UP News : उत्तर प्रदेश में हाल ही में नगर निकाय चुनाव संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशियों ने अपनी अपनी निकाय का कार्यभार संभाल कर काम करना शुरु कर दिया है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद की खतौली नगर पालिका के नवनिर्वाचित पालिकाध्यक्ष शाहनवाज लालू के लिए यह समय ‘सिर मुंडाते ही ओले पड़े’ वाला साबित हुआ है। डीएम द्वारा बनाई गई एक समिति ने उन्हें बड़ा झटका दिया है। यह झटका लगने के बाद उनकी चेयरमैनी खतरे में पड़ गई है।
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आपको बता दें खतौली नगर पालिका के चुनाव में चेयरमैन शाहनवाज बालू की जाति को लेकर विवाद पैदा हो गया था। खतौली नगर पालिका परिषद के चुनाव में हार का मुंह देखने वाले कांग्रेस प्रत्याशी जमील अहमद अंसारी एवं निर्दलीय प्रत्याशी कृष्णपाल सैनी ने शाहनवाज लालू के जाति प्रमाण पत्र पर सवाल उठाया था। पराजित हुए प्रत्याशियों ने चेयरमैन शाहनवाज बालू के जाति प्रमाण पत्र को लेकर डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी से शिकायत की थी।
इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीएम मुजफ्फरनगर ने एक जांच समिति का गठन किया था। इस समिति में डीएम के अलावा अपर जिलाधिकारी प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह, खतौली के उप जिलाधिकारी सुबोध कुमार और जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी शिवेंद्र कुमार सदस्य के रूप में शामिल है।
अब जांच समिति की रिपोर्ट आ गई है। जांच समिति ने चेयरमैन शाहनवाज लालू का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया है।
तहसीलदार खतौली ने जारी किया था जाति प्रमाण पत्र
आपको बता दें कि चेयरमैन शाहनवाज का जाति प्रमाण पत्र तहसीलदार खतौली द्वारा 29 मार्च 2023 को जारी किया गया था जिसमें शाहनवाज लालू की जाति कलाल बताई गई थी, जो अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है। हाजी लालू ने खुद को कलाल जाति का व्यक्ति बताते हुए पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र प्राप्त किया था जबकि शिकायतकर्ता का कहना है कि हाजी लालू पिछड़ा वर्ग से नहीं बल्कि शेख समाज से हैं, जो अगड़ी जाति में आता है।
पूर्वजों के प्रमाण पत्र में लिखा है शेख शब्द
नवनिर्वाचित चेयरमैन हाजी शाहनवाज़ लालू के स्वर्गीय पिता और दादा के वर्ष 1961 के एक दो दस्तावेजों में नाम के आगे शेख लिखा हुआ है। इसको आधार बनाकर पूर्व चेयरमैन पारस जैन व कृष्ण पाल सैनी ने चेयरमैन हाजी शाहनवाज़ लालू की जाति को चैलेंज किया था।
चैयरमेन का पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद क्या खतौली नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद की सीट पर अब दोबारा से चुनाव होगा? इस पर राजनीति के जानकारों के साथ मतदाताओं की भी निगाहें लग गई है।
क़ानूनी जानकारों का कहना है कि अभी बहुत जल्दी इसकी सम्भावना नहीं है क्योंकि जिलाधिकारी की समिति के फैसले के खिलाफ चेयरमैन मंडलायुक्त के समक्ष अपील करेंगे, मंडलायुक्त की समिति इस फैसले को वापस जिलाधिकारी की समिति के पास भेज सकती है और यदि इसी फैसले को लागू करती है तो चेयरमैन के पास हाई कोर्ट जाने का विकल्प होगा। UP News
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