Sunday, 19 May 2024

धारा 370 बनी इतिहास, अभी भी कायम हैं कुछ काले कानून

Articles 371 : पिछले 70 सालों से जम्मू कश्मीर में लागू रही धारा 370 को खत्म करने के लिए सुप्रीम…

धारा 370 बनी इतिहास, अभी भी कायम हैं कुछ काले कानून

Articles 371 : पिछले 70 सालों से जम्मू कश्मीर में लागू रही धारा 370 को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार के फैसले को बरकार रखा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि धारा 370 जम्मू एंड कश्मीर में अस्थायी व्यवस्था थी। अब वहां पर स्थायी व्यवस्था के तहत पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए और सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराएं जाएं।

Articles 371 Kya hai

जम्मू कश्मीर में भले ही धारा 370 को पूर्ण रुप से खत्म कर दिया गया हो, लेकिन इसके बावजूद देश में कई राज्य ऐसे हैं, जहां पर अभी भी कई काले कानून लागू हैं। इन काले कानूनों के चलते न केवल वहां की जनता बल्कि उन राज्यों से बाहर की जनता को भी दिक्कते होती हैं।

आपको बता दें कि देश के कई राज्य हैं, जिनमें धारा 371 या इससे संबंधित उप धाराएं लागू हैं। इन राज्यों में हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, असम और मणिपुर शामिल हैं। आइए जानते हैं कि इन राज्यों में धारा 371 की क्या उप धाराएं हैं और उनका क्या असर पड़ता है। जिन राज्यों में धारा 371 या उससे संबंधित उप धाराएं लागू हैं, उन राज्यों को विशेष अधिकार दिए गए हैं।

नागालैंड में लागू धारा-371A

नागालैंड में 371ए 1962 में जोड़ा गया था। धारा 371-A के तहत नागालैंड को तीन विशेष अधिकार दिए गए हैं। पहला- भारत का कोई भी कानून नागालैंड के लोगों के सांस्कृतिक और धार्मिक मामलों पर लागू नहीं होता है। दूसरा- आपराधिक मामलों में नगा लोगों को राज्य के कानून के तहत सजा मिलती है। संसद के कानून और सुप्रीम कोर्ट का आदेश इनपर लागू नहीं होता। तीसरा- नागालैंड में दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता है।

असम में लागू 371B

असम में 371बी, 1969 में 22वें संशोधन के जरिए संविधान में जोड़ा गया था। ये असम पर लागू होता है। इसके तहत राष्ट्रपति के पास अधिकार होता है कि वो असम विधानसभा की समितियों का गठन करें और इसमें राज्य के जनजातीय क्षेत्रों से चुने गए सदस्यों को शामिल कर सकते हैं।

मणिपर और आर्टिकल-371C

27वें संशोधन के जरिए आर्टिकल-371C को लाया गया था। ये मणिपुर में लागू है। इसके तहत राष्ट्रपति मणिपुर विधानसभा में एक समिति बना सकते हैं। इस समिति में राज्य के पहाड़ी इलाकों से चुने गए सदस्यों को शामिल कर सकते हैं। समिति का काम राज्य के पहाड़ी इलाकों के बसे लोगों के हित में नीतियां बनाना होता है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आर्टिकल-371D

1973 में इसे संविधान में जोड़ा गया था। आर्टिकल-371D आंध्र प्रदेश में लागू होता था। 2014 में आंध्र से अलग होकर तेलंगाना बना। अब ये दोनों राज्यों में लागू होता है। इसके तहत राष्ट्रपति को अधिकार दिया गया है कि वो राज्य सरकार को आदेश दे सकते हैं कि किस नौकरी में किस वर्ग के लोगों को रखा जा सकता है। इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य के लोगों को बराबर की हिस्सेदारी मिलती है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में 371E भी लागू होता है जो केंद्र सरकार को यहां सेंट्रल यूनिवर्सिटी का गठन करने का अधिकार देता है।

सिक्किम और आर्टिकल-371F

इसे 1975 में 36वें संशोधन के जरिए जोड़ा गया था। आर्टिकल-371F में कहा गया है कि सिक्किम के राज्यपाल के पास राज्य में शांति बनाए रखने और उसके लिए उपाय करने का अधिकार है। इसके तहत सिक्किम की खास पहचान और संस्कृति को संरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। इसके अलावा 1961 से पहले राज्य में आकर बसे लोगों को ही सिक्किम का नागरिक माना जाएगा और सरकारी नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। आर्टिकल-371F के तहत सिक्किम की पूरी जमीन पर यहां के लोगों का ही अधिकार है और बाहरी लोग यहां जमीन नहीं खरीद सकते।

मिजोरम धारा-371G

धारा-371G मिजोरम पर लागू होता है। 53वें संशोधन के जरिए 1986 में इसे जोड़ा गया था। इसके तहत मिजो लोगों के धार्मिक, सांस्कृति, प्रथागत कानूनों और परंपराओं को लेकर विधानसभा की सहमति के बगैर संसद कोई कानून नहीं बना सकती। इसके अलावा, इसमें ये भी प्रावधान किया गया है कि यहां की जमीन और संसाधन किसी गैर-मिजो को नहीं मिल सकता। यानी जमीन का मालिकाना हक सिर्फ मिजो लोगों को ही दिया जा सकता है।

आर्टिकल-371H, अरुणाचल प्रदेश

संविधान में 55वां संशोधन कर इस आर्टिकल को जोड़ा गया था। ये अरुणाचल प्रदेश में लागू है। इसके तहत राज्यपाल को कानून-व्यवस्था के लिए कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं। राज्यपाल चाहें तो मुख्यमंत्री का फैसला भी रद्द कर सकते हैं। इस तरह का अधिकार बाकी किसी दूसरे राज्यपाल के पास भी नहीं है।

गोवा, आर्टिकल-371I

ये गोवा में विधानसभा गठन से जुड़ा हुआ है। इसके तहत, गोवा विधानसभा में 30 से कम सदस्य नहीं होंगे।

आर्टिकल-371J| कर्नाटक

2012 में 98वें संशोधन के जरिए इसे संविधान में जोड़ा गया था। ये कर्नाटक में लागू होता है। इसके तहत हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के छह जिलों को विशेष दर्जा दिया गया है। इसे अब कल्याण-कर्नाटक कहते हैं।

इन जिलों के लिए अलग विकास बोर्ड बनाने का प्रावधान आर्टिकल-371J में किया गया है। साथ ही स्थानीय लोगों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण भी दिया जा सकता है।

संविधान लागू होने के समय नहीं थी धारा 371

संविधान के भाग-21 में आर्टिकल 369 से लेकर आर्टिकल 392 तक को परिभाषित किया गया है। इस भाग को ‘टेम्पररी, ट्रांजिशनल एंड स्पेशल प्रोविजन्स’ का नाम दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सितंबर 2019 में बताया था कि आर्टिकल 370 अस्थाई प्रावधान था, जबकि आर्टिकल 371 विशेष प्रावधान है।
जब संविधान लागू हुआ था, तब आर्टिकल 371 नहीं था। बल्कि अलग-अलग समय में संशोधन के जरिए इन्हें जोड़ा गया।

आर्टिकल 371 के जरिए विशेष प्रावधान उन राज्यों के लिए किए गए थे, जो बाकी राज्यों के मुकाबले पिछड़े थे और उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पाया था। साथ ही ये आर्टिकल जनजातीय संस्कृति को संरक्षण देता है और स्थानीय लोगों को नौकरियों के अवसर देता है।

संविधान में आर्टिकल 371 के अलावा आर्टिकल 371A से 371J तक अलग-अलग राज्यों के लिए बनाए गए हैं, जो इन राज्यों को कुछ खास बनाते हैं।

क्या है आर्टिकल 371 ?

आर्टिकल 371 महाराष्ट्र, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू होता है। इसके तहत, महाराष्ट्र और गुजरात के राज्यपाल को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं।

महाराष्ट्र के राज्यपाल विदर्भ और मराठवाड़ा के लिए और गुजरात के राज्यपाल सौराष्ट्र और कच्छ के लिए अलग-अलग विकास बोर्ड बना सकते हैं।

वहीं, हिमाचल प्रदेश में लागू इस आर्टिकल के तहत कोई बाहरी व्यक्ति यहां खेती की जमीन नहीं खरीद सकता।

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