Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल में चढ़ा राजनीतिक पारा, रातभर धरने पर बैठी रहीं ममता

Mamata Banerjee
Greater Noida : पत्नी ने शराब पीने से किया मना तो पति ने उठाया ये खौफनाक कदम
ममता के रुख में बदलाव
ममता बनर्जी ने बुधवार को अपने रुख में बदलाव करते हुए सभी राजनीतिक दलों से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ने का आग्रह किया था। इससे पहले, ममता ने कांग्रेस एवं भाजपा दोनों से समान दूरी बनाए रखने का फैसला किया था, लेकिन बुधवार का उनका बयान उनके पुराने रुख से अलग है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो के साथ फरहाद हकीम और अरूप बिस्वास सहित पार्टी के कई नेता धरने में शामिल हुए। ममता का 30 घंटे का यह धरना प्रदर्शन संभवत: बृहस्पतिवार को शाम करीब सात बजे समाप्त होगा।धरनास्थल पर कड़ी सुरक्षा
कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाई-प्रोफाइल नेताओं की मौजूदगी और उन्हें खतरा हो सकने की आशंका को ध्यान में रखते हुए धरना स्थल और उसके आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। मुख्यमंत्री ने राज्य को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और आवासीय एवं सड़क विभाग की योजनाओं के तहत केंद्र द्वारा निधि जारी नहीं किए जाने के खिलाफ बुधवार दोपहर से धरना शुरू किया था। ममता ने बुधवार को कहा था कि 2024 के संसदीय चुनाव देश के नागरिकों और भाजपा के बीच की लड़ाई होगी। उन्होंने कहा था कि भाजपा को हराने और देश के गरीबों की रक्षा के लिए सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होना चाहिए।Mamata Banerjee
Covid-19 : डराने लगा कोरोना, एक दिन में तीन हजार से अधिक संक्रमित, छह की मौत
पंचायत चुनाव से पहले राज्य में सियासी गहमागहमी
शहर में पंचायत चुनाव से पहले राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 2023 के स्थानीय निकाय चुनावों में सीट आरक्षण मानदंड को लेकर याचिकाकर्ता शुभेंदु अधिकारी की दलील में दम है। अदालत के इस फैसले के साथ पंचायत चुनाव को हरी झंडी मिल गई। ममता के धरने के अलावा उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी एवं भाजपा के शुभेंदु अधिकारी की रैलियों और वाम-कांग्रेस गठबंधन के मार्च के कारण राज्य में राजनीतिक पारा चढ़ गया है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।अगली खबर पढ़ें
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Gujrati Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage[/caption]
पटोला बनाने कि कला:
पटोला बनाने की कला इतनी अनमोल है कि 1934 मे एक हस्तनिर्मित पटोला साड़ी की कीमत 100 रुपये थी।पाटन में केवल 1 ऐसा परिवार हैं, जो ओरिजनल पाटन पटोला साड़ी बनाने की कला को संजोए हुए है और इस विरासत को आगे बढ़ा रहा है।पटोला साड़ियां बनाने के लिए रेशम के धागों पर डिजाइन के मुताबिक वेजीटेबल और केमिकल कलर से रंगाई की जाती है। फिर हैंडलूम पर बुनाई का काम होता है।
पटोला की लुप्त होती कला:
मात्र 1 ही परिवार ऐसा बचा है जो पटोला की इस कला को बचाये हुए है ।इसी वजह से पटोला महंगा होने के करण नकली पटोला भी बनता है ।भरतभाई पटोला के कारीगर है उन्हे सरकार की तरफ से हर संभव मदद देने और प्रशिक्षण केंद्र खोलने की बात कही गयी है ।ताकि 900 साल पुरानी कला नष्ट न हो।
इस साड़ी की खासियत है कि ये दोनो तरफ से पहनी जाती है ।इस आर्ट को 'डबल इकत' आर्ट कहते है ।पटोला साड़ी की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका रंग कभी फेड नहीं होता और साड़ी 100 साल तक चलती है। यह बुनकरी कला अब लुप्त होने के कगार पर है ।लागत के हिसाब से बाजार में कीमत न मिल पाना इस कला के सिमटने का प्रमुख कारण है।
