Friday, 4 October 2024

पश्चिम बंगाल में क्या है चुनाव का हाल, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

West Bengal News : लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल लगातार चर्चा में बना हुआ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री…

पश्चिम बंगाल में क्या है चुनाव का हाल, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

West Bengal News : लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल लगातार चर्चा में बना हुआ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा का दुश्मन नम्बर-1 मानकर चला जा रहा है। इस बीच पश्चिम बंगाल में भारत सरकार की एजेंसी एनआईए पर हुए हमले ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल को खबरों की सुर्खियों में ला दिया है। विश्लेषकों का मत है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरी बहादूरी के साथ केन्द्र सरकार का मुकाबला कर रही हैं। विश्लेषकों का एक वर्ग पश्चिम बंगाल को दूसरी दृष्टि से देख रहा है।

West Bengal News

पश्चिम बंगाल में फिर बवाल

पश्चिम बंगाल से आ रही ग्राउंड रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मिदनापुर में एनआईए की टीम पर हुए हमले ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुश्किल में डाल दिया है। पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार केन्द्रीय एजेंसी की टीम पर हमला हुआ है उससे कानून व्यवस्था की स्थिति पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। आपको बता दें कि साल 2022 में पूर्वी मेदिनीपुर जिले के भूपतिनगर में एक तृणमूल नेता के घर बम विस्फोट हुआ और तीन लोगों के चीथड़े उड़ गए। दो घायल फरार हो गए थे। एनआईए को तभी से उन दोनों की तलाश थी। एनआईए को जांच का जिम्मा कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया था। कई बार समन भेजने के बावजूद ये आरोपी हाजिर नहीं हो रहे थे। सफाई देते हुए पांच अप्रैल की सभा में ममता ने उस विस्फोट को पटाखे का विस्फोट बताया। सवाल है कि क्या पटाखा फटने से शरीर के अंग डेढ़ किलोमीटर दूर जा सकते हैं। हद तो तब हो गई, जब मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि लोगों ने वही किया, जो करना चाहिए था। बंगाल

पुलिस ने तो एनआईए की टीम पर ही महिलाओं से छेडख़ानी का केस दर्ज कर लिया। संदेशखाली में ईडी के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप लगाकर स्थानीय थाने में केस दर्ज किया गया था, पर संभावित कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। आरोप है कि एक भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने एनआईए के एसपी धनराजराम सिंह से उनके घर पर मुलाकात की। तृणमूल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कह रही है। वह इस चुनावी मौसम में केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही हैं।

अगर न्याय के लिए तृणमूल सरकार अदालतों की शरण में जाए, तो यह बात समझ में आती है, पर कई मामलों में वह डंडे के जोर पर लोकतंत्र चलाती हैं और अदालती आदेशों को भी ठेंगा दिखाती रही हैं। पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा पर हाल ही में पीएमएलए के तहत केस दर्ज किया गया है। ममता सरकार ने संदेशखाली में कैंप लगाकर जिन लोगों की हड़पी गई जमीनें वापस लौटाईं, उन पर शाहजहां की गिरोह के दूसरे लेयर के उपद्रवी कब्जा नहीं करने दे रहे। आज भी पुलिस के असहयोग का आलम यह है कि बलात्कार पीड़ित महिलाएं घूंघट में आकर कलकत्ता हाईकोर्ट में बयान दर्ज करा रही हैं।

संदेशखाली भी चर्चा का विषय

पश्चिम बंगाल में संदेशखाली भी एक बड़ा मुददा है। विश्लेषकों का कहना है कि कई कारणों से सिर्फ बशीरहाट सीट का जनादेश पूरे बंगाल का भविष्य इंगित करेगा। इसी निर्वाचन क्षेत्र में संदेशखाली है, जहां की डरावनी कहानियां झकझोर देती हैं। हिंदी में ठीक-ठाक बात करने में सक्षम रेखा पात्रा को तृणमूल ने बाहरी मान लिया है। वैसे, तृणमूल हिंदी बोलने वालों को बाहरी ही कहती रही है। कुछ साल पहले आसनसोल में एक चुनाबी सभा में ममता ने हिंदी भाषियों को अतिथि कहा था। ऐसे माहौल में, भाजपा ने सही दांव चलते हुए संदेशखाली की पीडि़ताओं को एकजुट करने वाली रेखा पात्रा को उम्मीदवार बनाया, ताकि पूरे चुनाव में महिला सम्मान का विमर्श जिंदा रहे। ममता की बड़ी तोकत राज्य की 49 प्रतिशत महिला वोटर हैं। इस सीट पर तृणमूल ने मुस्लिम आबादी को देखते हुए एक बार सांसद रह चुके हाजी नुरुल इस्लाम को टिकट दिया है, जिन पर वर्ष 2010 में इसी इलाके में दंगे भडक़ाने का आरोप लगा था। अभी चार अप्रैल को उत्तर बंगाल की चुनावी सभा में ममता ने लोगों से कहा कि वे दंगा न करें, और दंगा न होने दें। रामनवमी से ठीक पहले यह संदेश जारी करने की क्या जरूरत थी?

बशीरहाट का बड़ा हिस्सा सुंदरबन के जंगलों व टापुओं पर बनी बस्तियों से घिरा है। यहां साढ़े 17 लाख मतदाता हैं, जिनमें करीब 87 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। इस क्षेत्र में लगभग 46.3 फीसदी मुस्लिम आबादी है। अनुसूचित जाति के करीब 25.4 प्रतिशत लोग हैं और रेखा पात्रा इसी समुदाय से हैं। पिछले दो महीनों से इलाके की महिलाओं के लक्ष्मी भंडार के रुपये खातों में नहीं आ रहे हैं। इन महिलाओं ने प्रदर्शन करते हुए पूछा कि क्या यह राशि तृणमूल दे रही है? इन मेहनतकश महिलाओं के प्रति किसी की ममता अगर नहीं छलकती है, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?

सात अप्रैल को उत्तरबंगाल के धूपगुड़ी में चुनाव अपराधियों को केंद्रीय एजेंसियों पर हमले करवा रही है। मुख्यमंत्री को बचाने के लिए तृणमूल सरकार होकर राष्ट्र से लडऩे का दुस्साहस दीदी को भारी पड़ हालांकि भाजपा ऐसा ‘मौका’ नहीं देने के पक्ष में है। West Bengal News

अमेरिका में अचानक गूंजने लगे मोदी-मोदी के नारे, हुए दर्जनों कार्यक्रम

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें। 

Related Post1