February आखिर फरवरी में ही क्यों उमड़ता है प्रेम, किसी के लिए क्यों धड़कता है दिल

February : युवा वर्ग द्वारा पश्चिमी देशों की तर्ज पर अब भारत में भी वैलेंटाइन वीक पूरे जोश से मनाया जाता है। यह (February ) फरवरी में क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि 14 फरवरी (February) को सेंट वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया गया था। लेकिन कोई यह नहीं जानता है कि भारतीय सभ्यता, हिंदी कैलेंडर के अनुसार फरवरी (February) का महीना एक विशेष महत्व रखने वाला महीना होता है।
यदि हम बात ज्योतिषीय आधार पर करें तो फरवरी का महीना एक ऐसा महीना होता है, जिसमें बसंत पंचमी का पर्व आता है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। बसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है, जिसमें प्राकृतिक रुप से दिल में प्रेम की उमंग उमड़ने लगती है। बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। बसंत के समय सरसो के पीले-पीले फूलों से आच्छादित धरती की छटा देखते ही बनती है।
बसंत और वेलेंटाइन
बसंत कामदेव का मित्र है, इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है। यानी जब कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है। कामदेव का एक नाम 'अनंग' है यानि बिना शरीर के यह प्राणियों में बसते हैं। एक नाम 'मार' है यानि यह इतने मारक हैं कि इनके बाणों का कोई कवच नहीं है। बसंत ऋतु को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है। इस ऋतु में प्रेमियों के दिल में एक अजीब सी झनझनाहट होती है। यही नहीं युवा दिलों की बात न करें तो अधेड़ उम्र के लोगों के दिलों में भी प्रेम की उमंग जाग उठती है।
[caption id="attachment_16392" align="alignnone" width="402"]
Valentines Week 2022[/caption]
गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा, मौसम का नशा प्रेम की अगन को और भड़काता है। तापमान न अधिक ठंडा, न अधिक गर्म। सुहाना समय चारों ओर सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प, मंद-मंद मलय पवन, फलों के वृक्षों पर बौर की सुगंध, जल से भरे सरोवर, आम के वृक्षों पर कोयल की कूक ये सब प्रीत में उत्साह भर देते हैं। यह ऋतु कामदेव की ऋतु है। यौवन इसमें अंगड़ाई लेता है। दरअसल बसंत ऋतु एक भाव है जो प्रेम में समाहित हो जाता है।
जब कोई किसी से प्रेम करने लगता है तो सारी दुनिया में हृदय के चित्र में बाण चुभाने का प्रतीक उपयोग में लाया जाता है। 'मार' का बाण यदि आपके हृदय में चुभ जाए तो आपके हृदय में पीड़ा होगी। लेकिन वह पीड़ा ऐसी होगी कि उसे आप छोड़ना नहीं चाहोगे, वह पीड़ा आनंद जैसी होगी। काम का बाण जब हृदय में चुभता है तो कुछ-कुछ होता रहता है। इसलिए तो वसंत का 'मार' से संबंध है, क्योंकि काम बाण का अनुकूल समय बसंत ऋतु होता है। प्रेम के साथ ही बसंत का आगमन हो जाता है। जो प्रेम में है वह दीवाना हो ही जाता है। प्रेम का गणित मस्तिष्क की पकड़ से बाहर रहता है। इसलिए प्रेम का प्रतीक हृदय के चित्र में बाण चुभा बताना है।
अब इसे संयोग ही कहा जाएगा कि रोम के पादरी वैलेंटाइन को 14 फरवरी को ही फांसी पर लटकाया गया था। जिसके बाद प्रेम के लिए बलिदान देने वाले इस संत की याद में हर 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाने लगा। वैसे भी बसंत ऋतु शुरु होने पर ही वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है।
संत वैलेंटाइन
बताया जाता है कि तीसरी शताब्दी में रोम के एक क्रूर सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने प्रेम करने वालों पर जुल्म ढाए। राजा को लगता था कि प्यार और शादी से पुरुषों की बुद्धि और शक्ति दोनों का ही नाश होता है। इसी वजह से उसके राज्य में सैनिक और अधिकारी शादी नहीं कर सकते थे। लेकिन पादरी वैलेंटाइन ने सम्राट के आदेशों की अवहेलना कर प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने कई अधिकारियों और सैनिकों की भी शादी कराई। इस बात से राजा पादरी संत के खिलाफ हो गया और उसने उन्हें जेल में डाल दिया। फिर 14 फरवरी 270 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। प्रेम के लिए बलिदान देने वाले इस संत की याद में ही हर साल 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाने का चलन शुरू हुआ।
महेश कुमार शिवा
February : युवा वर्ग द्वारा पश्चिमी देशों की तर्ज पर अब भारत में भी वैलेंटाइन वीक पूरे जोश से मनाया जाता है। यह (February ) फरवरी में क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि 14 फरवरी (February) को सेंट वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया गया था। लेकिन कोई यह नहीं जानता है कि भारतीय सभ्यता, हिंदी कैलेंडर के अनुसार फरवरी (February) का महीना एक विशेष महत्व रखने वाला महीना होता है।
यदि हम बात ज्योतिषीय आधार पर करें तो फरवरी का महीना एक ऐसा महीना होता है, जिसमें बसंत पंचमी का पर्व आता है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। बसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है, जिसमें प्राकृतिक रुप से दिल में प्रेम की उमंग उमड़ने लगती है। बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। बसंत के समय सरसो के पीले-पीले फूलों से आच्छादित धरती की छटा देखते ही बनती है।
बसंत और वेलेंटाइन
बसंत कामदेव का मित्र है, इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है। यानी जब कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है। कामदेव का एक नाम 'अनंग' है यानि बिना शरीर के यह प्राणियों में बसते हैं। एक नाम 'मार' है यानि यह इतने मारक हैं कि इनके बाणों का कोई कवच नहीं है। बसंत ऋतु को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है। इस ऋतु में प्रेमियों के दिल में एक अजीब सी झनझनाहट होती है। यही नहीं युवा दिलों की बात न करें तो अधेड़ उम्र के लोगों के दिलों में भी प्रेम की उमंग जाग उठती है।
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Valentines Week 2022[/caption]
गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा, मौसम का नशा प्रेम की अगन को और भड़काता है। तापमान न अधिक ठंडा, न अधिक गर्म। सुहाना समय चारों ओर सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प, मंद-मंद मलय पवन, फलों के वृक्षों पर बौर की सुगंध, जल से भरे सरोवर, आम के वृक्षों पर कोयल की कूक ये सब प्रीत में उत्साह भर देते हैं। यह ऋतु कामदेव की ऋतु है। यौवन इसमें अंगड़ाई लेता है। दरअसल बसंत ऋतु एक भाव है जो प्रेम में समाहित हो जाता है।
जब कोई किसी से प्रेम करने लगता है तो सारी दुनिया में हृदय के चित्र में बाण चुभाने का प्रतीक उपयोग में लाया जाता है। 'मार' का बाण यदि आपके हृदय में चुभ जाए तो आपके हृदय में पीड़ा होगी। लेकिन वह पीड़ा ऐसी होगी कि उसे आप छोड़ना नहीं चाहोगे, वह पीड़ा आनंद जैसी होगी। काम का बाण जब हृदय में चुभता है तो कुछ-कुछ होता रहता है। इसलिए तो वसंत का 'मार' से संबंध है, क्योंकि काम बाण का अनुकूल समय बसंत ऋतु होता है। प्रेम के साथ ही बसंत का आगमन हो जाता है। जो प्रेम में है वह दीवाना हो ही जाता है। प्रेम का गणित मस्तिष्क की पकड़ से बाहर रहता है। इसलिए प्रेम का प्रतीक हृदय के चित्र में बाण चुभा बताना है।
अब इसे संयोग ही कहा जाएगा कि रोम के पादरी वैलेंटाइन को 14 फरवरी को ही फांसी पर लटकाया गया था। जिसके बाद प्रेम के लिए बलिदान देने वाले इस संत की याद में हर 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाने लगा। वैसे भी बसंत ऋतु शुरु होने पर ही वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है।
संत वैलेंटाइन
बताया जाता है कि तीसरी शताब्दी में रोम के एक क्रूर सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने प्रेम करने वालों पर जुल्म ढाए। राजा को लगता था कि प्यार और शादी से पुरुषों की बुद्धि और शक्ति दोनों का ही नाश होता है। इसी वजह से उसके राज्य में सैनिक और अधिकारी शादी नहीं कर सकते थे। लेकिन पादरी वैलेंटाइन ने सम्राट के आदेशों की अवहेलना कर प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने कई अधिकारियों और सैनिकों की भी शादी कराई। इस बात से राजा पादरी संत के खिलाफ हो गया और उसने उन्हें जेल में डाल दिया। फिर 14 फरवरी 270 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। प्रेम के लिए बलिदान देने वाले इस संत की याद में ही हर साल 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाने का चलन शुरू हुआ।
महेश कुमार शिवा

