Bengaluru Stampede : बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आरसीबी की जीत का जश्न उस वक्त मातम में बदल गया, जब 4 जून की शाम भगदड़ में 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी । इस घटना पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने राज्य सरकार से नौ ठोस सवाल पूछे हैं और मामले में विस्तृत जवाब 12 जून को होने वाली अगली सुनवाई से पहले सीलबंद लिफाफे में मांगा है।
न्यायिक निगरानी में जांच, निलंबित हुए पुलिस अफसर
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की पीठ ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की। राज्य के महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल उनका जवाब दाखिल नहीं हुआ है, लेकिन इस हादसे की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, जिसे रिपोर्ट सौंपने के लिए एक माह का समय दिया गया है। साथ ही कई पुलिस अधिकारियों को निलंबित भी किया गया है।
शेट्टी ने अदालत से अनुरोध किया कि वे अपनी दलीलें सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करना चाहते हैं, क्योंकि यह मामला संवेदनशील है और कुछ आरोपी लंबित जमानत याचिकाओं के आधार पर दिए गए बयानों का दुरुपयोग कर सकते हैं। इस बीच विधान परिषद के एक पूर्व सदस्य ने भी याचिका में पक्षकार बनने की अपील की है।
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछे ये अहम सवाल
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कार्यक्रम की अनुमति किसने और कब दी?
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क्या आयोजकों ने सभी आवश्यक अनुमतियां ली थीं?
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राज्य सरकार के पास ऐसे बड़े आयोजनों (50,000 से अधिक की भीड़) के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) है या नहीं?
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ट्रैफिक नियंत्रण के क्या इंतजाम थे?
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भीड़ प्रबंधन को लेकर क्या ठोस व्यवस्था की गई थी?
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मौके पर चिकित्सा और आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध थीं या नहीं?
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आयोजकों ने पहले से अनुमानित भीड़ का आकलन किया था?
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घायलों को तुरंत प्राथमिक चिकित्सा मिली या नहीं?
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यदि नहीं, तो उन्हें अस्पताल पहुंचाने में कितना समय लगा और उसमें बाधा क्या थी? Bengaluru Stampede
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