Saturday, 4 May 2024

Chhawla Case: गैंगरेप के दोषियों के खिलाफ पुर्नविचार याचिका को मंजूरी

Chhawla Case: 2012 में हुए छावला सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में तीन दोषियों की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के…

Chhawla Case: गैंगरेप के दोषियों के खिलाफ पुर्नविचार याचिका को मंजूरी

Chhawla Case: 2012 में हुए छावला सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में तीन दोषियों की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दाखिल की जाएगी। उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की तरफ से पुर्नविचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी दे दी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पाए तीन दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था। पुर्नविचार याचिका को मंजूरी के साथ ही दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इस केस में सरकार का पक्ष रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को नियुक्त करने की भी मंजूरी दे दी है।

Chhawla Case

आपको बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने छावला गैंगरेप मर्डर केस के तीन दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था। दोषियों की रिहाई के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परिस्थितियों का पूरी तरह आंकलन और रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों को ध्यान में रखते हुए यह कहना मुश्किल है कि अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूत जुटाकर आरोपियों को दोषी साबित किया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये मामला 2012 का है। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल निवासी एक महिला का अपहरण किया गया और बाद में उसका शव हरियाणा के रेवाड़ी जिले में खेतों में मिला था। वो 9 फरवरी 2012 का दिन था, जब दिल्ली के छावला कैंप में रहने वाली ये महिला अपने घर से महज 10 मिनट की दूरी पर बस से उतरी थी। महिला गुरुग्राम की साइबर सिटी में एक निजी कंपनी में काम करती थी और बस से उतरने के बाद अपने दो दोस्तों के साथ घर जा रही थी कि तभी कार में कुछ लोग आए और महिला का अपहरण कर लिया।

कुछ दिन बाद महिला का शव हरियाणा के रेवाड़ी में खेतों में मिला और उसके शरीर पर चोटों और जलने के निशान भी मिले। महिला की ऑटोप्सी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई कि उसके ऊपर कार के औजारों, कांच की बोतलों और लोहे के धारदार हथियारों से हमला किया गया है। इस मामले में 19 फरवरी 2014 को रवि और विनोद सहित तीन लोगों को दोषी माना गया और ट्रायल कोर्ट ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई। इसके बाद 26 अगस्त 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था।

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