Monday, 6 May 2024

Meghalaya : पंजाबी लेन के दलित सिखों को नयी सरकार से स्थायी पुनर्वास की उम्मीद

Meghalaya : शिलांग। मेघालय की राजधानी शिलांग के पंजाबी लेन इलाके में करीब पांच साल पहले हिंसा के शिकार दलित…

Meghalaya : पंजाबी लेन के दलित सिखों को नयी सरकार से स्थायी पुनर्वास की उम्मीद

Meghalaya : शिलांग। मेघालय की राजधानी शिलांग के पंजाबी लेन इलाके में करीब पांच साल पहले हिंसा के शिकार दलित सिख परिवार उम्मीद कर रहे हैं कि चुनाव के बाद गठित होने वाली नयी सरकार उनके पुनर्वास मुद्दे का स्थायी समाधान करेगी।

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शिलांग के बीचोबीच बारा बाजार के नाम से चर्चित चहल-पहल वाले इउ दुह इलाके में स्थित और विवादास्पद 3.5 एकड़ भूमि के टुकड़े पर स्थित लगभग 200 मीटर लंबी गली सुनसान दिखती है, क्योंकि इस इलाके में यातायात की अनुमति न होने के कारण यहां की ज्यादातर दुकानें और एक पेट्रोल पंप बंद पड़े हैं।

केंद्रीय पुलिस बल के जवान 2018 की झड़पों के बाद गली के दोनों छोर पर स्थापित चौकियों पर पहरा देते हैं। हरिजन पंचायत समिति (एचपीसी) के सचिव गुरजीत सिंह ने कहा कि यहां 342 परिवार रहते हैं, जिनमें से 250 सिख समुदाय के हैं। उन्होंने कहा कि हम मौजूदा पार्टी या किसी अन्य संगठन की नयी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस जटिल मुद्दे के समाधान की उम्मीद करते हैं।

सिंह ने इस बात को लेकर खेद जताया कि 27 फरवरी को होने वाले मेघालय विधानसभा चुनाव लड़ने वाले किसी भी राजनीतिक दल ने चुनाव प्रचार में इस मुद्दे पर बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि उत्तर शिलांग एक बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है और केवल 1,200 मतों के साथ, हम उनके लिए महत्वपूर्ण संख्या नहीं हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में एक मिश्रित मतदान परिपाटी मौजूद है, जिसमें निवासी अपनी पसंद के दलों के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं, न कि सामूहिक रूप से। पंजाबी लेन स्थित गुरुद्वारा नानक दरबार के अध्यक्ष सिंह ने कहा कि उनके पूर्वज लगभग 200 साल पहले सुदूर पंजाब से आए थे और यहां बस गए थे। इन परिवारों के सदस्य वर्तमान में नौकरी, छोटे व्यवसाय और पर्यटन से जुड़े कारोबार करते हैं।

सरकार नहीं दे रही कोई ध्यान

उन्होंने कहा कि पंजाबी लेन के अधिकांश सिख परिवार दलित हैं और अनुसूचित जाति के हैं, जबकि कुछ जो ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए हैं, वे अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आते हैं। उन्होंने बताया कि सितंबर 2022 में राज्य सरकार के साथ बैठक हुई थी, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई थी।

उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने बैठक की और पंजाबी लेन को विस्थापित करने के लिए शिलांग के यूरोपीयन वार्ड में एक ही स्थान पर प्रत्येक परिवार के लिए 200-200 वर्ग मीटर जमीन आवंटित करने की इच्छा जताई। सिंह के अनुसार, खुन हिन्नीवट्रेप नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट पार्टी के स्थानीय विधायक एडेलबर्ट नोनग्रुम ने शायद ही कभी क्षेत्र का दौरा किया हो और इलाके में सरकारी योजनाओं का शायद ही कोई लाभार्थी हो।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को छोड़कर किसी अन्य राजनीतिक दल ने क्षेत्र में कोई चुनाव प्रचार नहीं किया है। भाजपा ने उत्तरी शिलांग निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व पुलिस अधिकारी एम खरक्रांग को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने जे. ए. लिंगदोह को उम्मीदवार बनाया है, जो पहले भगवा पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे।

खरक्रांग ने कहा कि अगर हमारी पार्टी चुनी जाती है, तो वह सभी के लिए सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करेगी। हम निवासियों के साथ काम करेंगे और इस मुद्दे का एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे।

पेट्रोल पंप भी 2018 की हिंसा के बाद से बंद हो गया

हालांकि, वर्तमान में, लेन के निवासियों ने दृढ़ता से महसूस किया कि दोनों सिरों पर लगाए गए नाकों को हटाया जाना चाहिए, ताकि लोग अपना सामान्य जीवन फिर से शुरू कर सकें। सिंह ने कहा, “दोनों सिरों पर नाके के साथ, वाहनों को इस लेन में प्रवेश की अनुमति नहीं है और क्षेत्र में एकमात्र पेट्रोल पंप भी 2018 की हिंसा के बाद से बंद हो गया है।”

वर्ष 2018 में मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस सरकार के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद पंजाबी लेन का मुद्दा उस वक्त सामने आया था, जब क्षेत्र में एक बस चालक पर कथित रूप से हमला किया गया था।

घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों, ज्यादातर युवाओं, ने “बदला लेने के लिए” पंजाबी लेन की ओर मार्च किया था। राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों को घटनास्थल पर भेजा, कर्फ्यू लगाया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मोबाइल इंटरनेट सुविधाओं को बंद कर दिया।

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