपने माता-पिता के पास लौट आई।

Heartfelt Tribute : ‘हिन्दी संघर्ष’ के राष्ट्रीय प्रतीक थे डॉ. वेद प्रताप वैदिक

रविवार को भजनघाट ग्रामीण मेले में दोनों परिवारों के बीच झगड़ा हो गया। युवक के बहनोई ने युवक से कथित तौर पर कहा था कि उसकी बहन उसकी मौत के बाद ही वापस आ सकती है।अगली सुबह युवक का शव उसके कमरे में लटका मिला और सुसाइड नोट में बहनोई पर आरोप लगाने के अलावा घटना का जिक्र किया गया था। युवक के पिता द्वारा कृष्णगंज थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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Heartfelt Tribute : 'हिन्दी संघर्ष' के राष्ट्रीय प्रतीक थे डॉ. वेद प्रताप वैदिक

Vaidik 2
Dr. Ved Pratap Vaidik was the national symbol of 'Hindi struggle'
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:03 AM
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नई दिल्ली। डॉ. वेद प्रताप वैदिक भारत के प्रख्यात लेखक, पत्रकार, विचारक व स्वप्नद्रष्टा रहे हैं। उनके विचार, स्वप्न, लेखन और पत्रकारिता सहज ही हमारे दिलो दिमाग में घर कर जाते हैं। उनकी पहचान यहीं तक सीमित नहीं है। वह हिंदी के प्रखर समर्थक रहे हैं। सच कहें तो डॉ. वेद प्रताप वैदिक हिंदी भाषा के सिर्फ प्रबल समर्थक ही नहीं, समूचा आंदोलन थे, या यूं कहें कि वह हिंदी सत्याग्रही थे। उनका हमारे बीच से यूं अचानक चले जाना गहरी टीस दे गया। बेशक वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी काबिलियत और महान शख्सियत हमेशा हमें उनकी याद दिलाती रहेगी।

Heartfelt Tribute

डॉ. वेद प्रताप वैदिक के जानने वाले कहते हैं कि हिंदी को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाने का जो आंदोलन उन्होंने छेड़ा, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके जानने वाले तो यहां तक कहते हैं कि भारत में उनके आंदोलन के कारण ही यूपीएससी और कानून की परीक्षाओं के लिए हिंदी भाषा को मान्यता दी गई। दरअसल, डॉ. वैदिक ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडी से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान रहे हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर रिसर्च पेपर हिंदी में लिखा। इसी कारण उन्हें जेएनयू से निष्कासित कर दिया गया। साल 1965-67 में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि संसद में इस पर जबरदस्त हंगामा हुआ। इस मसले पर डॉ. राम मनोहर लोहिया, मधु लिमये, आचार्य कृपलानी, हीरेन मुखर्जी, प्रकाशवीर शास्त्री, अटल बिहारी वाजपेयी, चन्द्रशेखर, भागवत झा आजाद, हेम बरुआ आदि ने वैदिक का समर्थन किया। आखिर, तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गान्धी की पहल पर ‘स्कूल’ के संविधान में संशोधन हुआ और वैदिक को वापस लिया गया। इसके बाद वे हिन्दी-संघर्ष के राष्ट्रीय प्रतीक बन गये।

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डॉ. वैदिक कुछ साथियों का यह भी कहना है कि उन्होंने अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ 13 वर्ष की आयु में की थी। हिंदी सत्याग्रही के तौर पर वे 1957 में पटियाला जेल में रहे। डॉ. वेद प्रताप वैदिक की गणना उन लेखकों और पत्रकारों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया। यद्यपि वह रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत समेत कई भाषाओं के जानकार थे, लेकिन उनका हिंदी प्रेम गजब का था। हिन्दी को भारत और विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में वह सदा प्रयत्नशील रहे। भाषा के सवाल पर स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी और डॉ. राम मनोहर लोहिया की परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में डॉ. वैदिक सबसे आगे रहे। अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में डॉ. वैदिक का नाम अग्रणी है। उन्होंने सन् 1958 से ही पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी।

Heartfelt Tribute

डॉ. वैदिक ने पिछले पांच दशकों तक हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिये अनेक आन्दोलन चलाये। अपने चिन्तन व लेखन से यह सिद्ध किया कि स्वभाषा में किया गया काम अंग्रेजी के मुकाबले कहीं बेहतर हो सकता है। उन्होंने एक लघु पुस्तिका अंग्रेजी में भी लिखी, जिसमें तर्कपूर्ण ढंग से यह बताया कि कोई भी स्वाभिमानी और विकसित राष्ट्र अंग्रेजी में नहीं, बल्कि अपनी मातृभाषा में सारा काम करता है। उनका विचार है कि भारत में अनेकानेक स्थानों पर अंग्रेजी की अनिवार्यता के कारण ही आरक्षण अपरिहार्य हो गया है, जबकि इस देश में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।

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एक पत्रकार, शोध छात्र और वक्ता के रूप में उन्होंने दुनिया के करीब 80 देशों की यात्राएं कीं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के साथ भी यात्राएं करने का उन्हें मौका मिला। साल 1999 में वे संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर व्याख्यान देने के लिए भी आमंत्रित किए गए थे। भारतीय विदेश नीति के चिन्तन और संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। उन्हें विश्व हिंदी सम्मान (2003), महात्मा गांधी सम्मान (2008) सहित कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Ram Mandir : राम भक्तों के लिए खुशखबरी, जनवरी 2024 से कर सकेंगे अयोध्या के मंदिर में राम लला के दर्शन

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Ram Mandir in Ayodhya
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 05:26 AM
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Ram Mandir :  भगवान राम की राजधानी रही अयोध्या नगरी में श्रीराम का भव्य मंदिर इसी वर्ष दिसंबर में बनकर तैयार हो जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक ट्रस्टी ने दावा किया है कि 1 जनवरी 2024 से रामभक्तों को अयोध्या के मंदिर में भगवान राम के दर्शन होने लगेंगे। ट्रस्टी ने बताया कि मंदिर का 60 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो गया है। इस बीच यह भी खबर आ रही है कि राम मंदिर का मुख्य द्वार महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में स्थित चन्द्रपुर के जंगलों मंे पाई जाने वाली सागौन की लकड़ी से बनाया जाएगा।

Ram Mandir :

  1 जनवरी 2024 से शुरू होंगे भगवान श्रीराम के दर्शन सब जानते हैं कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया था। कोर्ट ने मंदिर बनाने के लिए सरकार को एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया था। सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नाम से ट्रस्ट का गठन किया था। इसी ट्रस्ट की देखरेख में अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनाया जा रहा है। ट्रस्ट का दावा है कि श्रीराम मंदिर के निर्माण का 60 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। अक्टूबर 2023 तक  का मंदिर का ग्रांउड फ्लोर बनकर तैयार हो जाएगा। सब-कुछ योजना के अनुसार चलता रहा तो 1 जनवरी 2024 से अयोध्या के मंदिर में राम के भक्त भगवान रामलला के दर्शन कर पाएंगे। 1800 करोड़ रूपए में बनेगा मंदिर टापको बता दें कि अयोध्या का श्रीराम मंदिर 108 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। इतने बड़े भू-भाग पर बनने वाला यह विश्व का पहला मंदिर होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस मंदिर को बनाने के लिए 1800 करोड़ रूपए का बजट निर्धारित किया है। यानि कि इस मंदिर को बनाने पर 1800 करोड़ रूपए खर्च होंगे। ट्रस्ट पहले ही घोषणा कर चुका है कि अयोध्या में बनने वाला भगवान श्रीराम का यह मंदिर दुनिया का सबसे भव्य एवं दिव्य मंदिर होगा। विदर्भ के सागौन की लकड़ी से बनेगा मंदिर का द्वार आपको बता दें कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में स्थित चंद्रपुर के जंगल में पाई जाने वाली बेशकीमत सागौन की लकड़ी से अयोध्या के राममंदिर का मुख्य द्वार (दरवाजा) बनाया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने चंद्रपुर से लकड़ी मंगाने की सारी व्यवस्था कर ली है। इसी महीने की 29 तारीख (29 मार्च 2023) को चंद्रपुर से सबसे कीमती मानी जाने वाली सागौन की लकड़ी अयोध्या भेजी जाएगी। सब जानते हैं कि विदर्भ के चंद्रपुर में अनेक घने जंगल मौजूद हैं। इन जंगलों में उच्च दर्जे की सागौन के वृक्ष पैदा होते हैं। सागौन के इन वृक्षों की लकड़ी को बेशकीमत माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर दिल्ली में बने नए संसद भवन वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में भी चंद्रपुर के सागौन की लकड़ी इस्तेमाल की गयी है।

Maharashtra News : भारत को 2026 तक हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाएगा: टी राजा सिंह

क्या है मंदिर का महत्व आपको पता ही होगा कि अयोध्या का बाबरी मस्जिद विवाद अनेक दशकों तक भारत का सबसे बड़ा विवाद रहा। इस विवाद को लेकर अनेक बार देश भर में दंगे हुए। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), विश्व हिन्दु परिषद (बीएचपी) एवं बजरंग दल समेत अनेक हिन्दुवादी संगठनों ने इस मुददे पर लम्बी लड़ाई लड़ी। 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहा दिया था। लम्बी अदालती लड़ाई के बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या को राम की जन्मभूमि मानते हुए वहां मंदिर बनाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। तमाम हिन्दुओं मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में  इसी स्थान पर हुआ था। जहां यह मंदिर बनाया जा रहा है। इसलिए इस मंदिर में भगवान श्रीराम के दर्शन करने का विशेष महत्व माना जा रहा है। इस मंदिर के कारण ही पूरा अयोध्या क्षेत्र विश्व का प्रमुख पर्यटन स्थल बनकर उभरेगा। इन दिनों पूरे क्षेत्र में पर्यटन की दृष्टि से बड़े पैमाने पर विकास कार्य चल रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में होटल, गेस्ट हाउस एवं रेस्टोरेंट आदि स्थापित हो रहे हैं।

UP News : चैत्र नवरात्रि के दौरान राज्य भर में विशेष धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे आयोजित