Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल में चढ़ा राजनीतिक पारा, रातभर धरने पर बैठी रहीं ममता

Mamata
Political temperature rises in West Bengal, Mamata sat on dharna overnight
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:22 PM
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शहर के बीचों-बीच स्थित रेड रोड पर डॉ. बीआर आंबेडकर की प्रतिमा के सामने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ बुधवार को रातभर धरने पर बैठी रहीं। ममता पश्चिम बंगाल के प्रति केंद्र के भेदभावपूर्ण रवैये के विरोध में कोलकाता में बुधवार से दो दिवसीय धरने पर बैठी हैं।

Mamata Banerjee

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ममता के रुख में बदलाव

ममता बनर्जी ने बुधवार को अपने रुख में बदलाव करते हुए सभी राजनीतिक दलों से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ने का आग्रह किया था। इससे पहले, ममता ने कांग्रेस एवं भाजपा दोनों से समान दूरी बनाए रखने का फैसला किया था, लेकिन बुधवार का उनका बयान उनके पुराने रुख से अलग है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो के साथ फरहाद हकीम और अरूप बिस्वास सहित पार्टी के कई नेता धरने में शामिल हुए। ममता का 30 घंटे का यह धरना प्रदर्शन संभवत: बृहस्पतिवार को शाम करीब सात बजे समाप्त होगा।

धरनास्थल पर कड़ी सुरक्षा

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाई-प्रोफाइल नेताओं की मौजूदगी और उन्हें खतरा हो सकने की आशंका को ध्यान में रखते हुए धरना स्थल और उसके आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। मुख्यमंत्री ने राज्य को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और आवासीय एवं सड़क विभाग की योजनाओं के तहत केंद्र द्वारा निधि जारी नहीं किए जाने के खिलाफ बुधवार दोपहर से धरना शुरू किया था। ममता ने बुधवार को कहा था कि 2024 के संसदीय चुनाव देश के नागरिकों और भाजपा के बीच की लड़ाई होगी। उन्होंने कहा था कि भाजपा को हराने और देश के गरीबों की रक्षा के लिए सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होना चाहिए।

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पंचायत चुनाव से पहले राज्य में सियासी गहमागहमी

शहर में पंचायत चुनाव से पहले राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 2023 के स्थानीय निकाय चुनावों में सीट आरक्षण मानदंड को लेकर याचिकाकर्ता शुभेंदु अधिकारी की दलील में दम है। अदालत के इस फैसले के साथ पंचायत चुनाव को हरी झंडी मिल गई। ममता के धरने के अलावा उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी एवं भाजपा के शुभेंदु अधिकारी की रैलियों और वाम-कांग्रेस गठबंधन के मार्च के कारण राज्य में राजनीतिक पारा चढ़ गया है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Covid-19 : डराने लगा कोरोना, एक दिन में तीन हजार से अधिक संक्रमित, छह की मौत

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 02:32 PM
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नई दिल्ली। भारत में एक दिन में कोरोना संक्रमण के 3,016 नए मामले मिले हैं। पिछले छह महीने में सामने आए ये सर्वाधिक दैनिक मामले हैं। देश में अभी तक संक्रमित हुए लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 47 लाख 12 हजार 692 हो गई है। वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 13,509 पर पहुंच गई है। इससे पहले, पिछले साल दो अक्टूबर को 3,375 दैनिक मामले सामने आए थे।

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देश में कोरोना से अब तक 5,30,862 की मौत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में संक्रमण से तीन, दिल्ली में दो और हिमाचल प्रदेश में एक मरीज की मौत के बाद देश में मृतक संख्या बढ़कर 5,30,862 हो गई। वहीं, संक्रमण से मौत के आंकड़ों का पुन:मिलान करते हुए केरल ने वैश्विक महामारी से जान गंवाने वाले मरीजों की सूची में आठ नाम और जोड़े हैं। भारत में संक्रमण की दैनिक दर 2.73 प्रतिशत और साप्ताहिक दर 1.71 प्रतिशत है।

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देश में 13,509 एक्टिव मरीज

आंकड़ों के मुताबिक, देश में अभी 13,509 लोगों का कोरोना संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 0.03 प्रतिशत है। वहीं, मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.78 प्रतिशत है। अभी तक कुल 4 करोड़ 41 लाख 68 हजार 321 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। कोविड-19 से मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक कोविड-19 रोधी टीकों की 220.65 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी हैं।

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गौरतलब है कि भारत में सात अगस्त 2020 को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे। देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गए थे। चार मई 2021 को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। पिछले साल 25 जनवरी को संक्रमण के कुल मामले चार करोड़ के पार चले गए थे। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें
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Gujrat Patola Saree : गुजरात का पटोला क्यों है खास,किसी धरोहर से कम नही है इसकी कला

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Gujrati Patola Saree
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Mar 2023 05:06 PM
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Gujrat  Patola Saree : आज हम बात करेंगे गुजरात की पटोला साड़ी, की जो  हथकरघे पर बनती है । पटोला साड़ी गुजरात के पाटण में बनायी जाती है। यह प्रायः रेशम की बनती है। इस साड़ी का इतिहास 900 साल पुराना है । 12वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा कुमारपाल ने महाराष्ट्र के जालना के बाहर बसे 700 पटोला बुनने वालों को पाटन में बसने के लिए बुलाया और इस तरह पाटन पटोला की परंपरा शुरू हुई थी।पटोला साड़ी की कीमत 2 लाख से शुरू होती है और 4 लाख तक जाती है. ये साड़ी बेहद ही खास और खूबसूरत है।पटोला शब्द संस्कृत के ‘पट्टकुल’ शब्द से लिया गया है.

Gujrat  Patola Saree

  हस्तकला से निर्मित साड़ी: पटोला बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि पटोला साड़ी का पूरा काम हाथ से होता है। यह एक हैंडीक्राफ्ट है,इस साड़ी को बनाने का प्रोसेस बहुत जटिल है ।यह काफी महीन काम है। पूरी तरह सिल्क से बनी इस साड़ी को वेजिटेबल डाई या फिर कलर डाई किया जाता है।  हथकरघे से बनी इस साड़ी को बनाने में करीब एक साल लग जाता है। इन साड़ियों की कीमत भी बुनकरों के परिश्रम व माल की लागत के हिसाब से पांच हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक होती है।इस साड़ी को बनने मे यदि एक धागा भी इधर उधर हो जाता है तो पूरी साड़ी खराब हो जाती है ।ये साड़ी पावर लूम पर नही बनती है ।सबसे खास बात यह है कि प्‍योर सिल्‍क से बनने वाली ओरिजनल पटोला साड़ी पूरी दुनिया में सिर्फ गुजरात के पाटन में ही बनती है। 900 साल पुरानी इस हस्तकला के कदरदान देश ही नही बल्कि विदेशो मे भी है ।ये काम किसी इंडस्ट्री मे नही होता है ।ये व्यापार केवल ऑर्डर पर ही चलता है ।पूरे देश में केवल एक ही परिवार है जो पटोला बनाने का काम करता है । [caption id="attachment_78406" align="aligncenter" width="1024"]Gujrati Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage Gujrati Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage[/caption] पटोला बनाने कि कला: पटोला बनाने की कला इतनी अनमोल है कि 1934 मे एक हस्तनिर्मित पटोला साड़ी की कीमत 100 रुपये थी।पाटन में केवल 1 ऐसा परिवार हैं, जो ओरिजनल पाटन पटोला साड़ी बनाने की कला को संजोए हुए है और इस विरासत को आगे बढ़ा रहा है।पटोला साड़ियां बनाने के लिए रेशम के धागों पर डिजाइन के मुताबिक वेजीटेबल और केमिकल कलर से रंगाई की जाती है। फिर हैंडलूम पर बुनाई का काम होता है। Gujrat Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage पटोला की लुप्त होती कला: मात्र 1 ही परिवार ऐसा बचा है  जो पटोला की इस कला को बचाये हुए है ।इसी वजह से पटोला महंगा होने के करण नकली पटोला भी बनता है ।भरतभाई पटोला के कारीगर है उन्हे सरकार की तरफ से हर संभव मदद देने और प्रशिक्षण केंद्र खोलने की बात कही गयी है ।ताकि 900 साल पुरानी कला नष्ट न हो। इस साड़ी की खासियत है कि ये दोनो तरफ से पहनी जाती है ।इस आर्ट को 'डबल इकत' आर्ट कहते है ।पटोला साड़ी की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका रंग कभी फेड नहीं होता और साड़ी 100 साल तक चलती है। यह बुनकरी कला अब लुप्त होने के कगार पर है ।लागत के हिसाब से बाजार में कीमत न मिल पाना इस कला के सिमटने का प्रमुख कारण है। Gujrat Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage