Agra News : जीत गई मौत , 40 घंटे की जंग के बाद मासूम हार गई जिंदगी की जंग

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Jul 2022 05:11 PM
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Agra: आगरा। आखिर, मौत जीत गई। 10 साल की मासूम गंुजन ने 40 घंटे तक मौत से लड़ती रही, लेकिन अंत में वह जिंदगी की जंग हार गई। सोमवार की सुबह उसे 12 कुत्तों ने नोच डाला था। उसके शरीर पर 26 घाव थे। 6 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद उसके शरीर पर 40 टांके लगाए गए, लेकिन मंगलवार की रात उसने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों का कहना है कि उनके सामने इस तरह का केस पहली बार आया है, जब आवारा कुत्तों ने किसी बच्चे को इतनी बेरहमी से काटा हो। बच्ची की मौत पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया, लेकिन चिकित्सकों के समझाने पर देर रात वह शव घर ले गए। आगरा के दहतोरा गांव निवासी धर्म सिंह की पत्नी बेटी को जन्म देने के कुछ महीने बाद बीमारी से मर गई थीं। इसके बाद मासूम गुंजन को उसकी दादी संभालती थी। ताऊ रामबाबू और चाचा करन सभी उससे बहुत प्यार करते थे। मासूम गुंजन पैदा होते ही बोलने में अक्षम थी। सोमवार सुबह साढ़े पांच बजे वो घर के बाहर खेलने निकली थी। तभी लगभग एक दर्जन आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया और शरीर को जगह-जगह नोचना शुरू कर दिया। कुत्तों के भौंकने की तेज आवाजों पर आसपास के लोगों का ध्यान गया। लोगों ने देखा गुंजन के शरीर को कुत्ते बुरी तरीके से नोच रहे हैं। मौजूद लोग गुंजन को बचाने के लिए उस तरफ दौड़े। लोगों ने जैसे-तैसे बच्ची को कुत्तों के चंगुल से निकाला और आनन-फानन में खून से लथपथ गुंजन को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। गुंजन की हालत देखकर जिला अस्पताल के डॉक्टर भी दहल गए। मासूम के शरीर पर कुत्तों के नोच खाने के दर्जनों घाव मौजूद थे। डॉक्टरों ने गुंजन को तुरंत जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड के ऑपरेशन थिएटर में भर्ती कर उसका इलाज शुरू किया। उसके शरीर पर 40 से ज्यादा टांके लगाए गए। उसके इलाज के लिए 8 डॉक्टरों की टीम लगाई गई। 6 घंटे तक उसका ऑपरेशन चला। इस बीच बोलने में अक्षम गुंजन अपने दर्द को बता भी नहीं पा रही थी। पल-पल कराह रही थी। मंगलवार करी दोपहर तक उसकी हालत स्थिर थी। मगर, रात में 8 बजे के आसपास उसका हीमोग्लोबिन कम होने पर डॉक्टरों ने उसे ड्रिप लगाई। इसके बाद एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन के लगने के कुछ देर बाद ही उसे सेप्टिक शॉक हुआ और वो इस झटके को नहीं झेल पाई। आखिर, रात करीब सवा 9 बजे उसने दम तोड़ दिया। बुधवार की सुबह 6 बजे पूरे गांव ने इकट्ठा होकर नम आंखों से खेत में मासूम का शव दफन कर दिया।
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Agra News : जीत गई मौत , 40 घंटे की जंग के बाद मासूम हार गई जिंदगी की जंग

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Agra: आगरा। आखिर, मौत जीत गई। 10 साल की मासूम गंुजन ने 40 घंटे तक मौत से लड़ती रही, लेकिन अंत में वह जिंदगी की जंग हार गई। सोमवार की सुबह उसे 12 कुत्तों ने नोच डाला था। उसके शरीर पर 26 घाव थे। 6 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद उसके शरीर पर 40 टांके लगाए गए, लेकिन मंगलवार की रात उसने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों का कहना है कि उनके सामने इस तरह का केस पहली बार आया है, जब आवारा कुत्तों ने किसी बच्चे को इतनी बेरहमी से काटा हो। बच्ची की मौत पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया, लेकिन चिकित्सकों के समझाने पर देर रात वह शव घर ले गए। आगरा के दहतोरा गांव निवासी धर्म सिंह की पत्नी बेटी को जन्म देने के कुछ महीने बाद बीमारी से मर गई थीं। इसके बाद मासूम गुंजन को उसकी दादी संभालती थी। ताऊ रामबाबू और चाचा करन सभी उससे बहुत प्यार करते थे। मासूम गुंजन पैदा होते ही बोलने में अक्षम थी। सोमवार सुबह साढ़े पांच बजे वो घर के बाहर खेलने निकली थी। तभी लगभग एक दर्जन आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया और शरीर को जगह-जगह नोचना शुरू कर दिया। कुत्तों के भौंकने की तेज आवाजों पर आसपास के लोगों का ध्यान गया। लोगों ने देखा गुंजन के शरीर को कुत्ते बुरी तरीके से नोच रहे हैं। मौजूद लोग गुंजन को बचाने के लिए उस तरफ दौड़े। लोगों ने जैसे-तैसे बच्ची को कुत्तों के चंगुल से निकाला और आनन-फानन में खून से लथपथ गुंजन को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। गुंजन की हालत देखकर जिला अस्पताल के डॉक्टर भी दहल गए। मासूम के शरीर पर कुत्तों के नोच खाने के दर्जनों घाव मौजूद थे। डॉक्टरों ने गुंजन को तुरंत जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड के ऑपरेशन थिएटर में भर्ती कर उसका इलाज शुरू किया। उसके शरीर पर 40 से ज्यादा टांके लगाए गए। उसके इलाज के लिए 8 डॉक्टरों की टीम लगाई गई। 6 घंटे तक उसका ऑपरेशन चला। इस बीच बोलने में अक्षम गुंजन अपने दर्द को बता भी नहीं पा रही थी। पल-पल कराह रही थी। मंगलवार करी दोपहर तक उसकी हालत स्थिर थी। मगर, रात में 8 बजे के आसपास उसका हीमोग्लोबिन कम होने पर डॉक्टरों ने उसे ड्रिप लगाई। इसके बाद एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन के लगने के कुछ देर बाद ही उसे सेप्टिक शॉक हुआ और वो इस झटके को नहीं झेल पाई। आखिर, रात करीब सवा 9 बजे उसने दम तोड़ दिया। बुधवार की सुबह 6 बजे पूरे गांव ने इकट्ठा होकर नम आंखों से खेत में मासूम का शव दफन कर दिया।
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भगवान ने किया चमत्कार, मां को उठा लिया, गर्भ के बच्चे को बचा लिया

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locationभारत
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calendar01 Dec 2025 03:08 PM
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Firozabad : फिरोजाबाद। ‘जाको राखे साईंयां, मार सके न कोए।’ यह कहावत उस समय सच साबित हो गई, जब गर्भ में पल रही बच्ची की मां की ट्रक की चपेट में आकर मौत हो गई। लेकिन, दुर्घटना के दौरान महिला का पेट फटने से बच्ची पांच फीट दूर जा गिरी और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा। वह सलामत है। दिल दहला देने वाली यह घटना यूपी के फिरोजाबाद में हुई। महिला की मौत की खबर पाकर उसके चाचा की भी सदमे से मौत हो गई। आगरा जिले के धनौला का रहने वाला रामू बुधवार को पत्नी कामिनी के साथ बाइक से ससुराल जा रहा था। उसकी ससुराल फिरोजाबाद के नारखी थाना क्षेत्र स्थित वजीरपुर कोटला में है। रामू ने बताया कि पत्नी 9 माह की गर्भवती थी। उसने मायके जाने की बात कही। उसका कहना था कि बच्चा होने के बाद चार महीने तक मायके नहीं जा पाऊंगी। उसके बाद वह पत्नी कामिनी को बाइक से लेकर घर से 9 बजे निकला। घर से ससुराल की दूरी 40 किलोमीटर है। रामू ने बताया कि कुछ देर चलने के बाद कामिनी ने चाय पीने की इच्छा जताई। हम लोगों ने ढाबे पर चाय पी। उसके बाद मुश्किल से 5 किलोमीटर आगे बढ़े होंगे, तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने बाइक में पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर लगने से कामिनी बाइक से गिर गई। उसके बाद ट्रक उसके ऊपर से गुजर गया। इस हादसे में उसका शरीर क्षत-विक्षत हो गया और पेट फट गया। पेट फटने से गर्भ में पल रही बच्ची पांच फीट दूर जा गिरी। रामू ने बताया कि हादसे के बाद मेरे होश उड़ गए। मैं अपनी पत्नी को देख रहा था। तब उधर से गुजर रहे लोगों ने मेरी बच्ची को उठाया। मैं उसे लेकर वहीं बैठा था। तब कुछ भले लोग उसे लेकर जिला अस्पताल गए। एंबुलेंस आने के बाद मैं पत्नी के शव के साथ अस्पताल पहुंचा। वहां मैंने अपने परिवार के लोगों को बताया कि कामिनी अब नहीं रही। शादी को तीन साल हुए थे। यह हम लोगों का पहला बच्चा है। रामू ने कहा कि मेरे आंखों के सामने ट्रक कामिनी के ऊपर से निकल गया। पत्नी तड़प-तड़प कर मर गई। उसके शरीर में कुछ नहीं बचा था। वहीं, दूर जाकर गिरी मेरी बच्ची रो रही थी। इस हादसे की खबर सुनते ही सदमे से महिला के कैंसर पीड़ित चाचा कालीचरन की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि चाचा काफी दिनों से बीमार थे। इसलिए पहले कामिनी की मौत के बारे में उनको नहीं बताया गया था। सुबह कामिनी की चाचा से बात भी हुई थी। वह उनसे काफी घुली-मिली थी। यही वजह है कि जैसे ही उनको पता चला, सदमे से उनकी मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि कामिनी और चाचा दोनों का बुधवार शाम को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया है। जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एलके गुप्ता ने बताया कि बच्ची अब पहले से बेहतर है। गिरने की वजह से उसे धमक लगी है। उसके पेट में अंदरूनी चोट आई है। गुरुवार सुबह बच्ची को दूध दिया गया है। जब तक वह दूध को पचा नहीं लेती, तब तक अस्पताल में ही रहेगी।