Noida : Greater Noida : नोएडा/ग्रेटर नोएडा । शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम जिले में मजाक बन गया है। अधिकतर स्कूल संचालक चयनित बच्चों को दाखिला देने के नाम पर दस्तावेजों के जंजाल में फंसाकर फ्री दाखिला देने की बजाए उनसे धन उगाही का जुगाड़ लगा रहे हैं। सब जानते हैं कि वर्ष-2009 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम लागू हुआ था। इस अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभिभावकों के लिए यह अधिनियम बेहद उपयोग माना जाता है। जिन परिवारों की स्थिति अपने बच्चों को पढ़ाने लायक नहीं होती है वे इस अधिनियम के तहत अपने बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिला सकते हैं। अधिनियम का मूलभाव यही है कि किसी भी परिस्थिति में एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहने पाए।
गौतमबुद्धनगर जिले में यह अधिनियम मानो मजाक बन गया है। जिले में 3368 बच्चों का चयन अब तक इस अधिनियम (आरटीई) के तहत हो चुका है। दुर्भाग्य से अधिकतर स्कूल संचालन चयनित बच्चों को दाखिला देने की बजाए उनके अभिभावकों को दस्तावेजों के जाल में फंसा रहे हैं। अभिभावकों से इतने सारे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं कि वे उन दस्तावेजों को जुटाते-जुटाते हलकान हो रहे हैं। स्कूल संचालकों की मंशा साफ है कि बच्चों को मुफ्त में पढाना ही न पड़े। अनेक अभिभावकों का आरोप है कि उन्हें जिले के शिक्षा विभाग से भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। नोएडा जन चेतना समिति ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई को पत्र लिखकर प्रत्येक बच्चे का दाखिला सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया है।