Wednesday, 1 May 2024

नीति आयोग का दावा

राष्ट्रीय ब्यूरो। कोरोनाकाल की दूसरी लहर में आई तबाही के दौरान देश के स्वास्थ्य ढांचे की पोल खुल गई थी।…

नीति आयोग का दावा

राष्ट्रीय ब्यूरो। कोरोनाकाल की दूसरी लहर में आई तबाही के दौरान देश के स्वास्थ्य ढांचे की पोल खुल गई थी। लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिला तो तमाम लोग आक्सीजन की कमी के चलते मौत के मुंह में चले गए। अब नीति आयोग ने खुलासा किया है कि देश के जिला अस्पतालों में 1 लाख की आबादी पर औसतन 24 बेड ही उपलब्ध हैं। इसमें से 15 राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों में तो यह आंकड़ा 22 बेड से भी कम है।जो कि स्वास्थ्य ढांचे के लिहाज से बेहद निराशाजनक तस्वीर है।

नीति आयोग की ओर से जो आंकड़ा जारी किया गया है,उसमें सबसे खराब स्थिति बिहार की है। जहां एक लाख की आबादी पर महज 6 बेड उपलब्ध हैँ। जबकि केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में 222 बेड उपलब्ध हैं।इसके अलावा झारखंड में प्रति एक लाख की आबादी की लिहाज से 9,तेलंगाना में 10,उत्तरप्रदेश में13,हरियाणा में 13,महाराष्ट्र में 14,जम्मू-कश्मीर में 17,असम में 18,आंध्रप्रदेश में 18,पंजाब में 18,गुजरात में 19,राजस्थान में 19,पश्चिम बंगाल में 19,छत्तीसगढ़ में 20, मध्यप्रदेश में  20 बेड,केरल व ओडिशा में 22,उत्तराखंड व मणिपुर में 24,त्रिपुरा में 30,गोवा में 32,कर्नाटक में 33,हिमांचलप्रदेश में 46,नागलैंड में 49,मेघालय में 52,चंडीगढ़ में 57,दिल्ली में 59,मिजोरम में 63,सिक्किम में 70,लक्षदीप में 78,दमन और दीव में 102,अरुणाचल प्रदेश में 102,लद्ददाख में 150 और अंडमान एवं निकाबार द्वीपसमूह में 200 बेड उपलब्ध हैं। 2012 में जारी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टेंडर्ड की गाइडलाइन के मुताबिक,जिला अस्पतालों में प्रति 1 लाख की आबादी पर कम से कम 22 बेड तैयार रहने चाहिए। हालांकि यह आंकड़ा 2001 की जनगणना के आधार पर तय किया गया था। बावजूद 20 साल बाद भी देश के 15 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश अभी भी ऐसे हैं,जहां एक लाख की आबादी पर बेड की संख्या 22 से भी कम है।

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