Thursday, 2 May 2024

Uttrakhand News : फिर मुखर हुआ रानीखेत नगर पालिका का सवाल

Uttrakhand News : अल्मोड़ा (नवीन बिष्ट)। रानीखेत कैंट क्षेत्र की जनता कैंट को नगर पालिका परिषद बनाए जाने की मांग…

Uttrakhand News : फिर मुखर हुआ रानीखेत नगर पालिका का सवाल

Uttrakhand News : अल्मोड़ा (नवीन बिष्ट)। रानीखेत कैंट क्षेत्र की जनता कैंट को नगर पालिका परिषद बनाए जाने की मांग यूं तो स्वाधीनता के बाद से ही करती चली आ रही है। 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के रानीखेत आगमन के मौके पर रानीखेत के मौजिज लोगों ने मांग पत्र सौंप कर विधिवत नगर पालिका बनाए जाने की मांग की थी। प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया था कि सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाएगा। तकरीबन 70 सालों का लंबा कालखण्ड बीतने के बाद भी जनता खाली हाथ है। अपने को ठगा महसूस कर रही जनता इन दिनों एक फिर नगर पालिका की मांग को लेकर जनता मुखर हो कर सड़कों पर उतर गई है। धरना-प्रदर्शन गांधी चौक में तो चल रहा है, पिछले आंदोलनों की तर्ज पर कैंट के चुनावों का नहीं बल्कि लोकसभा सहित सभी चुनावों के बहिष्कार की चेतावनी दी जा रही है।

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आन्दोलनरत जनता को हर बार सरकार या नेता आश्वासनों की घुट्टी पीला कर आन्दोलन स्थगित करा देती है, बेताल फिर उसी डाल पर जा लटकता है। इस दफा रानीखेत विकास संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहा आन्दोलन निर्णायक होगा, ऐसा धरने पर बैठे समिति का कहना है।

बहरहाल पिछले आन्दोलनों की उपलब्धता पर नजर डाले तो देखते हैं कि 1985 में चले आंदोलन के कारण कैंट की परिधि से 67 एकड़ मुक्त था, जिसे बढ़ाकर 167 एकड़ क्षेत्र को सिविल क्षेत्र घोशित कर दिया गया। फिर दबाव बनाया गया तो 1988 में तत्कालीन केन्द्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार कैंट क्षेत्र को नगर पालिका बनाए जाने संबंधी राय मांगी। गेंद राज्य सरकार के पाले में गई जो आज भी उसी पाले में घूम रही है।

चुनाव रद्द करने की घोषणा

उल्लेखनीय है कि लंबे संघर्ष का ही परिणाम रहा कि चिलायानौला को नगर पालिका का दर्जा दिया गया, अब रानीखेत विकास संघर्ष समिति का कहना है कि पूर्व में बनाई गई नगर पालिका में रानीखेत के सिविल क्षेत्र को शामिल किया जाये। इधर रानीखेत में संघर्ष समिति के आंदोलन के चलते कैंट के चुनाव रद्द करने की घोषणा हो गई है।

कुल मिला कर सोमवार को गांधी चौक पर रानीखेत विकास संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहा धरना 18वें दिन भी जारी रहा। ‘ले मशाल चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के, अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गांव के” जनवादी कवि बल्ली सिंह चीमा की इन पंक्तियों को चरितार्थ दिशा को ले जाने की आशाओं के साथ आंदोलन बदस्तूर जारी है।

धरने पर समिति के संयोजक हेमंत मेहरा, पूर्व छावनी परिषद उपाध्यक्ष मोहन नेगी, ब्लॉक प्रमुख हीरा रावत, पूर्व प्रमुख रचना रावत, कैलाश पाण्डे, दीप भगत, गुड्डू भगत, चारू पंत, दीपक पंत, संदीप गोयल, अनिल वर्मा, जयंत रौतेला, यतीष रौतेला सहित अनेक लोग मौजूद थे।

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