Noida News : यह आपने पढ़ा या सुना जरूर होगा कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरनाक है। लेकिन कम लोग ही ऐसे होते हैं जो पर्यावरण को बचाने के लिए कोई ऐसा कार्य करते हैं जिससे हमारे पर्यावरण को फायदा हो। यह सिर्फ सोचने या कहने भर से पर्यावरण सुरक्षित नहीं होगा, इसके लिए कुछ करना भी होगा, जो सेक्टर-107 की प्रतीक एडिफिस सोसाइटी में रहने वाली शालिनी शर्मा और उनकी बेटी शगुन शर्मा कर रही हैं। वे हर महीने सोसाइटी के घरों से ढाई सौ किलो प्लास्टिक इकट्ठा करती हैं और एक कंपनी को भेजवाती हैं, जहां पर इसका निस्तारण किया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी को खुद आगे आना होगा
शालिनी ने बताया कि वह ढाई साल से यह काम कर रही हैं। वह पर्यावरण संरक्षण के प्रति काफी सजग रहती हैं। उनका मानना है कि इस तरह के काम के लिए हम सभी को खुद आगे आना होगा, तभी हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। दूसरों से उम्मीद करने से पहले हमें खुद पहल करनी होगी। पर्यावरण हमारे जीवन में जहर भी घोल सकता है इसलिए इसे स्वच्छ व बेहतर बनाने के लिए हम सभी को प्रयास करना होगा। यह हम न केवल अपने लिए व अपने समाज के लिए भी करते हैं। पर्यावरण के नुकसान से जब हम खुद को बचाते हैं तो समझिए समाज को भी बचाने का कार्य कर रहे हैं।
प्लास्टिक के निस्तारण पर ध्यान देना चाहिए
उन्होंने कहा कि कूड़े में मिलने वाले वेस्ट प्लास्टिक के निस्तारण पर ध्यान देना चाहिए और प्लास्टिक खत्म करने का निस्तारण ही एकमात्र उपाय है। प्लास्टिक के कारण हमारे पेड़-पौधों पर बुरा असर पड़ता है। हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है। प्लास्टिक जलाने से वायु गुणवत्ता पर असर पड़ता है। प्लास्टिक के टूटने से माइक्रो-प्लास्टिक बनते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। यदि जानवरों तक यह प्लास्टिक पहुंच जाए तो उनको कई बीमारियां हो सकती हैं।
आठ रुपये प्रति किलोग्राम कचरा खरीदती है कंपनी
शालिनी बताती हैं कि एक कंपनी के माध्यम से उन्होंने सभी के घरों में एक-एक बैग उपलब्ध कराए हैं। जिसमें पांच किलो प्लास्टिक आ जाता है। वेस्ट प्लास्टिक के साथ पॉलिथीन, गत्ते आदि भी होते हैं। जिस व्यक्ति के घर में पांच किलो वाला बैग भर जाता है वह सोसाइटी के एक कमरे में रख देता है। इसके लिए हमने सोसाइटी के एक कमरे को चिह्नित किया है। यहां पर जब कई बैग इकट्ठे हो जाते हैं तो कंपनी के कर्मचारी बैग उठा ले जाते हैं। एक हफ्ते में ऐसे 40 से 50 बैग हो जाते हैं। इतना ही नहीं कंपनी आठ रुपये प्रति किलोग्राम यह कचरा खरीदती है। Noida News
दूसरों को हमेशा करती हैं प्रोत्साहित
शालिनी ने बताया कि ढाई साल में सोसाइटी से करीब सात हजार किलो सूखा कूड़ा निकल चुका है। उनकी बेटी शगुन इंजीनियर हैं, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के प्रति काफी सजग हैं। वह दूसरों को हमेशा प्रोत्साहित करती हैं। प्लास्टिक और सूखे कूड़े का निस्तारण करने से पर्यावरण संरक्षण का काम बखूबी अंजाम दिया जा सकता है। जैसा कि हम लोग कर रहे हैं। हम सभी को पर्यावरण के प्रति सजग होना होगा, नहीं तो वह दिन दूर नहीं है जब हम लोग पर्यावरण का प्रकोप झेल नहीं पाएंगे। Noida News
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