Prashant Kishor : प्रशांत किशोर प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार है। प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) रणनीतिकार से राजनेता बनने तक का लंबा सफर पूरा कर चुके हैं। प्रशांत किशोर ने बहुत बड़ा ऐलान (घोषणा) की है। प्रशांत किशोर ने पूरे विश्वास तथा गारंटी के साथ बहुत बड़ी घोषणा की है।अपनी ताजा घोषणा में प्रशांत किशोर ने साफ-साफ बता दिया है कि बिहार प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनाव (Bihar Assembly Elections 2025) में किसकी सरकार बनेगी। प्रशांत किशोर का बड़ा ऐलान राजनीति विश्लेषकों के लिए विश्लेषण का बड़ा विषय बन गया है।
प्रशांत किशोर ने बता दिया है कि बिहार में किसकी सरकार बनेगी?
आपको बता दें कि, बिहार विधानसभा का चुनाव अक्टूबर 2025 में होने वाला है। इस दौरान प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार तथा राजनेता प्रशांत किशोर ने बड़ा ऐलान किया है। प्रशांत किशोर ने बड़ी घोषणा करते हुए ऐलान किया है कि अक्टूबर में बिहार में बिहार की जनता की सरकार बनेगी। प्रशांत किशोर अनेक बार बोल चुके हैं कि उनकी पार्टी जनसुराज का गठबंधन बिहार की जनता के साथ हैं। प्रशांत किशोर स्पष्ट कर चुके हैं की वे राजनीति में कोई पद लेने नहीं आए हैं हुए राजनीति में बिहार की जनता को न्याय दिलाने के लिए आए हैं। प्रशांत किशोर ने दो टुक शब्दों में कहां की बिहार में बिहार की जनता की सरकार बनेगी प्रशांत किशोर की इस घोषणा का सीधा सा मतलब है कि बिहार में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज पार्टी की सरकार बनने वाली है। दुनिया भर की राजनीतिक विश्लेषकों की नजर बिहार के चुनाव पर लगी हुई है। प्रशांत किशोर ने बिहार में बिहार की जनता की सरकार बनने का ऐलान करके विश्लेषकों को नए सिरे से विश्लेषण करने का नया मौका दे दिया है।
प्रशांत किशोर की पार्टी में शामिल हो रहे हैं अनेक नेता
इस दौरान प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। बिहार में लंबे अरसे से राजनीति करने वाले अनेक नेता प्रशांत किशोर की पार्टी में शामिल हो रहे हैं। हाल ही में जीएस रामचंद्र दास (GS Ramachandra Das) को उनके कई समर्थकों के साथ प्रशांत किशोर ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान जीएस रामचंद्र दास ने कहा कि, प्रशांत किशोर की बिहार बदलाव जो मुहिम है उससे प्रेरित होकर वे प्रशांत किशोर की पार्टी में आए हैं।
प्रशांत किशोर का परिचय जान लेना जरूरी है
प्रशांत किशोर किसा परिचय के मोहताज नहीं हैं। आपको यह जान लेना जरूरी है कि, 34 साल की उम्र में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़कर भारत आये बक्सर निवासी प्रशांत किशोर जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े तब उन्हें आम जनता नहीं जानती थी। प्रशांत किशोर ने राजनीति में ब्रांडिंग का दौर लाया। जब नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया तब प्रशांत किशोर अपने काम में जुट गये। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही प्रचार का दौर शुरू हुआ। ऐसा प्रचार शायद ही कभी नहीं देखा गया था। साल 2014 में प्रशांत किशोर ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) की स्थापना की थी। इसे भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कमिटी माना जाता है। यह एक एनजीओ है जिसमें आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले युवा प्रोफेशनल्स शामिल थे। पीके को नरेंद्र मोदी की उन्नत मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान जैसे कि चाय पर चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन का श्रेय दिया जाता है। 2014 में जब भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब पहली बार प्रशांत किशोर सुर्खियों में आये। लोग कहने लगे पीएम मोदी की शानदार जीत में प्रशांत किशोर का अहम योगदान रहा। हालांकि कुछ दिन बाद ही प्रशांत किशोर और भाजपा के बीच की दूरी बढ़ने लगे।
नीतीश कुमार की भी मदद कर चुके हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बहुत बड़ी मदद कर चुके हैं। वहीं प्रशांत किशोर अब दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार की राजनीति का दौर अब समाप्त हो चुका है। 2015 में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार- लालू यादव के महागठबंधन का साथ थामा था। उन्हें सफलता मिली। इसके बाद 2017 में वह वाईएसआर कांग्रेस से जुड़ गए। पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने किशोर की मुलाकात पार्टी के बड़े नेताओं से करवाई थी। हालांकि बिहार में जिस रणनीति ने काम किया था वह आंध्र प्रदेश में कामयाबी हासिल नहीं कर पाई। उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर काम किया था लेकिन यहां भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद वह राजनीति में आये। सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में शामिल हुए। पीके को बड़ा पद भी दिया गया। कुछ दिन बाद ही प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बीच भी दूरियां बढ़ने लगी। चुनावी राजनीति में अपनी महारत दिखाने वाले प्रशांत किशोर पांडेय को जदयू से निकाल दिया गया है।
इसके बाद 2021 में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर को पश्चिम बंगाल में विधानसभा सभा की जिम्मेदारी सौंपी। पीके ने भी इस चुनाव में पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी। ममता बनर्जी फिर से मुख्यमंत्री बन गई। इस बार फिर से पीके की चर्चा पूरे देश में हुई। कुछ लोगों ने तो उन्हें चुनाव जीताने तक का श्रेय दे दिया। इसके बाद पीके में बिहार में सक्रिया राजनीति करने का फैसला किया। वह बिहार लौटकर आये। दो अक्टूबर 2022 को गांधी जयंती के अवसर पर उन्होंने चंपारण से अपनी पदयात्रा शुरू की। दो साल तक बिहार के गांव-गांव घूमे और लोगों से मिले। दो साल बाद यानी दो अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के ही दिन अपनी नई पार्टी बनाई। इनका नाम रखा जनसुराज। पार्टी में शिक्षा, चिकित्सा, प्रशासन समेत कई क्षेत्रों के दिग्गज जुड़े। प्रशांत किशोर ने 2025 विधानसभा चुनाव में जनसुराज पार्टी के लड़ने का एलान तो किया ही साथ ही 220 से अधिक सीटों पर जीत का दावा भी कर दिया। लेकिन, विधानसभा चुनाव से पहले चार सीटों पर उपचुनाव हुआ। इसमें पीके की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
प्रशांत किशोर की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं देशभर के युवा
यहां पर चर्चा करना भी जरूरी है कि प्रशांत किशोर के भविष्य को लेकर जनता क्या सोचती है। पूरे देश में युवा वर्ग की बड़ी संख्या ऐसी हैं जो प्रशांत किशोर की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रही है। युवा वर्ग को लगता है कि राजनेताओं को सलाह देकर बड़ी-बड़ी सरकार बनाने वाले प्रशांत किशोर नेता बनकर देश का बड़ा बड़ा कर सकते हैं। बिहार से लेकर पूरे देश का युवा वर्ग प्रशांत किशोर को सत्ता में बैठकर काम करते हुए देखना चाहता है। अक्टूबर 2025 में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव बिहार प्रदेश के भविष्य के साथ ही प्रशांत किशोर का भविष्य भी तय करने वाला चुनाव साबित होगा।
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