नई दिल्ली / वॉशिंगटन। भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालात अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर तेजी से गूंज रहे हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जहां भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जबरदस्त जवाबी कार्रवाई की, वहीं अब अमेरिका ने भी पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
पाकिस्तान की साजिश नाकाम, भारतीय सेना का करारा जवाब
गुरुवार को पाकिस्तान ने एक के बाद एक भारत के 15 शहरों को निशाना बनाने की साजिश रची। जैसलमेर से लेकर जम्मू-कश्मीर तक पाकिस्तान ने ड्रोन, मिसाइल और लड़ाकू विमानों से हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना की सतर्कता और ताकत के आगे उसकी हर चाल नाकाम हो गई। भारतीय वायुसेना और थलसेना ने मिलकर सभी घातक हमलों को समय रहते नष्ट कर दिया।
भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। कराची, लाहौर, सियालकोट और पेशावर जैसे शहरों में इंडियन आर्मी के तीखे हमलों का असर साफ दिखा।
अमेरिका का बयान – ‘कश्मीर हिंसा अवैध और अस्वीकार्य’
भारत की इस सैन्य कार्रवाई के बाद अमेरिका ने भी आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट स्टैंड लेते हुए पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा:
“कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह पूरी तरह से अवैध और अस्वीकार्य है। दुनिया ने इस तरह की हिंसा को नकारा है। हम पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करते हैं।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के भारत के आरोप से सहमत है, तो उनका जवाब था: “बिलकुल। यह कोई नई बात नहीं है। यह मुद्दा दशकों से उठाया जा रहा है, और हमने इसे मध्य पूर्व में भी महसूस किया है।”
भारत को मिला अमेरिका का खुला समर्थन
इस बयान को भारत की कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। अमेरिका ने पहली बार इतने स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान की आलोचना की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के रुख को मजबूती मिली है।
डिप्लोमेसी भी ज़रूरी: अमेरिका ने दिया संवाद का संदेश
टैमी ब्रूस ने यह भी कहा कि हालात बेहद संवेदनशील हैं और ऐसे समय में संवाद को प्राथमिकता देना आवश्यक है। अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क साधा है, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अमेरिका किसी भी कूटनीतिक बातचीत का विवरण साझा नहीं करता।