Friday, 26 April 2024

Special Story : बीजेपी का मास्टर प्लान : राहुल केस लड़ें, चुनाव नहीं

– आर.पी. रघुवंशी नई दिल्ली। देश में आम चुनाव अब से कोई 14 महीने दूर है। लेकिन, सियासी बिसात पर…

Special Story : बीजेपी का मास्टर प्लान : राहुल केस लड़ें, चुनाव नहीं

– आर.पी. रघुवंशी

नई दिल्ली। देश में आम चुनाव अब से कोई 14 महीने दूर है। लेकिन, सियासी बिसात पर अभी से शह-मात का खेल शुरू हो गया है। अडाणी समूह मामले में घिरी मोदी सरकार अब तक​ किसी तरह ‘आक्सफोर्ड’ के सहारे अपना बचाव कर रही थी, लेकिन उसके हाथ अब एक और हथियार लग गया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने और जेपीसी की मांग को दरकिनार करने के लिए बीजेपी इस हथियार का इस्तेमाल करेगी। इतना ही नहीं, अभी चार और ऐसे ही हथियार हैं, जो बीजेपी के हाथ लग सकते हैं। दरअसल, बीजेपी ने एक ऐसा मास्टर प्लान बनाया है, जिसमें राहुल ही नहीं, समूची कांग्रेस उलझी रहे। सीधे शब्दों में कहें तो बीजेपी चाहती है कि राहुल सिर्फ केस लड़ें, चुनाव नहीं।

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सजा में जेल, तुरंत बेल

गुजरात के सूरत की अदालत ने मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। उन्हें दो साल की सजा भी सुनाई है। कोर्ट ने उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी। कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें 30 दिन तक गिरफ्तारी से राहत दी है। इस दौरान उन्हें गुजरात हाईकोर्ट में अपील करनी होगी। दरअसल, मामला 13 अप्रैल 2019 का है। कर्नाटक में चुनावी रैली में राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ पर विवादित टिप्पणी की थी। राहुल ने कहा था, ‘नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? इस बयान पर सियासी कोहराम मच गया था। कर्नाटक से छोड़े गए सियासी तीर से गुजरात के एक भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी कराह उठे। उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उसी मामले में आज सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी दो साल की सजा सुनाई गई है।

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बीजेपी नहीं दे पा रही 100 सवालों के जवाब

फिलहाल, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह विवाद पर भाजपा बुरी तरह घिरी हुई है। मोदी-अडाणी रिश्ते के बाबत कांग्रेस ने अब तक बीजेपी से 100 सवाल पूछे हैं। लेकिन, इनमें से एक का भी जवाब अब तक नहीं आया है। कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष मोदी सरकार से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग कर रहा है, लेकिन बीजेपी इस पर कतई राजी नहीं है। अब तक लंदन के आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय लोकतंत्र के बाबत की गई राहुल की टिप्पड़ी पर माफी की मांग कर बीजेपी अपना बचाव कर रही थी। लेकिन, अब उसे एक नया मुद्दा मिल गया है। लेकिन, राजनीति के जानकारों का मानना है कि सूरत की अदालत का फैसला बीजेपी को बहुत खुशी नहीं दे पाएगा।

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बीजेपी के तरकश में तीरों की कमी नहीं

राहुल और कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को बैकफुट पर धकेलने के लिए बीजेपी के तरकश में तीरों की कमी नहीं है। खासतौर से राहुल के लिए। सरनेम की तरह राहुल गांधी पर देश के विभिन्न राज्यों की अदालतों में अभी कम से कम चार और मामले चल रहे हैं। माना जा रहा है कि इन मामलों में भी आम चुनाव से पहले ही फैसला आ सकता है। अगर आगामी फैसले भी ‘सूरत’ की तरह हुए तो निश्चित तौर पर कांग्रेस पर दबाव बढ़ सकता है।

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इन मामलों में है फैसले का इंतजार

सावरकर पर टिप्पणी : यह मामला दिसंबर 2022 का है। राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान विनायक दामोदर सावरकर पर विवादित टिप्पणी का आरोप है। उन पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर सावरकर को अंग्रेजों से पेंशन लेने वाला अंग्रेजों का नौकर बताया था। यहां भी कर्नाटक की कहानी दोहराई गई। महाराष्ट्र में दिए गए बयान पर यूपी की राजधानी लखनऊ में मुकदमा चल रहा है। इस मामले में एडवोकेट नृपेंद्र पांडेय ने लखनऊ की अदालत में आईपीसी की धारा 156 (3) के तहत केस दर्ज कराया था। नृपेंद्र पांडेय ने राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग भी की थी। हालांकि, अदालत ने पहले शिकायतकर्ता और उसके गवाहों की जांच करने का आदेश दिया है।

KGF2 का गाना यूज करने का मामला : यह मामला नवंबर 2022 का है। भारत जोड़ो यात्रा में KGF-2 का गाना इस्तेमाल करने के खिलाफ राहुल गांधी के अलावा जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। यह केस एमआरटी म्यूजिक कंपनी ने दर्ज कराया था। KGF-2 के म्यूजिक का कॉपीराइट इसी कंपनी के पास है। कंपनी का आरोप है कि बिना परमिशन के गानों का इस्तेमाल किया गया। कॉपीराइट के इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था।

झारखंड में भी ‘मोदी सरनेम’ पर केस : यह भी माामला कर्नाटक में चुनावी रैली के दौरान मोदी सरनेम पर की गई टिप्पणी से जुड़ा है। उस रैली में राहुल ने कहा था कि सारे चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? एडवोकेट प्रदीप मोदी ने रांची की जिला अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। उन्होंने 20 करोड़ का दावा ठोका था। रांची की जिला अदालत में दर्ज मानहानि के इस मुकदमे को रद्द करवाने के लिए राहुल गांधी ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पिछले साल जुलाई में हाईकोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज कर दी थी।

आरएसएस मानहानि मामला : राहुल गांधी के खिलाफ ये मामला महाराष्ट्र के भिवंडी में चल रहा है। उन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मानहानि करने का आरोप है। आरोप है कि 6 मार्च 2014 को चुनावी रैली में कथित तौर पर महात्मा गांधी के हत्या के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था, महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस के लोग थे। इस मामले में भिवंडी के स्थानीय आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंते ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कुंते की दलील थी कि राहुल गांधी के बयान से आरएसएस की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। इस मामले में 2018 में ठाणे की अदालत ने राहुल गांधी पर आरोप तय किए थे। ये मामला अब तक अदालत में चल रहा है।

‘चौकीदार चोर है’ मामला : इस मामले में 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। राहुल ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में घोटाले का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। राहुल के इस बयान पर मानहानि का केस दर्ज हुआ था। हालांकि, बाद में राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर माफी मांग ली थी, जिसके बाद ये केस बंद कर ​दिया गया था।

संसद सदस्य बने रहेंगे राहुल गांधी

राहुल गांधी को सजा सुनाये जाने के बाद सबके मन में यह सवाल तैर रहा है कि क्या राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहेंगे? चूंकि कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनायी है और अगर उन्हें ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली तो क्या उनकी संसद की सदस्यता रद्द होगी? इसका जवाब ना है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अगर किसी सांसद या विधायक को किसी आपराधिक मामले में दो साल से अधिक की सजा होती है, तब उनकी सदस्यता पर खतरा उत्पन्न होता है।

दो साल से अधिक की सजा पर रद्द होती है सदस्यता

जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) और (2) के अंतर्गत प्रावधान है कि यदि कोई सांसद या विधायक हत्या, बलात्कार, धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करना, आतंकवादी गतिविधि या संविधान का अपमान करना जैसे अपराधों में शामिल हो तो उसकी संसद और विधानसभा की सदस्यता रद्द हो जायेगी। इसी अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि इन अपराधों के अलावा अन्य अपराधों के लिए भी दोषी ठहराये जाने और दो वर्ष से अधिक की सजा सुनाये जाने के बाद किसी विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द हो सकती है और छह वर्ष तक उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग सकता है।

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