Sunday, 19 May 2024

बड़ी बात: उत्तर प्रदेश की महिलाएं थाम रही हैं लोकतंत्र का झंडा

UP News : भारत का सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश अनेक मामलों में अनोखा प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में वह सब…

बड़ी बात: उत्तर प्रदेश की महिलाएं थाम रही हैं लोकतंत्र का झंडा

UP News : भारत का सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश अनेक मामलों में अनोखा प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में वह सब कुछ होता है जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल हुआ करता है। उत्तर प्रदेश की महिलाओं को ही ले लीजिए। उत्तर प्रदेश की महिलाएं भारत के लोकतंत्र का झंडा न केवल थाम रही हैं बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने का काम भी कर रही हैं। हम एक छोटे से विश्लेषण से आपको बता रहे हें कि किस प्रकार उत्तर प्रदेश की महिलाएं लोकतंत्र में झंडे को बेहद मजबूती से थाम रही हैं।

UP News

पूर्वी उत्तर प्रदेश की झलक

उत्तर प्रदेश की महिला भारत के सबसे बड़े लोकतांत्रिक पर्व यानि चुनाव में बढ़-चढक़र भाग लेने लगी हैं। अकेले पूर्वी उत्तर प्रदेश के छोटे से भाग से ही आप नारी शक्ति के इस बढ़ते हुए प्रभाव को समझ सकते हैं। हमने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह नगर गोरखपुर के आसपास के कुछ आंकड़ों को खंगालकर देखा तो पता चला कि उत्तर प्रदेश की हमारी माता, बहनें चुनाव में लगातार अपना योगदान बढ़ा कर भारत के लोकतंत्र में एक नया इतिहास बना रही हैं।

महिलाओं की बढ़ती हुई भागीदारी

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तथा उसके आसपास का सर्वे करते हुए हम यह बात उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र से शुरू करते हैं जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी हैं और वहां पिछले तीन चुनावों के मतदान में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को नारी चेतना के उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है। काला नमक के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में 2009 के चुनाव में महिलाओं ने 50.57 प्रतिशत वोट ह डाले थे तो 2014 में यह भागीदारी पांच प्रतिशत से अधिक बढ़ी और 55.66 के आंकड़े तक पहुंच गई और बीते चुनाव में यहां की महिलाओं ने 57.20 प्रतिशत मतदान किया। आने वाले चुनाव में यह ग्राफ और आगे बढ़ सकता है।

यह जागरुकता अनायास नहीं है। घर की लक्ष्मी कही जाने वाली महिलाएं मान्यताओं के इतर अब लिखा-पढ़ी में भी मालकिन बन चुकी हैं तो इसके पीछे केंद्र और प्रदेश सरकार की वे योजनाएं भी हैं जो उन्हें लक्ष्य कर चलाईं गईं। यह बड़ा बदलाव है कि राशन कार्ड पर घर की स्वामिनी के रूप में महिलाओं का हीं नाम दर्ज होता है। स्वामित्व की भावना ने महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाया है। इसके साथ ही उज्ज्वला योजना का प्रभाव भी है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर दीपेंद्र मोहन सिंह कहते हैं कि मतदान प्रतिशत बढऩे में महिला सहायता समूहों की अनदेखी नहीं की जा सकती। इन समूहों ने क्षेत्र में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूती तो दी ही है, आत्मविश्वास भी बढ़ाया है और वे अपने स्तर पर निर्णय लेने में सक्षम हुई हैं। महिला सहायता समूहों ने बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार के लिए घर से बाहर निकाला है तो इसका असर भी दिख रहा है। उनके अनुसार पूर्वांचल की महिलाओं में भाजपा का प्रभाव बढ़ा है और इसके स्वाभाविक रूप से इसका फायदा भी इस पार्टी को मिला है।

महिलाओं में बढ़ता मतदान प्रतिशत कहीं-कहीं तौ चौंकाने वाला है। जैसे कि बांसगांव (सु) सीट पर बीते पंद्रह साल के दौरान महिलाओं की मतदान में भागीदारी 20 प्रतिशत अधिक बढ़ गई। 2009 में इस संसदीय क्षेत्र में 39.97 प्रतिशत मतदान हुआ था तो 2019 में बढक़र 61.10 प्रतिशत पहुंच गया। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डा. अमित उपाध्याय बताते हैं कि इसके कई मुख्य कारण हैं। केंद्र हो या राज्य सरकार, दोनों ने महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर फोकस किया है। मतदाता सूची में महिलाओं के नाम जोडऩे पर भी जोर दिया जा रहा है। सुरक्षा, राशन, उज्जवला हो या तीन तलाक व 33 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा, महिलाएं इससे काफी प्रभावित हुईं हैं। सरकार ने सुनियोजित रूप से योजनाओं को आगे बढ़ाया है और इसी वजह से साल दर साल भाजपा का ग्राफ भी बढ़ा है। वे तर्क देते हैं कि उदाहरण के लिए महराजगंज संसदीय क्षेत्र को ही लें तो यहां 2009 के चुनाव में सीट भाजपा को सिर्फ 20.62 प्रतिशत वोट मिले थे जो तदान 2019 में 59.19 प्रतिशत तक जा पहुंचे। इसके पीछे  कुछ न कुछ कारण तो होगा ही।

उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी गांव पंचायत कौन सी है, बताने वाला होगा बुद्धिमान

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।

Related Post