Sunday, 19 May 2024

भारतीय सेना में बढ़ रहा है नारी शक्ति का बोलबाला, हर मोर्चे पर महिलाएं

Women Empowerment : भारत हमेशा से नए-नए प्रयोग करने वाला देश रहा है। पिछले कुछ सालों में भारत ने एक…

भारतीय सेना में बढ़ रहा है नारी शक्ति का बोलबाला, हर मोर्चे पर महिलाएं

Women Empowerment : भारत हमेशा से नए-नए प्रयोग करने वाला देश रहा है। पिछले कुछ सालों में भारत ने एक अभूतपूर्व प्रयोग किया है। इस प्रयोग के तहत भारत ने अपनी नारी शक्ति (महिलाओं) को युद्ध के मैदान में उतारा है। भारतीय सेना में जिस प्रकार नारी शक्ति का बोलबाला बढ़ा है उससे साफ जाहिर है कि जल्दी ही भारतीय सेना के हर मोर्चे पर भारत की महिलाएं पुरुषों की बगल में खड़ी हुई नजर आएंगी।

नारी शक्ति सर्वोपरि

भारत की पुरातन परंपरा में नारी शक्ति का महत्व सर्वोपरि रहा है। भारत के पुराने इतिहास की बात करें तो भारतीय महिलाएं न केवल पुरुषों की बराबरी करती रही हैं बल्कि कई मामलों में तो भारत की महिलाएं पुरुषों से आगे रही हैं। विदेशी आक्रमणकारियों की गंदी नीतियों के कारण भारत की महिलाओं का बड़ा नुकसान हुआ और धीरे-धीरे भारत की महिलाएं घरों की चारदीवारों में कैद होती चली गई। समय ने करवट ली है अब भारत की महिलाएं तेजी के साथ घरों की चारदीवारी से बाहर निकल रही हैं। दुनिया के हर क्षेत्र में भारत की महिलाएं अपनी क्षमता साबित कर रही हैं। इसी कड़ी में भारत की आधी आबादी के रूप में परिभाषित भारत के नारी शक्ति को भारतीय सेना के मोर्चे पर तैनात किया जा रहा है। जिस गति से भारत की सेना में महिलाओं की संख्या बढ़ानी चाहिए थी वह अभी तक नहीं हो पाया है किंतु धीरे-धीरे भारत की सेना में महिलाओं का बोलबाला बढ़ रहा है।

हर मोर्चे पर होगी महिलाएं

भारतीय संस्कृति में युगों से महिलाएं साहस और शक्ति का प्रतीक मानी जाती रही हैं। पर दुर्भाग्य से दसवीं सदी से लेकर 19वीं सदी तक गुलामी के समय विदेशी शासकों ने भारतीय नारियों पर अत्याचार करने शुरू किए, जिसके कारण वे घरों में पर्दे में रहने के लिए मजबूर हुईं। लेकिन आजादी के बाद भारतीय महिलाओं को अच्छी शिक्षा और विकास के सारे अवसर मिले, जिससे उन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा, प्रशासन, शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों में पुरुषों के बराबर योगदान देना शुरू किया।

आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर भारत की उन्नति में अपना योगदान दे रही हैं। लेकिन आजादी के बाद भी काफी समय तक सैन्य सेवा का अवसर पुरुषों को ही मिलता रहा। वर्ष 1992 में भारत सरकार ने सेना में महिलाओं को अफसर बनाने के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी और इसके बाद थल सेना में अल्पकालिक सेवा आयोग स्कीम द्वारा महिलाओं को दस वर्ष की आवश्यक सेवा के बाद चार साल की अतिरिक्त सेवा का अवसर प्रदान किया जाता है।

Women Empowerment

दस साल की सेवा के बाद इनमें चयनित महिला अफसरों को नियमित पूर्णकालीन सेवा का अवसर भी मिलता है। वर्ष 1992 से लेकर 2023 तक 6,993 महिला अफसर तथा 100 महिलाएं सैनिक के रूप में अब तक अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। अब अग्निवीर योजना के तहत अकेले नौसेना में एक हजार अग्निवीर महिलाओं की भर्ती की जा रही है। सैन्य सेवा में महिलाओं के प्रदर्शन और लगन को महिलाओं को देखते हुए 2023 से उन्हें नियमित स्थायी कमीशन स्कीम के तहत भारतीय रक्षा अकादमी खडक़वासला पुणे में भर्ती किया गया, जहां से वे पुरुषों की तरह ट्रेनिंग पूरी करके भारतीय रक्षा अकादमी देहरादून से पूरी सेवा के लिए अफसर बनेंगी। शुरू में इन्हें थल सैना में लिया जाता था, परंतु कुछ समय बाद ही महिलाओं को वायुसेना तथा नौसेना में भी सेवा का अवसर मिलने लगा है।

थल सेना में इन्फेंट्री तथा आम्र्ड कोर (टैंक कोर) दुश्मन से आमने-सामने का युद्ध लड़ती है और युद्ध में कभी-कभी दुश्मन सैनिकों के साथ द्वंद्व युद्ध और हाथापाई तक की नौबत आ जाती है। उल्लेखनीय है कि 1971 के युद्ध में फाजिल्का की सीमा पर भारत के मेजर नारायण सिंह ने पाकिस्तान के मेजर शरीफ के साथ कुश्ती लड़ी थी और कुछ वर्ष पहले 2019 में गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लाठी-डंडों से युद्ध लड़ा गया था। इसे देखते हुए इन्फेंट्री और आम्र्ड कोर के अलावा सेना के अन्य 11 विभागों-इंजीनियरिंग, सिग्नल, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर इत्यादि में महिलाओं को अफसर के रूप में सेवा के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। महिलाओं को सैनिक के रूप में आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेस तथा मिलिट्री पुलिस इत्यादि में भर्ती हो रही है। वहीं पर वायु और नौसेना की सेवा में दुश्मन से सीधा आमना सामना न होने कारण इन्हें बिना लैंगिक भेदभाव के हर विभाग में सेवा का पूरा अवसर प्रदान किया जाता है। अब तक थलसेना में 120 महिलाओं को कर्नल के पद के लिए चयनित किया है।यह देश के लिए गर्व का विषय है कि संयुक्त राष्टï्र द्वारा विभिन्न देशों में भेजे गए भारत के शांति दलों में 20 फीसदी महिला अधिकारी हैं। सेना में महिलाओं की कॅरिअर प्लानिंग के लिए भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि योजनाबद्ध तरीके से महिला सैनिक अधिकारियों के कॅरिअर की प्रगति पर एक विस्तृत नीति बनाई जा रही है, जिसे 31 मार्च तक तैयार कर लिया जाएगा। इससे महिलाओं के लिए सेना की यूनिटों में कमान संभालने के अवसरों तथा कॅरिअर के लिए विस्तृत प्रणाली उपलब्ध होगी।

Women Empowerment

पिछले साल वृंदावन के वत्सल ग्राम में साध्वी ऋतंभरा ने देश का पहला महिला सैनिक स्कूल स्थापित किया है, जिसका उद्घाटन भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। लडक़ों के लिए देश के हर राज्य में सैनिक स्कूल हैं, परंतु लड़कियों को सेना में प्रवेश के लिए तैयार करने वाला वृंदावन में यह पहला स्कूल खोला गया है। ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को सैनिक सेवा के लिए एनसीसी तथा सैनिक और मिलिट्री स्कूलों द्वारा तैयार किए जाने से भारत की प्रथम और द्वितीय श्रेणी की सुरक्षा प्रणाली भी मजबूत की जा सकती है।

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