Saturday, 4 May 2024

भारत के हर नागरिक के लिए बड़ी खुशखबरी, 50 खरब डालर की अर्थव्यवस्था

Indian Economy : यह खबर भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए बड़ी खबर है। भारत के हर एक व्यक्ति को…

भारत के हर नागरिक के लिए बड़ी खुशखबरी, 50 खरब डालर की अर्थव्यवस्था

Indian Economy : यह खबर भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए बड़ी खबर है। भारत के हर एक व्यक्ति को खुश होना चाहिए। क्योंकि हमारे देश भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के बड़े-बड़े देशों के बराबर होकर 50 खरब डॉलर के स्तर पर पहुंचने वाली है। हम यहां आपको बताते हैं कि कैसे बन रही है। भारत की अर्थव्यवस्था 50 खरब डॉलर की, और क्या है इसके फायदे?

Indian Economy

तेजी से बढ़ रही है अर्थव्यवस्था

आपको बता दें कि हाल ही में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वर्ष का बजट पेश किया है। भारत के इस बजट के दौरान दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों में भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार से विश्लेषण किया है। सभी अर्थशास्त्री मानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ सुधर रही है। इसी प्रकार का एक व्यापक विश्लेषण हम यहां आपके सामने रख रहे हैं। अर्थव्यवस्था पर पैनी नजर रखने वाले सतीश सिंह ने यह विश्लेषण आपके लिए लिखा है। यह पूरा विश्लेषण आपको जरूर पढऩा चाहिए। इस विश्लेषण से साफ होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था 50 खरब डॉलर के स्तर तक पहुंचने वाली है।

गजब की अर्थव्यवस्था

हाल ही में अंतरिम बजट पेश करने से ठीक पहले सरकार ने ‘द इंडियन इकनॉमी एंड रिव्यू’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें वर्ष 2027 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वर्तमान मूल्य पर अर्थव्यवस्था के 50 खरब डॉलर के स्तर पर पहुंचने और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की बात कही गई है, जो वास्तविक प्रतीत हो रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, भारत की जीडीपी वर्तमान मूल्य पर अभी 37.3 खरब डॉलर की है। अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान की जीडीपी भारत से ज्यादा है। पहले स्थान पर अमेरिका की जीडीपी वर्तमान मूल्य पर 269 खरब डॉलर की है, जबकि चौथे स्थान पर जापान की जीडीपी 42 खरब डॉलर की है।

किसी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को मापने के लिए पर्चेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) पैमाने का भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह पैमाना बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। इस संकल्पना के तहत दो देशों के बीच उत्पादकता और लोगों के रहन-सहन की गुणवत्ता (लिविंग स्टैंडर्ड) की तुलना करने के लिए दो या दो से अधिक देशों की सेवाओं व उत्पादों के साथ वहां की मुद्राओं की क्रय क्षमता के बीच तुलना की जातीं है, जिससे व्यक्ति के खरीदने की क्षमता का पता चलता है। यदि भारत में एक व्यक्ति की हेयर कटिंग 170 रुपये में की जाती है और अमेरिका में दो डॉलर में, तो यहां के 170 रुपये के समकक्ष दो डॉलर हुआ, यानी भारत और अमेरिका में एक समान सेवा की कीमत एक समान है। इसी को पर्चेजिंग पावर पैरिटी कहते हैं। इसकी गणना में वस्तु या सेवा की कीमत की दर और विनिमय दर, दोनों को ध्यान में रखा जाता है।

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पीपीपी के मामले में 2023 में भारत 131.19 खरब डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, जबकि चीन 303 खरब डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया में पहले स्थान पर था। वहीं, अमेरिका 254 खरब डॉलर की जीडीपी के साथ दूसरे स्थान पर था। हालांकि, 2023 में वर्तमान मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत दुनिया में 140वें स्थान पर था, जबकि पीपीपी की गणना- पद्धति के संदर्भ में प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत 125वें स्थान पर था।

भारत में जीडीपी की गणना दो प्रकार से की जाती है। वास्तविक या रियल और नॉमिनल। वास्तविक जीडीपी की गणना का आधार वर्ष 2011-12 है और इस अवधि के दौरान वस्तुओं एवं सेवाओं की तात्कालिक कीमत के अनुसार वस्तु या सेवा का मूल्य आंका जाता है, जबकि नॉमिनल जीडीपी के तहत वर्तमान मूल्य पर वस्तु एवं सेवा का मूल्य आंका जाता है। आधार वर्ष की कीमत स्थिर होती है, क्योंकि वह बीते हुए कल की कीमत होती है, जबकि वर्तमान समय की कीमत में परिवर्तन संभव है।

भारत का जीडीपी वर्तमान मूल्य पर 2024 में 41 खरब डॉलर, 2025 में 45.1 खरब डॉलर, 2026 में 49.5 खरब डॉलर और 2027 में 54.2 खरब डॉलर रहने का अनुमान है। भारत में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी दर काबू में है। साथ ही, प्रति व्यक्ति आय में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस आधार पर माना जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आगामी वर्षों में भी मजबूती बनी रहेगी। हां, जीडीपी के अनुपात में सरकारी कर्ज का प्रतिशत अधिक है, लेकिन वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और अन्य कर व गैर कर राजस्व संग्रह में आ रही तेजी से इसमें आने वाले वर्षों में कुछ कमी आ सकती है।

भारत की जीडीपी में योगदान देने वाले मुख्य क्षेत्र कृषि, उद्योग और सेवाएं हैं। लिहाजा, जीडीपी बढ़ाने के लिए सरकार को खेती-किसानी पर से लोगों की निर्भरता को कम करना, कृषि में नवाचार के इस्तेमाल को बढ़ाना, विपणन व्यवस्था को मजबूत करना, सोने में निवेश करने की आदत में बदलाव करना, अनुसंधान एवं विकास पर जोर, युवाओं को कौशलयुक्त बनाना, शिक्षा पर अधिक राशि खर्च करना, मुफ्त की रेवड़ी बांटने से परहेज करना, कमजोर तबके को आत्मनिर्भर बनाना और आधारभूत संरचना को मजबूत करना होगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से विकास कर रही है। ऐसे में यह कहना समीचीन होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2027 में 50 खरब डॉलर की बन जाएगी। Indian Economy

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