Saturday, 18 May 2024

उत्तर प्रदेश के एक जज ने कर दिया कमाल, सुनाया गजब फैसला

UP News : उत्तर प्रदेश की एक जिला अदालत में तैनात जज ने कमाल कर दिया है। उत्तर प्रदेश के…

उत्तर प्रदेश के एक जज ने कर दिया कमाल, सुनाया गजब फैसला

UP News : उत्तर प्रदेश की एक जिला अदालत में तैनात जज ने कमाल कर दिया है। उत्तर प्रदेश के एक जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने बेहद शानदार फैसला सुनाया है। कानून के जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश का यह फैसला पूरे देश की छोटी-बड़ी सभी अदालतों के लिए एक बड़ा उदाहरण है। उत्तर प्रदेश के इस फैसले का असर महिलाओं के ऊपर सबसे ज्यादा पड़ेगा।

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उत्तर प्रदेश में सुनाया गया ऐतिहासिक फैसला

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की जिला अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश के बरेली की जिला अदालत में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ने यह फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश के बरेली की अदालत में एक युवती के साथ रेप करने का केस चल रहा था। इस केस में जिला अदालत के अपर सत्र न्यायधीश ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ने रेप का केस दर्ज करवाने वाली युवती को ही जेल भेजने का आदेश जारी कर दिया। कोई दूसरा मौका होता तो इस प्रकार के आदेश की खूब आलोचना की जाती। उत्तर प्रदेश के जज के इस फैसले की आलोचना की बजाय तारीफ हो रही है। इस फैसले को उत्तर प्रदेश में दिया गया ऐतिहासिक फैसला बताया है।

क्या है जज का फैसला

हम आपको उत्तर प्रदेश का यह ऐतिहासिक फैसला विस्तार से बता देते हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली में रेप के फर्जी केस में युवक को जेल भेजवाने के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। दरअसल, रेप के मामले में गवाही के दौरान युवती अपने बयान से मुकर गयी। इस पर उत्तर प्रदेश के बरेली कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए युवती को उतने ही दिन की सजा सुनायी, जितने दिन आरोपी युवक जेल में रहा। न्यायाधीश ने कोर्ट से ही युवती को बरेली सेंट्रल जेल भेज दिया। कोर्ट ने चार साल, छह माह, आठ दिन यानी 1,653 दिनों की कैद की सजा के साथ 5,88,822 रुपये अर्थदंड भी लगाया। न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इस तरह की महिलाओं के कृत्यों के कारण वास्तविक पीडि़ताओं को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

वर्ष-2019 से चल रहा था मामला

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के दुर्गानगर की महिला ने दो सितंबर 2019 को बरेली के बारादरी थाने में अजय नामक युवक पर बेटी के अपहरण व दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। महिला की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। युवती ने आरोपी अजय पर दिल्ली ले जाकर नशीला पदार्थ खिलाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। लेकिन कोर्ट में गवाही के दौरान युवती अपने बयान से मुकर गयी। युवती बोली कि मैं पढऩा लिखना नहीं जानती हूं, जबकि युवती ने कलमबंद बयान में अंग्रेजी में हस्ताक्षर किये थे। वह बोली अजय ने उसके साथ दुष्कर्म नहीं किया था। कलमबंद बयान उसने पुलिस के दबाव में दिया था। जिस पर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी अजय को दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया। वहीं, युवती को झूठी गवाही देने पर न्यायाधीश ने सजा और जुर्माना लगाया।

कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के मामले समाज में बेहद गंभीर हैं। अपने फायदे के लिए महिलाओं को पुरूषों के हितों पर आघात करने की छूट बिल्कुल नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा यह सजा उन महिलाओं के लिए नजीर बनेगी, जो पुरूषों के खिलाफ झूठे मुकदमें लिखवाकर उनकी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं। कोर्ट ने युवती पर जो जुर्माना लगाया है, वो न्यूनतम पारिश्रमिक दर के आधार पर तय किया गया। अदालत ने माना कि अजय ने जितने दिन जेल में बिताए, इतने दिन अगर वह मजदूरी करता तो कम से कम 5,88,822.47 रुपये कमा लेता। युवती से इतना जुर्माना वसूलकर अजय को दिया जाएगा। यदि युवती जुर्माना नहीं दे पाती है तो उसकी सजा 6 महीने और बढ़ा दी जाएगी। अब आपको पता चल गया होगा कि उत्तर प्रदेश के जज ने क्या कामल का फैसला सुनाया है। कानून के तमाम जानकार बता रहे हैं कि यह फैसला उत्तर प्रदेश समेत देश भर में बड़ा उदाहरण बनेगा।

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