Mulayam Singh Yadav :
भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दिखाने वाले आधुनिक भारतीय राजनीति के नेताजी मुलायम सिंह यादव अपने अनूठे अंदाज को दूरदर्शिता के लिए जाने जाते थे। बेशक वह आज हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेगी। अपने 83वें जन्मदिन से कुछ ही सप्ताह पहले उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में दाखिल किया गया। लेकिन, लाख जतन के बाद भी उन्हें सकुशल घर नहीं लौट सके।
Mulayam Singh Yadav :
किशोरावस्था के बाद से ही उन्हें पहलवानी का शौक हो गया। उन्होेंने पहलवानी की और बाद में शिक्षक हो गए। मुलायम सिंह ने जीवन में हर धूप छांव देखी। कई दलों में रहे। कई बड़े नेताओं की शागिर्दी भी की, लेकिन उसके बाद अपना दल बनाया और यूपी पर एक दो बार नहीं, बल्कि तीन बार राज किया। यूपी की पॉलिटिक्स जिन धर्म और जाति के मुकामों की प्रयोगशाला से गुजरी, उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम सिंह ही थे।
उनके जानने वाले बताते हैं कि किस तरह लखनऊ में मुलायम सिंह यादव 80 के दशक में साइकिल से सवारी करते भी नजर आ जाते थे। कई बार साइकिल चलाते हुए अखबारों के आफिस और पत्रकारों के पास भी पहुंच जाया करते थे। तब उन्हें खांटी सादगी पसंद और जमीन से जुड़ा ऐसा नेता माना जाता था, जो लोहियावादी था, समाजवादी था, धर्मनिरपेक्षता की बातें करता था। हालांकि 80 के दशक में वह यादवों के नेता माने जाने लगे थे। किसान और गांव की बैकग्राउंड उन्हें किसानों से भी जोड़ रही थी। मुस्लिमों के पसंदीदा वह राम मंदिर आंदोलन के शुरुआती दिनों में बने।
बहुत कम लोगों को याद होगा कि 80 के दशक तक अपने राजनीतिक गुरु चरण सिंह के साथ मिलकर वह इंदिरा गांधी को वंशवाद के लिए कोसने का कोई मौका छोड़ते भी नहीं थे। हालांकि बाद में धीरे धीरे वंशवाद के प्रति इतने लचीले होते गए कि खुद अपने बेटे और कुनबे को राजनीति में बडे़ पैमाने पर आगे बढ़ाने के लिए भी जाने गए।
मुलायम सिंह यादव एक बार चौधरी चरण सिंह से तब वह क्षुब्ध हो गए थे, जब उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल में मुलायम सिंह यादव के जबरदस्त असर और पकड़ के बाद भी अमेरिका से लौटे अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी की कमान देनी शुरू कर दी। बाद में इसी बिना पर चरण सिंह के निधन के बाद पार्टी टूटी और उसके एक धड़े की अगुवाई मुलायम सिंह करने लगे। 1992 में उन्होंने नई पार्टी बनाई, जिसे हम समाजवादी पार्टी के तौर पर जानते हैं, जिसका प्रतीक चिन्ह उन्होंने उसी साइकिल को बनाया, जिस पर कभी उन्होंने खूब सवारी की थी।