Wednesday, 27 November 2024

Success story: कामयाबी के लिए धीरूभाई अंबानी ने तीन बार बदला कंपनी का नाम

Success story: भारत के जाने माने उद्योगपतियों में से एक दिग्गज उद्योगपति धीरूभाई अंबानी की सक्‍सेस स्‍टोरी से हर कोई…

Success story: कामयाबी के लिए धीरूभाई अंबानी ने तीन बार बदला कंपनी का नाम

Success story: भारत के जाने माने उद्योगपतियों में से एक दिग्गज उद्योगपति धीरूभाई अंबानी की सक्‍सेस स्‍टोरी से हर कोई प्रेरित है। आज कोई जब अपनी शुरुआत करता है तो अंबानी परिवार की कामयाबी की मिसालें दी जाती हैं।

धीरूभाई अंबानी ने ही रिलायंस की शुरूआत की थी। आज आपको धीरूभाई अंबानी के सफर के बारे में बताते हैं कि कैसे मेले में भजिया बेचने वाला लड़का देश का सबसे रईस इंसान बना।उनकी  सक्सेस की स्टोरी हर कोई जानना चाहता है ।

जन्म स्थान:

28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड़ में जन्मे धीरूभाई अंबानी का पूरा नाम धीरजलाल हीरालाल अंबानी था। हीराचंद गोवर्धनदास अंबानी और जमनाबेन अंबानी के तीन पुत्र व दो बेटियाँ थीं, जिसमे धीरूभाई अंबानी उनके दूसरे पुत्र थे। उनके पिता हीराचंद गोवर्धनदास अंबानी एक स्कूल में शिक्षक थे। इन्होने अपने जीवन के शुरुआती दौर मे बहुत कठिनाइयों का सामना किया था। अर्थिक तंगी इतनी थी परिवार मे कि इन्हें अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी। मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद काम करना शुरु कर दिया। परिवार की आर्थिक मदद करने के लियें कभी तेल बेचा तो कभी भुजिया बेचना पड़ा ।बचपन से ही उनकी व्यापारी बुद्धि तेज थी, एक बार उन्होंने एक wholesaler से मूंगफली के तेल का एक टिन खरीदा और सड़क के किनारे Retail में तेल बेच दिया। उन्होंने इस लेनदेन से लाभ के रूप में कुछ रुपये अर्जित किए।

कुछ समय के बाद उन्होनें व्यापार करने की सोची तो उनके पास न तो पुश्तैनी संपत्ति थी और न ही बैंक बैलेंस। 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए वे साल 1950 में अपने भाई रमणीकलाल के पास यमन चले गए।

पहली नौकरी की शुरुआत:Success story

बड़े भाई रमणीकलाल ने ‘ए. बैसी एंड कंपनी’ के पेट्रोल पंप पर धीरूभाई की 300 रुपये प्रतिमाह की नौकरी लगवा दी। कुछ साल नौकरी करने के बाद वे 1954 में भारत आ गए। अपनी आंखो मे बहुत बड़ा सपना और जेब में सिर्फ 500 रुपये लेकर वह मुंबई आ गये। धीरूभाई ने मुंबई में किराए के मकान से बिजनेस शुरू किया। मुंबई के मस्जिद बन्दर के नरसिम्हा स्ट्रीट पर एक छोटे से दफ्तर से रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की शुरुआत हुई। उन्होंने थोड़ी सी पूंजी के साथ 1958 में रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की स्थापना की। उनकी कंपनी अदरक, हल्दी, इलायची, कपड़ों के अलावा कई चीजों का एक्सपोर्ट करती थी। धीरूभाई की कारोबारी बुद्धि काम आई और उनका व्यापार चल पड़ा।

परिवार के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद था:

धीरूभाई अंबानी को पार्टी करना बिल्कुल पसंद नहीं था। हर शाम वो अपने परिवार के साथ बिताते थे। धीरूभाई अंबानी को ज्यादा ट्रैवल करना भी पसंद नहीं था। विदेश यात्रा का काम वो कंपनी के अधिकारियों को देते थे।

धीरुभाई अंबानी को जोखिम लेना काफी पसंद था। धीरूभाई अंबानी ने अपने बिजनेस का नाम कई बार बदला। रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन, रिलायंस टैक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के रूप में तीन बार धीरूभाई अंबानी ने अपने कारोबार का नाम बदल दिया।

विमल ब्रांड की स्थापना: Success story

1965 मे मुंबई के यार्न बाजार व देश के हैंडलूम और पावरलूम केंद्रों में पहचान बना चुके थे। जब साठ के दशक की शुरुआत में उन्होंने विस्कोस आधारित धागा चमकी बनाया तो आसमान की बुलंदीया छूने लगे थे। इसके बाद गुजरात के नरोदा मे 15000 की लागत से एक मिल लगाई। यहा पॉलिएस्टर के धागों से कपड़ा बनाया जाता था। इस कंपनी का नाम विमल ब्रांड रखा जो उनके बड़े भाई रमणीकलाल के बेटे विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था। विमल ने ही धीरूभाई अंबानी को बिजनेस टाइकून बना दिया।

1992 में ग्‍लोबल मार्केट से फंड जुटाने वाली रिलायंस देश की पहली कंपनी बनी। 2000 के आसपास रिलायंस पेट्रो कैमिकल और टेलिकॉम के सेक्‍टर में आई और धीरूभाई अंबानी देश के सबसे रईस व्‍यक्ति बनकर उभरे और 6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी अपनी यादें छोड़ गए।

आज रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) दुनिया की दिग्गज कंपनियों में शुमार है। उनकी मृत्यु के समय रिलायंस ग्रुप की सकल संपत्ति 60,000 करोड़ पर पहुंच चुकी थी। उनके जाने के बाद उनका पूरा बिजनेस उनके दोनों बेटों मुकेश और अनिल अंबानी ने संभाल लिया था। हालांकि, बाद में दोनों भाइयों के बीच विवाद की वजह से संपत्ति का बंटवारा करना पड़ा।

व्यापार जगत मे अपनी छाप छोड़ने वाले धीरूभाई अंबानी सबका आदर्श बन चुके है । कोई व्यापार करने की शुरुआत करता है तो आदर्श हमेशा धीरूभाई अंबानी को ही मानता है। कैसे एक भजिया बेचने वाला लड़का इतना महान बिजनेसमैन बन गया। यह कहानी सभी के लिये एक प्रेरणा स्रोत बन गयी है ।

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