Thursday, 23 January 2025

UP Elections 2022 नोटा की रही कई प्रत्याशियों को हराने में अहम भूमिका

UP Elections 2022 : सहारनपुर। विधानसभा चुनाव (UP Elections 2022) में नोटा की कई प्रत्याशियों को हराने में खास अहम…

UP Elections 2022 नोटा की रही कई प्रत्याशियों को हराने में अहम भूमिका

UP Elections 2022 : सहारनपुर। विधानसभा चुनाव (UP Elections 2022) में नोटा की कई प्रत्याशियों को हराने में खास अहम भूमिका रही। (UP Elections 2022) वीआईपी सीट कहे जाने वाली नकुड़ पर नोटा की खास अहमियत रही। क्योंकि इस सीट पर हार-जीत का अंतर महज 155 का रहा। जबकि यहां 710 मतदाताओं ने प्रत्याशियों को स्वीकार नहीं किया। अगर नोटा न दबता और हारने या जीतने वाले के पक्ष में डालता तो हार जीत में काफी फर्क पड़ सकता था। रिजल्ट भी बदल सकता था और जीत का अंतर को बढ़ा सकता था।

UP Elections 2022

सहारनपुर में सभी सात सीटों पर 71 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। सबसे ज्यादा सहारनपुर देहात विस क्षेत्र में 14 तो गंगोह में सबसे कम सात प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे। आखिर में नोटा का नंबर था। सामान्य शब्दों में नोटा का मतलब यह होता है कि अगर मतदाता किसी प्रत्याशी को पसंद नहीं करता है तो वह नोटा का बटन दबाए। यह एक तरह का विरोध होता है कि मतदाता किसी भी प्रत्याशी को पसंद नहीं करता है। नोटा की बात करें तो ईवीएम पर 5482 लोगों ने नोटा दबाया। हॉट सीट नकुड़ पर भाजपा के मुकेश चौधरी, सपा से डॉ. धर्मसिंह सैनी के बीच हार-जीत का अंतर खासा कम रहा। इस सीट पर प्रत्याशियों को पसंद न करते हुए 710 लोगों ने नोटा दबाया है। हर सीट पर आम आदमी पार्टी के सभी प्रत्याशियों से ऊपर नोटा रहा।

प्रदेश की नंबर एक सीट नहीं खिला कमल
प्रदेश की नंबर एक सीट बेहट पर भाजपा का सूखा इस बार भी खत्म नहीं हुआ। भाजपा ने इस बार बेहट से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए मौजूदा विधायक नरेश सैनी पर दांव लगाया था। जबकि, सपा से उमर अली खान और बसपा से रईस मलिक चुनावी मैदान में थे। सपा के उमर अली खान ने नरेश सैनी को 38 हजार वोटों से मात दी।

मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण बेहट में भाजपा की राह हमेशा ही मुश्किल रही है। इस बार भी बेहट में जीत दर्ज करना चुनौतीपूर्ण था। माहौल को देखकर लग भी रहा था कि शायद भाजपा इस बार बेहट में जीत दर्ज कर पाए। राजनीतिक पंड़ितों का मानना था कि सपा और बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण मुस्लिम वोटों में बिखराव होगा। लेकिन, चुनाव के समय ऐसा नहीं हुआ। एक पक्ष के वोट बसपा की बजाय सपा के पक्ष में चले गए। जिसका नतीजा यह रहा कि 96,389 वोट प्राप्त करने के बावजूद भी नरेश सैनी चुनाव में हार गए। उन्हें सपा के उमर अली खान ने 38,007 वोटों से पराजित किया।

एएसटी सेंटर ने दिलाई भाजपा को जीत
इस्लामिक शिक्षा के केंद्र देवबंद में लगातार दूसरी बार भाजपा को जीत मिली तो इसकी गूंज सियासी हलकों में महसूस की जा रही है। यह जीत भी कई मायनों में खास भी है। इस बार भाजपा को देवबंद में कड़ी चुनौती मिल रही थी। चुनाव से पहले भाजपा प्रत्याशी का जमकर विरोध भी हुआ था। लेकिन, सरकार ने देवबंद में एटीएस सेंटर का शिलान्यास कर पासा पलट दिया।

वर्ष 2017 में देवबंद में भाजपा के कुंवर बृजेश को जीत मिली थी। लेकिन वर्ष 2022 आते-आते देवबंद की स्थिति बदलने लगी थी। भाजपा विधायक का कहीं दबी जबान तो कहीं पर खुलकर विरोध होने लगा था। वहीं सपा और बसपा की ओर से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही थी। देवबंद का संदेश देश ही नहीं विदेश तक भी पहुंचता है। जिस कारण भाजपा ने भी देवबंद पर ध्यान केंद्रित किया। चुनाव से ठीक पहले देवबंद में एटीएस सेंटर स्थापित करने की घोषणा कर दी। यही नहीं एटीएस सेंटर का शिलान्यास भी किया था। जिसके बाद माहौल भाजपा के पक्ष में बनाता गया और अंत में भाजपा को जीत मिली।

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