Saturday, 18 January 2025

क्या होता है “तुगलकी फरमान”, लिखने तथा पढने से पहले जान लें

Tuglaki Farman: आपने बहुत बार “तुगलकी फरमान” शब्द पढ़ा, सुना और लिखा होगा। क्या आपको पता है कि “तुगलकी फरमान”…

क्या होता है “तुगलकी फरमान”, लिखने तथा पढने से पहले जान लें

Tuglaki Farman: आपने बहुत बार “तुगलकी फरमान” शब्द पढ़ा, सुना और लिखा होगा। क्या आपको पता है कि “तुगलकी फरमान” क्या होता है ? क्यों, कब और कहां इस्तेमाल किया जाता है “तुगलकी फरमान” शब्द। हम आपको विस्तार से बताएंगे कि “तुगलकी फरमान” शब्द लिखे जाने का कारण।

Tuglaki Farman

आलोचना के लिए इस्तेमाल होता है

आपको यह तो जरूर पता होगा कि “तुगलकी फरमान” शब्द का प्रयोग किसी फैसले की आलोचना करने के लिए किया जाता है। जब कोई नेता, अधिकारी अथवा समाज का जिम्मेदार नागरिक कोई फैसला लेता है, तो उस फैसले का देश व समाज को लाभ मिलना जरूरी है। जो फैसला देश व समाज के हित में न होकर पूरी तरह से गलत फैसला होता है उस फैसले की आलोचना करने के लिए जिस शब्द अथवा वॉक्य का प्रयोग किया जाता है उसे “तुगलकी फरमान” कहा जाता है। इस शब्द का ताल्लुक दिल्ली पर लम्बे समय तक राज करने वाले पूरी तरह विफल साबित हुए शाासक मोहम्मद बिन तुगलक से है। तुगलक के नाम पर ही तुगलकी फरमान शब्द बना है।

कौन था तुगलक ?

आपको बता दें कि 1320 ईस्वीं से 1413 तक दिल्ली सल्तनत पर राज करते रहे तुगलक वंश के दूसरे शासक के रूप में मोहम्मद बिन तुगलक 1325 ईस्वीं में तख्त पर बैठा था। वह 26 साल तक सत्तासीन रहा। इतिहास के अनुसार तुगलक के शासनकाल में सल्तनत-ए-दिल्ली का भौगोलिक क्षेत्रफल सर्वाधिक रहा, जिसमें लगभग पूरा भारत देश शामिल था।

इतिहासकारों के मुताबिक बेहद विवादस्पद शासकों में शुमार किया जाने वाला मोहम्मद बिन तुगलक वज़ीरों और रिश्तेदारों पर भी हमेशा संदेह करता था। किसी भी शत्रु को कमतर समझना तुगलक की फितरत में शामिल नहीं था।

विवादित फैसले

उसने कई ऐसे निर्णय लिए, जो आज तक याद किए जाते हैं और जिन्हें रातोंरात जबरन लागू करवाने की वजह से ‘तुगलकी फरमान’ का मुहावरा मशहूर हुआ। मोहम्मद बिन तुगलक ने अचानक अपनी राजधानी को दिल्ली से महाराष्ट्र के देवगिरी ले जाने का फैसला किया, जिसका नाम उसने दौलताबाद रखा। इस फैसले में सबसे खराब पहलू यह था कि उसने दिल्ली की आबादी को भी दौलताबाद स्थानांतरित होने के लिए मजबूर किया। बताया जाता है कि जो लोग स्थानांतरित हुए, उनमें से बहुतों की मौत रास्ते में ही हो गई। वैसे भी दौलताबाद खुश्क इलाका था, जहां बादशाह को पानी की ज़बरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा और आखिरकार राजधानी को वापस दिल्ली स्थानांतरित करना पड़ा।

Tuglaki Farman

इसके अलावा मोहम्मद बिन तुगलक का एक और बेहद चर्चित फैसला था रातोंरात चांदी के सिक्कों की जगह तांबे के सिक्के चलवाना। उसने तांबे के जो सिक्के ढलवाए, वे अच्छे स्तर के नहीं थे, और लोगों ने उनकी नकल करते हुए उन्हें घरों में ही ढालना शुरू कर दिया, तथा उन्हीं से जजिया (टैक्स) अदार करने लगे। सो, कुल मिलाकर उसका यह फैसला भी गलत साबित हुआ, और इससे राजस्व की भारी क्षति हुई, और फिर उस क्षति को पूरा करने के लिए उसने करों में भारी वृद्धि भी की।

इस प्रकार के फैसले करने वाले तुगलक के नाम ही तुगलकी फरमान शब्द, वॉक्य अथवा मुहावरा चलन में आया था। अब आप समझ गए होंगे कि क्या होता है “तुगलकी फरमान”।

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