Bihar Assembly Elections 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं राजनीतिक दलों ने अपने-अपने चुनावी तरकश से पुराने तीर निकालने शुरू कर दिए हैं। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को एक बार फिर वही मुद्दा हाथ लग गया है, जिसने साल 2015 के चुनाव में NDA को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इस बार भी संविधान और आरक्षण ही लालू यादव का चुनावी ब्रह्मास्त्र बनने जा रहा है।
2015 की रणनीति फिर सक्रिय
2015 में RSS प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा संबंधी बयान को लालू यादव ने जबरदस्त तरीके से भुनाया था। उस चुनाव में RJD-जेडीयू-कांग्रेस के महागठबंधन ने भाजपा को हराया और सत्ता में वापसी की। इस बार RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के ‘संविधान से समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाने’ संबंधी बयान ने लालू को एक बार फिर मुद्दा दे दिया है। लालू ने तीखा हमला करते हुए कहा है, “RSS जैसे जातिवादी संगठन को संविधान बदलने की बात कहने की हिम्मत कैसे हुई? बाबा साहब के संविधान की तरफ़ आंख उठाकर भी नहीं देख सकते ये लोग।”
विपक्ष फिर संविधान के सवाल पर हमलावर
सिर्फ लालू ही नहीं, कांग्रेस समेत पूरा INDIA गठबंधन इस बयान को लेकर भाजपा पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही हर मंच से संविधान की रक्षा की बात करते आए हैं और अक्सर संविधान की प्रति हाथ में लेकर नजर आते हैं। बिहार कांग्रेस भी संविधान को लेकर लगातार कार्यक्रम आयोजित कर रही है और अब इस मुद्दे को पूरी ताकत के साथ चुनावी मोर्चे पर लाने की तैयारी कर रही है।
रोजगार और पलायन भी एजेंडे में
महागठबंधन के लिए रोजगार और पलायन के मुद्दे भी अहम हैं। 2020 के चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर तेजस्वी यादव ने बड़ी संख्या में युवाओं को अपने साथ जोड़ा था और सत्ता की दहलीज तक पहुंच गए थे। इस बार भी RSS के राष्ट्रीय अध्यक्ष कन्हैया कुमार को इस एजेंडे पर जमीन पर उतारा गया है। कन्हैया बिहार में रोजगार यात्रा निकाल चुके हैं। वहीं महागठबंधन से अलग प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज यात्रा’ भी पलायन रोकने के वादे पर केंद्रित है।
लालू की सक्रियता बढ़ी
बीमारी और उम्र के बावजूद लालू प्रसाद यादव इस बार पूरी सक्रियता से चुनावी मैदान में उतरने के संकेत दे रहे हैं। पार्टी के पुनर्निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में वे तेजस्वी यादव के लिए मजबूत जमीन तैयार कर रहे हैं। भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में लालू को जो वैचारिक हथियार आरएसएस ने 2015 में दिया था, वैसा ही बयान इस बार भी मिल गया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि तेजस्वी की ताजपोशी की राह में लालू एक बार फिर आरक्षण और संविधान को प्रमुख मुद्दा बना सकते हैं।
भाजपा पर सीधा हमला
विपक्ष का तर्क है कि भाजपा सरकार संविधान और आरक्षण के खिलाफ है, लेकिन यह भी सच है कि 10 वर्षों के शासन में केंद्र ने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे संविधान की मूल संरचना पर खतरा दिखे। बावजूद इसके, विपक्ष इस नैरेटिव को भुनाने में जुटा है क्योंकि हालिया लोकसभा चुनाव में इसे कुछ हद तक सफलता मिली सत्ता तो नहीं, लेकिन संसद में सीटों की संख्या जरूर बढ़ी।
बिहार चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक शतरंज की बिसात बिछ चुकी है। लालू यादव अपने पुराने और आजमाए गए हथियार फिर से निकाल लाए हैं संविधान, आरक्षण और संघ पर हमला। अब देखना यह है कि क्या यह ब्रह्मास्त्र एक बार फिर तेजस्वी की ताजपोशी में निर्णायक भूमिका निभा सकेगा या जनता इस बार किसी नए एजेंडे पर वोट देगी। Bihar Assembly Elections 2025
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