Patna: पटना। भारतीय जनता पार्टी की गतिविधियों से नाराज बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने गठबंधन से किनारा कर लिया है। उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद राजद, कांग्रेस और वामदल के साथ समर्थन से सरकार बनाने का दावा भी पेश किया। राज्यपाल से मिलने के बाद वह सीधे राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पहुंचे। इससे पहले सीएम आवास पर जेडीयू की मीटिंग में नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा ने हमेशा हमें कमजोर करने की कोशिश की। भाजपा ने मुझे अपमानित किया। साल, 2013 से लेकर अब तक भाजपा ने सिर्फ धोखा ही दिया।
जेडीयू की बैठक के बाद नीतीश कुमार सीधे राजभवन पहुंचे, जहां उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल फागू चौहान को सौंपा। नीतीश ने इसी के साथ सरकार बनाने का दावा भी पेश किया। उन्होंने 160 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा है। राजभवन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि सभी विधायकों और सांसदों ने एक स्वर में एनडीए गठबंधन से बाहर रहने का सुझाव दिया, जिसके बाद हमने इस्तीफा दे दिया है।
कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा है कि नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री होंगे। सब कुछ तय हो गया है। सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम होंगे। कांग्रेस को स्पीकर की कुर्सी मिल सकती है।
नीतीश कुमार राजभवन से सीधे राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे हैं। वहां राजद, कांग्रेस और माले के विधायक मौजूद हैं। तेजस्वी यादव से नई सरकार के गठन पर नीतीश बात कर रहे हैं।
इस बीच, पटना में भाजपा ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। बैठक में भाजपा कोटे के सभी मंत्रियों और संगठन के नेताओं को बुलाया गया है।
गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार अब फ्लोर टेस्ट कराने की भी तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार सभी विधायकों को पटना में अगले 72 घंटों तक रहने का निर्देश दिया गया है। जेडीयू के पास बिहार विधानसभा में 45 विधायक हैं।
पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और विपक्षी विधायकों की ओर से स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ किए गए दुर्व्यवहार मसले पर विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश के आधार पर 14 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है। राज्य में जारी सियासी गतिविधि के बीच इस मसले पर भी फैसले लिए जाने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल, आचार समिति की सिफारिश अभी स्पीकर के स्तर पर विचाराधीन है। उस रिपोर्ट में क्या कार्रवाई की अनुशंसा की गई है, यह सदन में पेश होने पर ही पता चलेगा, लेकिन सूत्रों की मानें तो 14 आरोपी विधायकों की सदस्यता जाने का खतरा बरकरार है।