Mukul Goyal : योगी सरकार में दुबारा सत्ता में आते ही कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही से कोई गुरेज नहीं है। योगी सरकार सत्ता संभालते ही चुनाव के दौरान मीडिया द्वारा व जमीनी भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा अधिकारियों पर जो आरोप लगाये थे और कार्यकर्त्ता की सुनवाई शासन में नहीं हो रही थी। दुबारा सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसको गंभीरता से लिया और शासन में बैठे उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया।
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कार्यकर्ता और जनता की बात को अधिकारी प्राथमिकता पर लें और दुबारा सत्ता में लौटते ही योगी सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त दर्जनों अधिकारियों को निलंबित किया है। इसी क्रम में भाजपा नेता की शिकायत पर विधायक की हत्या मामले को संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक सख्त फैसला लेते हुए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को पद से हटा दिया।
क्या था मुकुल गोयल का मामला
साल 2000 में जब गोयल सहारनपुर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे, तब भाजपा नेता निर्भय पाल सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को लेकर उनपर आरोप लगा था कि भाजपा नेता ने अपने जान के खतरे का अंदेशा जताते हुए मदद मांगी थी, लेकिन पुलिस हिफाजत के लिए कुछ नहीं कर सकी। इसके बाद मुकुल गोयल को सस्पेंड कर दिया गया था।
विवादों से रहा नाता
मुकुल गोयल की कार्यशैली पर पहली बार सवाल नहीं उठे थें इसके पहले भी जब प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी तब भी इनका नाम पुलिस भर्ती घोटाले में आ चुका था। इसके बाद 2013 में भी उन्हे अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था के पद से हटाया गया था। पिछले साल हितेश चन्द्र अवस्थी के रिटायर होने के बाद जून में 1987 बैच के आइपीएस अधिकारी मुकुल गोयल को उत्तर प्रदेश का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एडीजी ऑपरेशन, बीएसएफ के पद पर तैनात थे। मुकुल गोयल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर वर्ष 2007 में डीआइजी के पद पर तैनात रहते हुए गए थे और एडीजी बनने के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दोबारा वर्ष 2016 में गए थें। जहां वह जुलाई 2017 में एडीजी बन गए थे।