Thursday, 20 March 2025

300 साल पुरानी बेड़ियां तोड़, 130 दलित परिवारों ने गिधेश्वर शिव मंदिर में रखा कदम, किया रुद्राभिषेक

पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले से एक बड़ी खबर सामने आई हैं। यहां 300 साल पुरानी जातीय बेड़ियों को…

300 साल पुरानी बेड़ियां तोड़, 130 दलित परिवारों ने गिधेश्वर शिव मंदिर में रखा कदम, किया रुद्राभिषेक

पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले से एक बड़ी खबर सामने आई हैं। यहां 300 साल पुरानी जातीय बेड़ियों को तोड़कर एक ऐसा इतिहास रचा गया है, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। यहां के एक गांव गिधग्राम के दासपारा इलाके में स्थित गिधेश्वर शिव मंदिर में, जातीय बेड़ियों को तोड़कर, 130 दलित परिवारों ने पहली बार पूजा अर्चना की। प्रशासन की देखरेख में दलित परिवारों ने शिवलिंग पर दूध चढ़ाया और जलाभिषेक किया। जिन्हें अब तक इस मंदिर में प्रवेश भी नहीं मिल रहा था उनके लिए यह एक ऐतिहासिक पल था।

300 साल बाद दलित परिवारों ने रखा गिधेश्वर शिव मंदिर में कदम:

पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले के गांव गिधग्राम के दासपारा इलाके में स्थित गिधेश्वर शिव मंदिर में अब तक दलित परिवारों को कदम रखने के इजाजत नहीं थी। 300 साल पुराने इस मंदिर में अब तक ऊंची जातियों के लोगों को ही पूजा अर्चना करने की इजाजत थी और यह मंदिर उन्हीं का वर्चस्व बना हुआ था। वही दलित परिवार पिछले 300 साल से मंदिर में प्रवेश पाने की इजाजत के लिए दरबदर ठोकरे खा रहे थे।

इस महाशिवरात्रि एक बार फिर दलित परिवारों ने मंदिर में पूजा अर्चना की कोशिश की तो उन्हें मंदिर से जबरदस्ती बाहर कर दिया गया। दलित परिवारों ने जब प्रशासन से इसके लिए मदद मांगी, तो गांव के उच्च वर्ग के लोगों ने आर्थिक बहिष्कार करके तंग करना शुरू किया। हालांकि बाद में प्रशासनिक दबाव में आकर गांव के मुखिया को उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाजत देनी पड़ी। लेकिन दलितों में अभी भी इस बात का भ्रम बना हुआ है कि ये इजाजत उन्हें स्थाई रूप से मिली है, या सिर्फ प्रशासन के दबाव में यह मौका मिला है।

एककोरी दास नाम के दलित ग्रामीण ने इस मामले में कहा कि – ““हमें स्थानीय प्रशासन और पुलिस से बहुत समर्थन मिला, लेकिन हमें देखना होगा कि यह स्थिति स्थायी रहती है या नहीं”।

टूटी 300 साल पुरानी जातीय रूढ़िवादिता:

पश्चिम बंगाल के शिव मंदिर में दलित परिवार के प्रवेश के साथ 300 साल पुरानी जातीय रूढ़िवादिता टूटी है। 12 मार्च सुबह 10 बजे प्रशासन के निगरानी में दास परिवार के पांच सदस्यों का एक समूह मंदिर की सीढ़ियां चढ़ा। इनमें चार महिलाएं और एक पुरुष शामिल थे। उन्होंने बिना किसी बाधा के महादेव की पूजा की। यह मौका उन परिवारों के लिए ऐतिहासिक था, जिन्हें अब तक मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। इस मामले में पहले मंदिर की सीढ़ियों पर कदम भी न रख पाने वाले संतोष दास ने कहा कि – “हम बहुत खुश हैं कि अब हम भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। मैंने सभी के कल्याण के लिए प्रार्थना की।”

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