Saturday, 18 May 2024

Road Accident : महामारी का रूप लेते जा रहे हैं सड़क हादसे

Road Accident : नई दिल्ली। देशभर में हो रहे सड़क हादसे और उसमें होने वाली मौतें किसी महामारी से कम…

Road Accident : महामारी का रूप लेते जा रहे हैं सड़क हादसे

Road Accident : नई दिल्ली। देशभर में हो रहे सड़क हादसे और उसमें होने वाली मौतें किसी महामारी से कम नहीं हैं। दिलचस्प है कि यह महामारी कुदरती नहीं, हमारी उपेक्षा और लापरवाही का परिणाम है। आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल पांच लाख से भी अधिक सड़क हादसे होते हैं और उनमें डेढ़ लाख से भी अधिक लोगों की जान चली जाती है। इस पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी चिंता जाहिर कर चुके हैं।

Road Accident :

बीते 9 से 11 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रोड कांग्रेस हुई है। 11 सालों बाद उत्तर प्रदेश की मेजबानी में हुई इस रोड कांग्रेस में दुनियाभर के 15 सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इंडियन रोड कांग्रेस की स्थापना भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता से भी पहले सन-1934 में जयकर समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। यह संस्था भारत में सड़कों एवं पुल के डिजाइन एवं निर्माण के लिए सबसे बड़ी संस्था है। यह देश में हाइवे का निर्माण करने वाले इंजीनियर्स की सबसे बड़ी संस्था है। इसमें केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यूपी को 5 लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाएं देने का ऐलान किया। उसके साथ ही उन्होंने उद्घाटन के समय ही यूपी के लिए 8000 करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। गडकरी ने यह भी कहा कि अगले 15 माह में यूपी में सड़कों का नेटवर्क अमेरिका के बराबर हो जाएगा। लेकिन, सवाल ये है कि क्या सड़क सुरक्षा भी अमेरिका जैसी होगी?

इंडियन रोड कांग्रेस के पहले मात्र 10-15 दिनों के भीतर ही हुए भयानक सड़क हादसों की बात करें तो जहां उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में ट्रैक्टर ट्राली पलटने से 26 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, उत्तराखंड के पौड़ी में बारातियों से भरी बस खाई में गिरने से 32 लोगों की जान चली गई। गुजरात के आणंद में कार व ट्रक की टक्कर में एक ही परिवार के 10 लोगों की मौत हो गई। यह हमारे देश में सड़क सुरक्षा के मौजूदा हालात की सिर्फ बानगी भर है। अन्यथा, स्थिति तो यह है कि हर दिन सड़क हादसों की खबरें सुर्खियों में रहती हैं। ये हासदे हमारी पूरी व्यवस्था को निकम्मा साबित करने के लिए काफी हैं।

आखिर, सड़क दुर्घटनाएं एवं सड़कों पर प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मौत हमारे राष्ट्रीय एजेंडे में प्राथमिकता पर क्यों नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक वर्ष-2021 में देशभर में 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। देशभर में हर घंटे करीब 18 और हर दिन 426 लोग सड़क दुर्घटना में जान गवां देते हैं।

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गौरतलब है कि भारत में वाहनों की संख्या दुनिया के कुल वाहनों का सिर्फ 3 प्रतिशत है। जबकि दुनियाभर में सड़क हादसों में जितनी मौतें होती हैं, उनमें से भारत में होने वाली मौतें 12.06 प्रतिशत है। प्रति हजार वाहनों की तुलना में मृत्यु का प्रतिशत जो कि 2020 में 0.45 प्रतिशत था, 2021 में बढ़कर 0.53 हो गया है।

अब सवाल उठता है कि इस खतरनाक हो चली बीमारी के लिए जिम्मेदारी कौन है? जवाब साफ है, हमारी नकारा परिवहन व्यवस्था के कारण ही यह बीमारी लाइलाज होती चली जा रही है। आप कहेंगे कि गलत-सलत ढंग से वाहन चलाने वाले भी तो दोषी हैं। हो सकता है कि ऐसा हो, लेकिन ऐसा क्यों है, इस पर गंभीर चिंतन की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिस दिन दूसरे देशों की तरह ही परिवहन व्यवस्था, सड़क सुरक्षा व्यवस्था व सुरक्षा वाले कानून जिस दिन हमारी व्यवस्था का अभिन्न अंग बन जाएगा, उसी दिन इस बीमारी का इलाज हो जाएगा।

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