Friday, 20 June 2025

बेटियाँ लेकर मुगलों के पास जाते थे राजा रजवाड़े , मच गया बड़ा बवाल

जयपुर, राजस्थान: राजस्थान की राजनीति इन दिनों गर्माई हुई है और इसकी वजह है नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक…

बेटियाँ लेकर मुगलों के पास जाते थे राजा रजवाड़े , मच गया बड़ा बवाल

जयपुर, राजस्थान: राजस्थान की राजनीति इन दिनों गर्माई हुई है और इसकी वजह है नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल का एक विवादित बयान। बेनीवाल ने हाल ही में राजस्थान के राजा-रजवाड़ों को लेकर एक टिप्पणी की, जिससे करणी सेना बुरी तरह आक्रोशित हो गई है। सेना ने इसे अपने पूर्वजों और क्षत्राणियों का अपमान बताया है और बेनीवाल को मुंहतोड़ जवाब देने की चेतावनी जारी की है।

क्या कहा हनुमान बेनीवाल ने?

हनुमान बेनीवाल ने एक मीडिया इंटरव्यू में राजस्थान के ऐतिहासिक युद्धों और राजाओं के व्यवहार को लेकर विवादास्पद बयान देते हुए कहा: “राजस्थान के एक-दो राजाओं को छोड़कर किसी ने भी मुगलों से लड़ाई नहीं लड़ी। बल्कि, वे तो युद्ध क्षेत्र से 70 किलोमीटर पहले ही अपनी बेटी लेकर पहुंच जाते थे और उन्हें मुगलों के सामने पेश कर देते थे।”

बेनीवाल ने आगे कहा कि – “राजस्थान के इतिहास में लड़ाइयाँ कम और सेटलमेंट (समझौते) ज़्यादा हुए हैं। जब मुगलों की सेना आती थी तो राजा पहले ही जाकर कहते थे कि यहां मत आना, हम बेटी लेकर आ रहे हैं। वहीं संबंध बनाते थे और सत्ता के सुख भोगते थे।”

बेनीवाल ने दावा किया कि राजस्थान के इतिहास को लेकर लोगों में भ्रम है, और उन्होंने लोगों को “सच्चा इतिहास पढ़ने” की सलाह भी दी।

हनुमान बेनीवाल के बयान का करणी सेना ने किया तीखा विरोध:

बेनीवाल के इस बयान के तुरंत बाद क्षत्रिय करणी सेना का आक्रोश फूट पड़ा। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने कहा कि – “बेनीवाल ने न सिर्फ हमारे पूर्वजों, बल्कि हमारी माताओं-बहनों का भी अपमान किया है। यह एक जननायक को शोभा नहीं देता। वे खुद को जनप्रतिनिधि कहते हैं और ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। हम इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे।”

करणी सेना ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इस बयान की आलोचना की और ऐलान किया कि जल्द ही हनुमान बेनीवाल को जवाब देने के लिए तारीख, समय और जगह की घोषणा की जाएगी। शेखावत ने सभी करणी सैनिकों को “तैयार रहने का आदेश” भी दिया।

उन्होंने अपने बयान की शुरुआत परंपरागत नारे “जय क्षात्र धर्म, वीर भोग्या वसुंधरा, धर्मो रक्षति रक्षितः” के साथ की और इसे “असली क्षात्र धर्म की रक्षा का समय” बताया।

सियासी हलचल और सामाजिक प्रतिक्रिया

राजस्थान में यह मामला अब इतिहास बनाम सम्मान की लड़ाई का रूप ले चुका है। एक ओर हनुमान बेनीवाल इसे ऐतिहासिक सच्चाई कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर करणी सेना और अन्य राजपूत संगठन इसे शौर्य और परंपरा पर हमला मान रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान राजस्थान की जातिगत राजनीति और भावनात्मक पहचान से जुड़ा मामला बन चुका है, जो आने वाले दिनों में और गरमा सकता है।

क्या कहता है राजस्थान का इतिहास?

राजस्थान का इतिहास सदियों तक राजपूतों की वीरता, बलिदान और संघर्ष की कथाओं से जुड़ा रहा है। हल्दीघाटी, रणथंभौर, चित्तौड़ जैसे युद्ध इसके प्रमाण माने जाते हैं। हालांकि, इतिहास में राजनैतिक विवाह और समझौतों के उदाहरण भी हैं, जैसे आमेर के राजा मानसिंह और अकबर के गठबंधन के माध्यम से। लेकिन यह विषय सदैव संवेदनशील रहा है और इसके प्रस्तुतिकरण में संतुलन और सम्मान अपेक्षित होता है।

हनुमान बेनीवाल के इस बयान ने राजस्थान की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है। यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं, बल्कि सामाजिक अस्मिता और ऐतिहासिक गौरव से जुड़ा मुद्दा बन गया है। करणी सेना की ओर से विरोध और बेनीवाल के रुख के बीच अब सभी की नजर इस बात पर है कि करणी सेना द्वारा घोषित “जवाब” किस रूप में सामने आता है।

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