UP News / बागपत। ”पार्टी विद डिफरेंस” के नाम से मशहूर भारतीय जनता पार्टी के सांसदों की डीएम (DM) व एसपी (SP) नहीं सुन रहे हैं तो आम जनता की क्या सुनेंगे। भाजपा (BJP) के एक ऐसे ही सांसद अपनी ही पार्टी की सरकार में लाचार नजर आ रहे हैं।
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मुंबई के पुलिस कमिश्नर के पद से रिटायर होने के के बाद भाजपा के बागपत से सांसद बने डा. सत्यपाल सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार के अधिकारियों के कामकाज पर सवाल उठाया है। बागपत से सांसद डा. सत्यपाल सिंह ने आज एक प्रेसवार्ता कर बागपत के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप और एसपी अर्पित विजयवर्गीय को निशाने पर लिया। प्रेसवार्ता में भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि बड़ी मुश्किल से बागपत को सेना भर्ती सेंटर बनाया गया था, लेकिन डीएम और एसपी ने शासन को पत्र लिख दिया कि सेना भर्ती सेंटर के लिए जिले में पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पाए हैं।
डीएम व एसपी ने शासन को लिखा कि सेना भर्ती में 13 जिलों के अभ्यार्थी आएंगे, लेकिन इनके लिए पर्याप्त पुलिस बल व अन्य इंतजाम नहीं हो पाए हैं। दोनों अफसरों की लापरवाही से बागपत के अभ्यार्थी में सेना में भर्ती नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि जब क्षेत्र में सेना भर्ती की प्रक्रिया होती है तो क्षेत्रीय युवाओं को भी लाभ मिलता है लेकिन यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रशासन स्तर पर सेना भर्ती के लिए इंतजाम किए गए।
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कौन है सांसद सत्यपाल सिंह
सत्यपाल सिंह भारत की सोलहवीं लोकसभा के सांसद हैं। वे उत्तर प्रदेश की बागपत सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए थे। सत्यपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले मुम्बई के पुलिस कमिश्नर थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे कर बीजेपी ज्वाइन कर ली और लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के तत्कालीन अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह को हरा कर विजयश्री प्राप्त की और तीन साल बाद केंद्रीय मंत्री मंडल में विस्तार होने पर डा. सत्यपाल को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया।
सत्य पाल सिंह महाराष्ट्र कैडर और 1980 बैच के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी हैं। श्री सिंह की पहली पोस्टिंग नासिक के सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई थी। इसके बाद वह बुलढाणा के पुलिस अधीक्षक बने। मुंबई पुलिस प्रमुख नियुक्त किए जाने से पहले श्री सिंह महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक थे। उन्होंने मुंबई में संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) के रूप में भी काम किया है। मुंबई के अपराध प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्हें संगठित अपराध सिंडिकेट्स की रीढ़ तोड़ने का श्रेय दिया जाता है, जिन्होंने 1990 में मुंबई को आतंकित किया था, जिसमें छोटा राजन, छोटा शकील और अरुण गवली गिरोह शामिल थे। UP News
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