Friday, 3 May 2024

SUPRIME COURT: पत्नी के साथ नहीं कर सकते ये काम, सख्त है ​कानून

SUPRIME COURT: नई दिल्ली। SUPRIME COURT ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध के दायरे में लाने की मांग कर रही याचिकाओं पर…

SUPRIME COURT: पत्नी के साथ नहीं कर सकते ये काम, सख्त है ​कानून

SUPRIME COURT: नई दिल्ली। SUPRIME COURT ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध के दायरे में लाने की मांग कर रही याचिकाओं पर सोमवार को केंद्र से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ ने केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक इस मुद्दे पर जवाब देने को कहा है। इन याचिकाओं पर सुनवाई 21 मार्च से शुरू होगी।

SUPRIME COURT

इन याचिकाओं में से एक याचिका इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के विभाजित आदेश के संबंध में दायर की गयी है। यह अपील, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक याचिकाकर्ता खुशबू सैफी ने दायर की है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 मई को इस मुद्दे पर विभाजित फैसला दिया था। हालांकि, पीठ में शामिल दोनों न्यायाधीशों न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने SUPRIME COURT में अपील करने की अनुमति दी थी क्योंकि इसमें कानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल शामिल हैं जिन पर SUPRIME COURT द्वारा गौर करने की आवश्यकता है।

एक अन्य याचिका कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक व्यक्ति ने दायर की थी जिसके बाद उस पर अपनी पत्नी से कथित तौर पर दुष्कर्म करने का मुकदमा चलाया गया। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले साल 23 मार्च को कहा था कि अपनी पत्नी के साथ दुष्कर्म तथा आप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप से पति को छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के खिलाफ है।

SUPRIME COURT में इस मामले पर कुछ अन्य याचिकाएं भी दायर की गयी है। कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म से छूट की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह उन विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव है जिनका उनके पति द्वारा यौन शोषण किया जाता है।

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