चारधाम यात्रा में दर्दनाक मोड़: उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर हादसा, 6 श्रद्धालुओं की मौत

Picsart 25 05 08 16 39 38 761
locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 May 2025 10:15 PM
bookmark
उत्तरकाशी, 8 मई 2025 – उत्तराखंड में जारी चारधाम यात्रा के दौरान एक बेहद दुखद हादसा सामने आया है। गंगनानी क्षेत्र में एक हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया, जिसमें छह श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा आज सुबह करीब 8:45 बजे हुआ, जब हेलीकॉप्टर 200 से 250 मीटर गहरी खाई में गिर गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हेलीकॉप्टर "हेली एयरोट्रांस कंपनी" का था और यह देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड से उड़ान भरकर हर्सिल जा रहा था। यात्रियों का गंतव्य गंगोत्री धाम था। हेलीकॉप्टर में कुल सात लोग सवार थे, जिनमें से पांच महिला श्रद्धालु थीं। हादसे में छह लोगों की मौत हो गई जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ है और उसका उपचार जारी है। हादसे के तुरंत बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। उत्तराखंड प्रशासन और एसडीआरएफ (SDRF) की टीम मौके पर पहुंची और बचाव अभियान चलाया। हेलीकॉप्टर के मलबे को खाई से निकालने का प्रयास जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मृतकों के परिजनों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। चारधाम यात्रा के दौरान यह हादसा यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यात्रियों से अपील की गई है कि वे यात्रा करते समय सभी सुरक्षा निर्देशों का पालन करें और मौसम की स्थिति पर ध्यान दें। पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम तबाह, कई शहरों में ड्रोन हमले से दहला पाक
अगली खबर पढ़ें

सुरंग से सुरक्षित बाहर निकले श्रमिकों ने बयां की आपबीती, सुरंग में लूडो और योगा

12 19
Uttarkashi News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2023 06:50 PM
bookmark

Uttarkashi News / उत्तराखंड। उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग से कल रात 17 दिन बाद सुरक्षित निकाले गये 41 श्रमिक पूरी तरह सुरक्षित हैं और डाक्टरों की निगरानी में हैं। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने चिन्यालरौड स्थित अस्पताल में जाकर श्रमिकों से मुलाकात की और उन्हें 1 लाख रूपये की आर्थिक सहायता का चैक सौंपा। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सुरक्षित निकाले गये श्रमिकों से फोन पर बात की और उनके हौंसले को देशवासियों के लिए प्रेरणा बताया। सुरंग से बचकर बाहर आए मजदूरों ने सुरंग में बिताए हुए 17 दिनों की कहानी भी बयां की है।

Uttarkashi News in hindi

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने के कारण सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को मंगलवार को 17वें दिन सही सलामत वापस निकाल लिया गया। 16 दिनों बाद अंधेर से निकले श्रमिकों में खुशी की लहर है। परिवार से मिलकर श्रमिकों ने राहत की सांस ली है। सफल सिल्कयारा सुरंग बचाव मिशन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह बचाव अभियान चुनौतियों से भरा था। हिमालय हमें दृढ़ और अचल बने रहने और आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करता है। तमाम मुश्किलों के बाद भी हमने अंत में श्रमिकों को बाहर निकालने में सफल रहे। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी सिल्क्यारा सुरंग बचाव में शामिल आईटीबीपी जवानों से मुलाकात की। उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को कल रात सुरक्षित बचा लिया गया। अब सुरंग के अंदर की तस्वीरें पहली बार सामने आई हैं। जिसमें मजदूर बैठे हुए हैं और उनके पास खाने-पीने का सामान रखा है।

मजदूरों की सुरक्षा मांगी : अर्नोल्ड

रोजाना भगवान की पूजा करने और चुनौतियों पर अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि मैंने अपने लिए कुछ नहीं मांगा, मैंने वहां मौजूद 41 लोगों के लिए ही भगवान से मन्नत मांगी थी। मैनें इस ऑपरेशन में लगे लोगों के लिए प्रार्थना की थी, हम किसी को भी चोटिल नहीं होने दे सकते थे।

आपका साहस देशवासियों के लिए प्रेरणा : पीएम

17 दिन बाद उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग से सफलतापूर्वक बचाए गए श्रमिकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टेलीफोन पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि बाबा केदार की कृपा से आप सभी सुरक्षित बाहर आए हैं। पीएम ने कहा कि 16 दिन सुरंग में रहना बहुत हिम्मत की बात है, लेकिन आप लोगों ने हिम्मत बनाए रखी। आपकी हिम्मत देशवासियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर शुभकामनाएं दीं। और श्रमिकों के बारे में मुख्यमंत्री से जानकारी ली।

मजदूरों ने बयां की आपबीती

सुरंग से सुरक्षित बाहर आने के बाद मजदूरों ने अपनी-अपनी आपबीती बयां की। उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर इतने दिन कैसे काटे। बचाए गए श्रमिक विश्वजीत कुमार वर्मा की पहली एक्सक्लूसिव बाइट। उन्होंने सिल्कयारा सुरंग में फंसे होने की अपनी 17 दिन की आपबीती सुनाते हुए कहा कि जब मलबा गिरा, तो हमें पता था कि हम फंस गए हैं। पहले 10-15 घंटों तक हमें कठिनाई का सामना करना पड़ा। लेकिन बाद में, हमें चावल, दाल और सूखे फल उपलब्ध कराने के लिए एक पाइप लगाया गया। बाद में एक माइक लगाया गया और मैंने अपने परिवार के सदस्यों से बात करने में सक्षम था। मैं अब खुश हूं, अब दिवाली मनाऊंगा। सुरंग में फंसे झारखंड के मजदूर चमरा ओरांव ने बाहर आने के बाद बताया कि इन 17 दिनों में उन्होंने फोन पर लूडो खेलकर समय बिताया। क्योंकि, नेटवर्क नहीं होने के कारण हम किसी को कॉल नहीं कर सकते थे। सुरंग में आने वाले पहाड़ी पानी से स्नान किया। शुरुआत में मुरमुरे आदि खाकर भूख मिटाई। सुरंग के अंदर काफी स्पेस था। शौच के लिए एक स्थान निर्धारित कर रखा था।

ओरांव ने उस दिन की घटना को याद करते हुए कहा कि सब लोग 12 नवंबर की सुबह सुरंग के अंदर काम कर रहे थे। तभी जोरदार आवाज सुनी और एकाएक ढेर सारा मलबा गिर गया। मुझ जैसे कई मजदूर उसी में फंस गए। बाहर नहीं निकल पाए। जब पता चला कि हम लंबे समय के लिए फंस गए हैं तो बेचैन हो उठे। लेकिन हमने उम्मीद नहीं खोई। भगवान, सरकार और बचावकर्मियों का दिल से शुक्रिया है। रेस्क्यू टीम के लोग, अधिकारी पल-पल की जानकारी ले रहे थे और हमें भरोसा दिला रहे थे।

सबा अहमद ने कहा कि खाना आता था तो हम लोग मिलजुल के एक जगह बैठ के खाते थे। रात में खाना खाने के बाद सभी को बोलते थे कि चलो एक बार टहलते हैं। टनल का लेन ढाई किलोमीटर का था, उसमें हम लोग टहलते थे। इसके बाद मॉर्निंग के समय हम सभी वॉक और योगा करते थे।

वहीं, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले अखिलेश कुमार कहते हैं- सुरंग के अंदर पहले कुछ दिन दिक्कत हुई लेकिन जब सरकार और अधिकारियों ने हमसे संपर्क स्थापित कर लिया तो राहत महसूस हुई। पाइप के जरिए खाना, पानी आदि पहुंच रहा था। बाद में फोन से बात भी होने लगी थी। देशवासियों की दुआएं काम आ गईं।

नोएडा : ‘नामर्द है मेरा डॉक्टर पति’ शादी के दो साल बाद भी नहीं बनाएं शारीरिक संबंध

ग्रेटर नोएडा - नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

उत्तरकाशी ऑपरेशन : यहां जानिए 17 दिन में कब क्या हुआ

03 13
उत्तरकाशी ऑपरेशन
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:47 AM
bookmark

उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद जहां अफसरों ने राहत की सांस ली है, वहीं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और पीएम नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन में लगे छोटे बड़े सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और बचाव दल के कार्यकर्ताओं को न केवल बधाई दी है, बल्कि उनका आभार भी जताया है। यहां हम आपको बताएंगे कि श्रमिकों के टनल में फंसने के बाद 17 दिन तक क्या क्या हुआ...

उत्तरकाशी ऑपरेशन

12 नवंबर यादि दीपावली के दिन सुबह लगभग 5.30 बजे भूस्खलन के बाद ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा-दंदालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से मजदूर फंस गए।

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, परियोजना निष्पादन एजेंसी एनएचआईडीसीएल और आईटीबीपी सहित कई एजेंसियों ने बचाव प्रयास शुरू कर दिए हैं और एयर-कंप्रेस्ड पाइप के जरिए फंसे हुए मजदूरों को ऑक्सीजन, बिजली और खाने की आपूर्ति करने की व्यवस्था की गई।

13 नवंबर को फंसे हुए श्रमिकों से ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली पाइप के जरिए संपर्क स्थापित किया गया और उनके सुरक्षित होने की सूचना दी गई। ऊपर से ताजा मलबा गिरता रहता है जिसके कारण लगभग 30 मीटर के क्षेत्र में जमा हुआ मलबा 60 मीटर तक फैल जाता है।

14 नवंबर को 800 और 900 मिलीमीटर व्यास के स्टील पाइपों को होरिजोन्टल खुदाई के लिए ऑगर मशीन की मदद से मलबे के जरिए डालने के लिए सुरंग स्थल पर लाया गया। हालांकि, इस दौरान दो मजदूरों को मामूली चोटें आईं।

15 नवंबर को पहली ड्रिलिंग मशीन से असंतुष्ट, NHIDCL ने एक अत्याधुनिक ऑगर मशीन की मांग की, जिसे ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए दिल्ली से हवाई मार्ग से लाया जाता है।

16 नवंबर को ड्रिलिंग मशीन को असेंबल और स्थापित किया गया। यह आधी रात के बाद काम करना शुरू कर देता है।

17 नवंबर को मशीन दोपहर तक 57 मीटर के मलबे के बीच लगभग 24 मीटर ड्रिल करती है और चार एमएस पाइप डाले जाते हैं। जब पांचवां पाइप किसी बाधा से टकराता है तो ऑपरेशन कुछ समय के लिए रुक गया। बचाव प्रयासों के लिए एक और उच्च प्रदर्शन वाली ऑगर मशीन को नीचे लाया गया। शाम को पांचवें पाइप की पोजीशनिंग के दौरान सुरंग में बड़ी चटकने की आवाज सुनाई दी आसपास के क्षेत्र में और अधिक ढहने की आशंका के डर से ऑपरेशन को तत्काल रोक दिया गया।

18 नवंबर को शनिवार को ड्रिलिंग फिर से शुरू नहीं हुई क्योंकि विशेषज्ञों का मानना था कि सुरंग के अंदर डीजल चालित 1750 हार्स पावर अमेरिकी ऑगर द्वारा उत्पन्न कंपन के कारण अधिक मलबा गिर सकता है, जिससे बचाव कर्मियों के जीवन को खतरा हो सकता है। पीएमओ के अधिकारियों और विशेषज्ञों की एक टीम विकल्पों की खोज रही थी, जिन्होंने फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग सहित एक साथ पांच एग्जिट प्लान पर काम करने का फैसला लिया।

19 नवंबर को ड्रिलिंग बंद रही जबकि बचाव अभियान की समीक्षा करने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि विशाल ऑगर मशीन के साथ होरिजेंटल रूप से बोरिंग करना सबसे अच्छा विकल्प प्रतीत होता है।

20 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन का जायजा लेने के लिए सीएम पुष्कर धामी से फोन पर बात की। हालाकि, टीम ने अभी तक होरिजेंटल ड्रिलिंग को फिर से शुरू नहीं किया था जो ऑगर मशीन की प्रगति को अवरुद्ध करने वाली एक चट्टान दिखाई देने के बाद निलंबित कर दी गई थी।

21 नवंबर को बचावकर्मियों ने फंसे हुए मजदूरों का पहला वीडियो जारी किया गया। पीले और सफेद हेलमेट पहने हुए कार्यकर्ता पाइपलाइन के जरिए भेजे गए खाद्य पदार्थों को प्राप्त करते हुए और एक-दूसरे से बात करते हुए दिखाई दिए। सुरंग के बालकोट-छोर पर दो विस्फोट किए गए, जिससे एक और सुरंग खोदने की प्रक्रिया शुरू होती है - जो सिल्कयारा की साइड से ड्रिलिंग का एक विकल्प था। लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि इस दृष्टिकोण में 40 दिन तक का समय लग सकता है। एनएचआईडीसीएल ने सिल्क्यारा छोर से होरिजेंटल बोरिंग ऑपरेशन रातभर फिर से शुरू किया जिसमें एक ऑगर मशीन शामिल थी।

22 नवंबर को 800 मिमी व्यास वाले स्टील पाइपों की होरिजोंटल ड्रिलिंग लगभग 45 मीटर तक पहुंच गई और लगभग 57 मीटर के मलबे के हिस्से में केवल 12 मीटर शेष रह गया। एम्बुलेंस को स्टैंडबाय पर रखा गया है। हालांकि, देर शाम के घटनाक्रम में, ड्रिलिंग में बाधा आती है जब कुछ लोहे की छड़ें ऑगर मशीन के रास्ते में आ जाती हैं।

23 नवंबर को लोहे की बाधा को हटा दिया गया जिसके कारण ड्रिलिंग में छह घंटे की देरी हुई। अधिकारियों का कहना है कि ड्रिल से 48 मीटर बिंदु तक पहुंच गया है। लेकिन जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई थी, उसमें दरारें दिखाई देने के बाद जाहिरा तौर पर मलबे के जरिए बोरिंग को फिर से रोक दिया गया है।

24 नवंबर को 25 टन की मशीन को फिर से शुरू किया गया और ड्रिलिंग फिर से शुरू की गई। हालांकि, एक ताजा बाधा में, ड्रिल एक धातु गर्डर से टकराई जिससे ऑपरेशन फिर से रुक जाता है।

25 नवंबर को मलबे में ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंस गए, जिससे अधिकारियों को उन विकल्पों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे बचाव कार्य में कई दिन, यहां तक ​​कि सप्ताह भी लग सकते थे। अधिकारी अब दो विकल्पों पर विचार कर रहे थे। मलबे के शेष 10-12 मीटर में मैन्युअल ड्रिलिंग या ऊपर से 86 मीटर नीचे ड्रिलिंग।

26 नवंबर को वैकल्पिक निकास मार्ग बनाने के लिए 19.2 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग की गई। जैसे-जैसे ड्रिलिंग आगे बढ़ी, एग्जिट रूट बनाने के लिए 700 मिमी चौड़े पाइप डाले गए।

27 नवंबर को रैट माइनर्स को बचावकर्ताओं की सहायता के लिए बुलाया गया, जिन्हें लगभग 10 मीटर मलबे को होरिजेंटल रूप से खोदने की जरूरत थी। इसके साथ ही सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग करके 36 मीटर की गहराई तक पहुंचा दिया गया है।

28 नवंबर को रैट माइनर्स लगभग 7 बजे मलबे के आखिरी हिस्से को तोड़ते हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए स्टील शूट में अंदर घुसे और उन्हें एक-एक करके व्हील-स्ट्रेचर पर बाहर निकालना शुरू किया। थोड़ी ही देर में मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया।

बड़ी खबर : उत्तरकाशी टनल से सुरक्षित निकाले गए सभी 41 मजदूर, पूरा हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।