Saturday, 4 May 2024

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वोट के लिए नोट लिया तो बनेगा केस

Bribes For Vote Case : सोमवार (04 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट की ओर से वोट के बदले नोट को लेकर…

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वोट के लिए नोट लिया तो बनेगा केस

Bribes For Vote Case : सोमवार (04 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट की ओर से वोट के बदले नोट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है। जिसमें कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि अब अगर सांसद पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देते हैं, तो उनके खिलाफ केस चलाया जा सकेगा। यानी अब सांसदों को इस मामले में कानूनी छूट नहीं मिल सकेगी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पिछले फैसले को पटल दिया है।

नरसिम्हा राव के फैसले को पलटा

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने साल 1998 के नरसिम्हा राव के फैसले को पलटा है। साल 1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि इस मुद्दे को लेकर जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। जिस सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया। इस फैसले के बाद अब सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेकर मुकदमे की कार्रवाई से नहीं बच सकते हैं।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सुनाया फैसला

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने यह अहम फैसला सुनाया है। फैसले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 105 या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी गई है, क्योंकि रिश्वतखोरी में लिप्त सदस्य एक आपराधिक कृत्य में लिप्त होता है। पीठ ने कहा कि हम पीवी नरसिम्हा मामले में फैसले से असहमत हैं। पीवी नरसिम्हा मामले में फैसले, जो विधायक को वोट देने या भाषण देने के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेने से छूट प्रदान करता है, के व्यापक प्रभाव हैं और इसे खारिज कर दिया है। साथ ही पीठ ने कहा कि विधायकों की ओर से भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देती है।

Bribes For Vote Case

7 सदस्यीय पीठ ने सुनाया फैसला

वोट के बदले नोट मामले की सुनावई 7 सदस्यीय पीठ को सौंपा गया था। तब कहा गया था कि यह मसला राजनीतिक सदाचार से जुड़ा हुआ है। यह भी कहा गया था कि संसद और विधानसभा सदस्यों को छूट का प्रावधान इसलिए दिया गया है, ताकि वे मुक्त वातावरण और बिना किसी परिणाम की चिंता के अपने दायित्व का पालन कर सकें। वहीं अब इस फैसले को 25 साल बाद 7 सदस्यीय पीठ ने बदल दिया है।

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